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'गुरुजी' के गोद में भी नहीं ठीक हुई इस गांव की 'बीमारी', बुनियादी सुविधाओं से भी महरूम हैं लोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक सांसद आदर्श ग्राम योजना का हाल झारखंड में बहुत बुरा है. संताल परगाना में मसीहा माने जाने वाले शिबू सोरेन के द्वारा गोद लिए गए रांगा गांव की हालत भी कुछ ठीक नहीं है. यहां के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं.

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Published : Mar 25, 2019, 3:12 PM IST

स्पेशल स्टोरी

दुमका: सांसद शिबू सोरेन ने मसलिया प्रखंड के रांगा पंचायत को गोद लिया था. शिबू सोरेन का कद संथाल परगना में ही नहीं झारखंड में काफी बड़ा माना जाता है. इसलिए जब उन्होने रांगा गांव को गोद लिया तो यहां की जनता में खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्हे लगा अब दुख और बदहाली के दिन दूर हो जाएंगे लेकिन स्थित जस के तस बनी रही.

स्पेशल स्टोरी

दुमका से लगभग 25 किलोमीटर दूर मसलिया प्रखंड के रांगा पंचायत में कुल नौ गांव हैं. जिनके नाम हैं- रांगा,मसलिया,झिलुआ,लताबड़,नगरापाथर,महिषापाथर,रामखड़ी और झगड़िया. सांसद द्वारा गोद लिए जाने के बाद भी आज तक इसका विकास नहीं हुआ. यहां की लगभग 10 हजार की आबादी बुनियादी सुविधाओं से दूर है. सड़क, पानी,सिंचाई और स्वास्थ्य की सुविधा बदहाल है. सड़कों की स्थिति तो ऐसी कि वाहन की बाद छोड़िए पैदल चलना भी मुश्किल है.


क्या कहते हैं ग्रामीण ?
यहां के ग्रामीणों में एक उम्मीद जगी थी कि सांसद ने अपने क्षेत्र में से उनके पंचायत को विकास के लिए चुना है तो निश्चित रूप से विकास होगा. लेकिन चार साल बीतने के बाद अब उनकी उम्मीदें टूटने लगी हैं. सड़क की स्थिति तो बदतर है. लोगों को पीने का पानी भी सही ढंग से नहीं मिल रहा है, सिंचाई की सुविधा की बात करना बेमानी है. ग्रामीणों ने बताया कि दूसरे जनप्रतिनिधि यह कहते हुए कुछ काम नहीं करते कि आपका गांव तो सांसद ने गोद लिया है हम यहां क्यों कुछ करें.

ये भी पढ़ें-सुबोधकांत सहाय ने किया जीत का दावा, कहा- 2004 वाली स्थिति फिर दोहराएंगे


क्या कहना है संसद प्रतिनिधि का ?
इस बारे में जब हमने सांसद शिबू सोरेन के सांसद प्रतिनिधि विजय कुमार सिंह से बातचीत की तो उन्होंने भी माना कि विकास बिल्कुल नहीं हुआ. वे इसे दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं कि हमारे द्वारा गोद लिए जाने के बावजूद कुछ नहीं हुआ. इसके लिए वे जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.


क्या कहना है जिले के उपायुक्त का ?
उपायुक्त मुकेश कुमार का कहना है कि सांसद के गांव को गोद लेने की प्रक्रिया उनके यहां आने के पहले हुई थी. जहां तक इसे विकसित करने की बात है वे अधिकारियों की एक टीम के साथ दौरा करेंगे और सांसद के साथ मिलकर उसकी विकास के जो मापदंड है उसे पूरा किया जाएगा.

दुमका: सांसद शिबू सोरेन ने मसलिया प्रखंड के रांगा पंचायत को गोद लिया था. शिबू सोरेन का कद संथाल परगना में ही नहीं झारखंड में काफी बड़ा माना जाता है. इसलिए जब उन्होने रांगा गांव को गोद लिया तो यहां की जनता में खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्हे लगा अब दुख और बदहाली के दिन दूर हो जाएंगे लेकिन स्थित जस के तस बनी रही.

