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दुमका में धूल फांक रहे सरकारी भवन, बिना इस्तेमाल के हो रहे हैं जर्जर - दुमका में सरकारी भवन

दुमका में कई ऐसे सरकारी भवन हैं जिनका निर्माण लाखों की राशि से हुआ है और ये भवन यूं ही पड़े-पड़े जर्जर हो रहे हैं. इस मामले में डीसी राजेश्वरी बी ने संज्ञान लेते हुए समीक्षा बैठक करने की बात कही.

Poor condition of government building
सरकारी भवन
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Published : Jul 26, 2020, 10:55 AM IST

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका में कई ऐसे सरकारी भवन हैं जिसका निर्माण लाखों की राशि से हुआ लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी उसका कोई इस्तेमाल नहीं हुआ. बिना इस्तेमाल के ये भवन जर्जर हो रहे हैं. स्थानीय लोग इसे जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग बताते हैं. इधर दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी कहती हैं कि ऐसे मामलों पर एक समीक्षा बैठक करेंगी.

देखें पूरी खबर

कई सरकारी भवन जिसका नहीं हुआ आज तक इस्तेमाल

दुमका में कई ऐसे सरकारी भवन है जिसका निर्माण हुए कई वर्ष बीत चुके हैं. लेकिन जिस उद्देश्य से भवन बना उन उद्देश्यों की पूर्ति होती नजर नहीं आ रही है. दुमका के माप-तौल विभाग के कार्यालय परिसर में 4 साल पहले लगभग 40 लाख की लागत से एक भवन बना. जानकारी के मुताबिक यह माप-तौल विभाग की प्रयोगशाला है लेकिन आज तक इसका कोई इस्तेमाल नहीं हुआ.

ये भी पढ़ें-लालू यादव का कराया गया कोविड टेस्ट, जल्द आयेगी रिपोर्ट

सीड प्रोसेसिंग प्लांट बिना इस्तेमाल के हुआ जर्जर

दुमका शहर के कॉलेज रोड में किसानों के हित में एक सीड प्रोसेसिंग प्लांट का निर्माण कराया गया था. लाखों खर्च हुए लेकिन आज तक यह प्लांट चालू नहीं हुआ. बिल्डिंग बिना इस्तेमाल के ही जर्जर हो रही है.

शिक्षा विभाग का दो छात्रावास नहीं हुआ चालू

वहीं, दुमका के संथाल परगना महिला महाविद्यालय के परिसर में बना पिछड़ी जाति महिला छात्रावास के निर्माण के लगभग 5 वर्ष बीत गए हैं. इसका निर्माण एक करोड़ की राशि से हुआ था लेकिन आज तक इसमें एक भी छात्रा का नामांकन नहीं हुआ भवन यूं ही पड़ा हुआ है. वहीं दूसरी ओर आदिवासी महिला कल्याण छात्रावास भी बनकर बरसों से तैयार है लेकिन वह किसी काम का नहीं है.

क्या कहते हैं स्थानीय

बड़ी राशि से बने इन सरकारी भवनों के इस्तेमाल नहीं होने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है. उनका कहना है कि यह जनता के गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग है. वे कहते हैं कि जिस उद्देश्य से यह बना उसकी पूर्ति होनी चाहिए. अगर इसका इस्तेमाल ही नहीं होना था तो आखिरकार निर्माण का औचित्य क्या था. वे सरकार से इस दिशा में आवश्यक पहल की मांग कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें-पुलिस को मिली बड़ी सफलता, तीन अलग-अलग थाना क्षेत्रों से 3 नक्सली गिरफ्तार

क्या कहती हैं दुमका डीसी

सरकारी भवनों का इस तरह बेकार पड़े रहने के मामले पर जब हमने दुमका के उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसे भवनों कि सूची बनाई जाएगी. पहले देखते हैं कि किस विभाग ने इसे बनाया था. इसकी क्या उपयोगिता थी. उसके बाद जरूरत के अनुसार इन भवनों को उपयोग में लाया जाएगा.

