दुमका: सांसद शिबू सोरेन ने मसलिया प्रखंड के रांगा पंचायत को गोद लिया था. शिबू सोरेन का कद संथाल परगना में ही नहीं झारखंड में काफी बड़ा माना जाता है. इसलिए जब उन्होने रांगा गांव को गोद लिया तो यहां की जनता में खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्हे लगा अब दुख और बदहाली के दिन दूर हो जाएंगे लेकिन स्थित जस के तस बनी रही.
दुमका से लगभग 25 किलोमीटर दूर मसलिया प्रखंड के रांगा पंचायत में कुल नौ गांव हैं. जिनके नाम हैं- रांगा,मसलिया,झिलुआ,लताबड़,नगरापाथर,महिषापाथर,रामखड़ी और झगड़िया. सांसद द्वारा गोद लिए जाने के बाद भी आज तक इसका विकास नहीं हुआ. यहां की लगभग 10 हजार की आबादी बुनियादी सुविधाओं से दूर है. सड़क, पानी,सिंचाई और स्वास्थ्य की सुविधा बदहाल है. सड़कों की स्थिति तो ऐसी कि वाहन की बाद छोड़िए पैदल चलना भी मुश्किल है.
क्या कहते हैं ग्रामीण ?
यहां के ग्रामीणों में एक उम्मीद जगी थी कि सांसद ने अपने क्षेत्र में से उनके पंचायत को विकास के लिए चुना है तो निश्चित रूप से विकास होगा. लेकिन चार साल बीतने के बाद अब उनकी उम्मीदें टूटने लगी हैं. सड़क की स्थिति तो बदतर है. लोगों को पीने का पानी भी सही ढंग से नहीं मिल रहा है, सिंचाई की सुविधा की बात करना बेमानी है. ग्रामीणों ने बताया कि दूसरे जनप्रतिनिधि यह कहते हुए कुछ काम नहीं करते कि आपका गांव तो सांसद ने गोद लिया है हम यहां क्यों कुछ करें.
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क्या कहना है संसद प्रतिनिधि का ?
इस बारे में जब हमने सांसद शिबू सोरेन के सांसद प्रतिनिधि विजय कुमार सिंह से बातचीत की तो उन्होंने भी माना कि विकास बिल्कुल नहीं हुआ. वे इसे दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं कि हमारे द्वारा गोद लिए जाने के बावजूद कुछ नहीं हुआ. इसके लिए वे जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
क्या कहना है जिले के उपायुक्त का ?
उपायुक्त मुकेश कुमार का कहना है कि सांसद के गांव को गोद लेने की प्रक्रिया उनके यहां आने के पहले हुई थी. जहां तक इसे विकसित करने की बात है वे अधिकारियों की एक टीम के साथ दौरा करेंगे और सांसद के साथ मिलकर उसकी विकास के जो मापदंड है उसे पूरा किया जाएगा.