दुमकाः अंग्रेजी शब्दकोश में सब्सिडी ऐसा शब्द है, जो लोगों को काफी लुभाता है. लोग को जहां सब्सीडी मिलने की उम्मीद होती है, वहां प्रयास करना शुरू कर देते हैं. लेकिन झारखंड सरकार की पेट्रोल सब्सिडी योजना लोगों को रास नहीं आ रही है. स्थिति यह है कि लोग इस सब्सिडी को लेने से पीछे हट रहे हैं.
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इस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पेट्रोल-डीजल सब्सिडी योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत राशन कार्डधारियों को पेट्रोल की कीमत पर प्रति लीटर 25 रुपये की सब्सिडी लेने देने का प्रावधान है. एक व्यक्ति प्रतिमाह 10 लीटर पेट्रोल पर सब्सिडी ले सकते हैं. योजना की तैयारी अधिकारियों ने कर रखी थी और जैसे ही मुख्यमंत्री ने बटन दबाकर योजना का प्रारंभ किया तो जिले के लगभग 8 हजार लोगों के खाते में प्रति व्यक्ति 250 रुपये चले गए.
पेट्रोल सब्सिडी दर पर लेने वाले लाभुकों की संख्या बढ़ने के बजाय काफी तेजी से घट रही है. जनवरी माह में लाभुकों की संख्या 8000 थी. वह फरवरी माह में 3403, मार्च माह में 1246, अप्रैल माह में 1403, मई माह में 830 और इस माह 18 जून तक लाभुकों की संख्या सिर्फ 485 है. मतलब जनवरी में जो आंकड़ा 8000 का था वह पिछले मई माह में 800 के आस पास पहुंच गया. स्थिति यह है कि 90 प्रतिशत लाभुकों ने इस योजना से दूरी बना ली है. यह स्थिति सिर्फ दुमका की नहीं है, बल्कि राज्य के सभी जिलों की है. राज्य के 19 जिले की स्थिति काफी खराब है. चाईबासा है 18 जून तक लाभुकों की संख्या 2857 है. वहीं, नीचे के सबसे कम लाभुक सिमडेगा में 57, जामताड़ा में 64, गढ़वा में 93 है.
जिला आपूर्ति पदाधिकारी संजय कुमार दास ने बताया कि तकनीकी जानकारी के अभाव में लोग इसका लाभ नहीं मिल पा रहे हैं. दरअसल इसके लिए विभाग प्रतिमाह रजिस्ट्रेशन किए हुए लाभुकों के मोबाइल पर एसएमएस भेजती है. लाभुकों को मैसेज के नीचे लिखे ओके को दबाना है. लेकिन ओके बटन दबाकर रिप्लाई नहीं करते हैं. उन्होंने लोगों से अपील करते हुये कहा कि अफवाह पर ध्यान नहीं दें. इस योजना का लाभ उठाये. इस योजना से राशन कार्ड का कोई लेना देना नहीं है.