दुमका: दुमका का कुपोषण उपचार केंद्र लगभग 10 साल से कुपोषण से लड़ रहा है. इस अस्पताल में अब तक 1800 बच्चों का सफल इलाज हुआ है. यहां बीमार बच्चों का 21 दिन का कोर्स होता है, जिसमें बच्चे की मां को प्रतिदिन एक सौ रुपए मदद के तौर पर दिया जाता है. इस दौरान बच्चे की निरंतर जांच भी की जाती है.
क्या कहते हैं चिकित्सक
चिकित्सक डॉ दिलीप कुमार का कहना है कि बच्चों में कुपोषण की वजह संस्थागत प्रसव का ना होना, सही समय पर ब्रेस्टफीडिंग नहीं मिल पाना, संतुलित आहार का अभाव, साथ ही बच्चे का डायरिया, टीवी, कालाजार, मलेरिया जैसे गंभीर रोग से ग्रसित होना है.
उनका कहना है कि अस्पताल में बच्चों के इलाज में काफी सावधानी बरती जाती है. कुपोषित बच्चे का आहार कैसा हो इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है. उनकी दवा की समुचित व्यवस्था भी यहां उपलब्ध है.
मेडिकल टेस्ट होने के बाद ही होता है ट्रीटमेंट शुरू
समय पर टीकाकरण नहीं होने से ही बच्चों के कुपोषित होने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में अस्पताल में आए बच्चों का सबसे पहले वजन और माप किया जाता है. साथ में अन्य मेडिकल टेस्ट भी किए जाते हैं. इससे यह पता चलता है कि कुपोषण किस स्तर तक है. उसके बाद ही बच्चे का ट्रीटमेंट शुरू होता है.
आज केंद्र हो या राज्य सरकार सभी कुपोषण को रोकने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चला रही है. लेकिन अभी भी यह पूरी तरह से समाप्त नहीं हो पाया है. ऐसे में कुपोषण के इलाज में दुमका कुपोषण उपचार केंद्र सराहनीय भूमिका निभा रही है.