जल्द से जल्द काम में लाए जाएं भवन

जनता की गाढ़ी कमाई को सरकार टैक्स के रूप में लेती है और फिर उन रुपयों से विकास के काम किए जाते हैं. इस तरह लाखों-करोड़ों के भवनों का इस्तेमाल नहीं होना सरकार की बड़ी लापरवाही कही जा सकती है. ईटीवी भारत ने इन भवनों को जिला प्रशासन के संज्ञान में ला दिया है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द से जल्द इनका इस्तेमाल हो पाएगा.

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका में कई ऐसे सरकारी भवन हैं जिसका निर्माण लाखों की राशि से हुआ लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी उसका कोई इस्तेमाल नहीं हुआ. बिना इस्तेमाल के ये भवन जर्जर हो रहे हैं. स्थानीय लोग इसे जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग बताते हैं. इधर दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी कहती हैं कि ऐसे मामलों पर एक समीक्षा बैठक करेंगी.

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कई सरकारी भवन जिसका नहीं हुआ आज तक इस्तेमाल

दुमका में कई ऐसे सरकारी भवन है जिसका निर्माण हुए कई वर्ष बीत चुके हैं. लेकिन जिस उद्देश्य से भवन बना उन उद्देश्यों की पूर्ति होती नजर नहीं आ रही है. दुमका के माप-तौल विभाग के कार्यालय परिसर में 4 साल पहले लगभग 40 लाख की लागत से एक भवन बना. जानकारी के मुताबिक यह माप-तौल विभाग की प्रयोगशाला है लेकिन आज तक इसका कोई इस्तेमाल नहीं हुआ.

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सीड प्रोसेसिंग प्लांट बिना इस्तेमाल के हुआ जर्जर

दुमका शहर के कॉलेज रोड में किसानों के हित में एक सीड प्रोसेसिंग प्लांट का निर्माण कराया गया था. लाखों खर्च हुए लेकिन आज तक यह प्लांट चालू नहीं हुआ. बिल्डिंग बिना इस्तेमाल के ही जर्जर हो रही है.

शिक्षा विभाग का दो छात्रावास नहीं हुआ चालू

वहीं, दुमका के संथाल परगना महिला महाविद्यालय के परिसर में बना पिछड़ी जाति महिला छात्रावास के निर्माण के लगभग 5 वर्ष बीत गए हैं. इसका निर्माण एक करोड़ की राशि से हुआ था लेकिन आज तक इसमें एक भी छात्रा का नामांकन नहीं हुआ भवन यूं ही पड़ा हुआ है. वहीं दूसरी ओर आदिवासी महिला कल्याण छात्रावास भी बनकर बरसों से तैयार है लेकिन वह किसी काम का नहीं है.

क्या कहते हैं स्थानीय

बड़ी राशि से बने इन सरकारी भवनों के इस्तेमाल नहीं होने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है. उनका कहना है कि यह जनता के गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग है. वे कहते हैं कि जिस उद्देश्य से यह बना उसकी पूर्ति होनी चाहिए. अगर इसका इस्तेमाल ही नहीं होना था तो आखिरकार निर्माण का औचित्य क्या था. वे सरकार से इस दिशा में आवश्यक पहल की मांग कर रहे हैं.

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क्या कहती हैं दुमका डीसी

सरकारी भवनों का इस तरह बेकार पड़े रहने के मामले पर जब हमने दुमका के उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसे भवनों कि सूची बनाई जाएगी. पहले देखते हैं कि किस विभाग ने इसे बनाया था. इसकी क्या उपयोगिता थी. उसके बाद जरूरत के अनुसार इन भवनों को उपयोग में लाया जाएगा.

जल्द से जल्द काम में लाए जाएं भवन

जनता की गाढ़ी कमाई को सरकार टैक्स के रूप में लेती है और फिर उन रुपयों से विकास के काम किए जाते हैं. इस तरह लाखों-करोड़ों के भवनों का इस्तेमाल नहीं होना सरकार की बड़ी लापरवाही कही जा सकती है. ईटीवी भारत ने इन भवनों को जिला प्रशासन के संज्ञान में ला दिया है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द से जल्द इनका इस्तेमाल हो पाएगा.

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