स्पेशल स्टोरी

दुमका से लगभग 25 किलोमीटर दूर मसलिया प्रखंड के रांगा पंचायत में कुल नौ गांव हैं. जिनके नाम हैं- रांगा,मसलिया,झिलुआ,लताबड़,नगरापाथर,महिषापाथर,रामखड़ी और झगड़िया. सांसद द्वारा गोद लिए जाने के बाद भी आज तक इसका विकास नहीं हुआ. यहां की लगभग 10 हजार की आबादी बुनियादी सुविधाओं से दूर है. सड़क, पानी,सिंचाई और स्वास्थ्य की सुविधा बदहाल है. सड़कों की स्थिति तो ऐसी कि वाहन की बाद छोड़िए पैदल चलना भी मुश्किल है.


क्या कहते हैं ग्रामीण ?
यहां के ग्रामीणों में एक उम्मीद जगी थी कि सांसद ने अपने क्षेत्र में से उनके पंचायत को विकास के लिए चुना है तो निश्चित रूप से विकास होगा. लेकिन चार साल बीतने के बाद अब उनकी उम्मीदें टूटने लगी हैं. सड़क की स्थिति तो बदतर है. लोगों को पीने का पानी भी सही ढंग से नहीं मिल रहा है, सिंचाई की सुविधा की बात करना बेमानी है. ग्रामीणों ने बताया कि दूसरे जनप्रतिनिधि यह कहते हुए कुछ काम नहीं करते कि आपका गांव तो सांसद ने गोद लिया है हम यहां क्यों कुछ करें.

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क्या कहना है संसद प्रतिनिधि का ?
इस बारे में जब हमने सांसद शिबू सोरेन के सांसद प्रतिनिधि विजय कुमार सिंह से बातचीत की तो उन्होंने भी माना कि विकास बिल्कुल नहीं हुआ. वे इसे दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं कि हमारे द्वारा गोद लिए जाने के बावजूद कुछ नहीं हुआ. इसके लिए वे जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.


क्या कहना है जिले के उपायुक्त का ?
उपायुक्त मुकेश कुमार का कहना है कि सांसद के गांव को गोद लेने की प्रक्रिया उनके यहां आने के पहले हुई थी. जहां तक इसे विकसित करने की बात है वे अधिकारियों की एक टीम के साथ दौरा करेंगे और सांसद के साथ मिलकर उसकी विकास के जो मापदंड है उसे पूरा किया जाएगा.

Intro:दुमका - झारखंड की उपराजधानी दुमका होली के उमंग से सराबोर हो गया है । गांव हो या शहर हर जगह लोग मस्ती में डूबे नज़र आ रहे हैं ।


Body:पिचकारी - रंग - अबीर से पटा बाजार , बच्चों में उत्साह ।
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होली को लेकर बाजार में काफी रौनक नजर आ रही है । पिचकारी - रंग - अबीर से दुमका का पूरा बाजार पटा नजर आता है । तरह तरह के रंग , मुखौटे लोग खरीद रहे हैं । बच्चों में तो होली की मस्ती छाई हुई है । उनके अभिभावक भी उनके पसंद के सामानों को खरीदने बाजार पहुंच चुके हैं ।

बाईट - दो बच्चे
बाईट - स्थानीय नागरिक


Conclusion:संथाल समुदाय अपने ढंग से मना रहा है यह पर्व ।
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इधर संथाल समाज इस पर्व को बाहा पर्व के रूप में मनाता है । इसमें सखुआ पेड़ के नीचे पूजा की जाती है । स्त्री पुरुष सभी नाच गाकर इसे सेलिब्रेट कर रहे हैं । इस पूजा में मुर्गे को चढ़ाने की भी परम्परा है ।

बाईट - गुंजन मराण्डी , स्थानीय नागरिक
बाईट - ब्रह्मदेव , स्थानीय नागरिक
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