दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका में स्वास्थय विभाग की अनदेखी और लापरवाही की वजह से बायो मेडिकल वेस्ट को जहां-तहां फेंका जा रहा है. इससे लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा तो बना ही हुआ है साथ ही साथ पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है.
निजी क्लीनिकों और पैथोलॉजी द्वारा फेंका जा रहा है मेडिकल कचरा: दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अपने मेडिकल कचरा के निस्तारण की व्यवस्था कर रखी है, लेकिन दुमका के प्राइवेट क्लीनिक और पैथोलॉजी के पास बायो मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं है. ये प्राइवेट क्लिनिक और पैथोलॉजी लैब मेडिकल कचरे को सड़कों और अन्य खुले स्थानों पर फेंक देते हैं. जिससे आम लोगों में बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ रहता है. इसके साथ ही पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचता है. लापरवाही की हद यह है कि इस मेडिकल कचरे को जलाशयों में फेंक दिया जाता है जिससे उसका पानी मनुष्यों क्या पशुओं के इस्तेमाल के लायक भी नहीं रहता.
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इस पूरे मामले पर दुमका के सिविल सर्जन डॉ बच्चा प्रसाद सिंह से बात की गई तो उन्होंने ईटीवी भारत को धन्यवाद दिया कि जनहित से जुड़े ऐसे मुद्दों को उनके द्वारा सामने लाया जा रहा है. सिविल सर्जन ने कहा कि 'मुझे भी यह जानकारी प्राप्त हुई है कि बायो मेडिकल वेस्ट को जहां-तहां फेंका जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट क्लीनिक इस तरह के कार्य कर रहे हैं जो कि काफी खतरनाक है. सीएस ने कहा कि मेडिकल कचरा स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होता है. इससे संक्रमण तेजी से फैल सकता है. इसके अलावा इससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है. इसके प्रबंधन की जो उचित व्यवस्था है उस दिशा में काम नहीं किया जा रहा है जो गंभीर मामला है. सिविल सर्जन ने मेडिकल कचरा के सही प्रबंधन नहीं करने वाले प्राइवेट क्लीनिक के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही.