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कुपोषित बच्चों के लिए वरदान बना यह उपचार केंद्र, अब तक 1800 बच्चों को मिल चुकी है नई जिंदगी

सरकार जहां स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए लगातार प्रयासरत है. वहीं सरकार से कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है, दुमका का कुपोषण उपचार केंद्र. यह केंद्र पिछले एक दशक से कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने में जुटा है.

उपचार केंद्र में इलाज के लिए आए बच्चे
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Published : Jul 21, 2019, 3:07 PM IST

दुमका: दुमका का कुपोषण उपचार केंद्र लगभग 10 साल से कुपोषण से लड़ रहा है. इस अस्पताल में अब तक 1800 बच्चों का सफल इलाज हुआ है. यहां बीमार बच्चों का 21 दिन का कोर्स होता है, जिसमें बच्चे की मां को प्रतिदिन एक सौ रुपए मदद के तौर पर दिया जाता है. इस दौरान बच्चे की निरंतर जांच भी की जाती है.

देखें पूरी खबर

क्या कहते हैं चिकित्सक

चिकित्सक डॉ दिलीप कुमार का कहना है कि बच्चों में कुपोषण की वजह संस्थागत प्रसव का ना होना, सही समय पर ब्रेस्टफीडिंग नहीं मिल पाना, संतुलित आहार का अभाव, साथ ही बच्चे का डायरिया, टीवी, कालाजार, मलेरिया जैसे गंभीर रोग से ग्रसित होना है.

उनका कहना है कि अस्पताल में बच्चों के इलाज में काफी सावधानी बरती जाती है. कुपोषित बच्चे का आहार कैसा हो इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है. उनकी दवा की समुचित व्यवस्था भी यहां उपलब्ध है.

मेडिकल टेस्ट होने के बाद ही होता है ट्रीटमेंट शुरू

समय पर टीकाकरण नहीं होने से ही बच्चों के कुपोषित होने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में अस्पताल में आए बच्चों का सबसे पहले वजन और माप किया जाता है. साथ में अन्य मेडिकल टेस्ट भी किए जाते हैं. इससे यह पता चलता है कि कुपोषण किस स्तर तक है. उसके बाद ही बच्चे का ट्रीटमेंट शुरू होता है.

आज केंद्र हो या राज्य सरकार सभी कुपोषण को रोकने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चला रही है. लेकिन अभी भी यह पूरी तरह से समाप्त नहीं हो पाया है. ऐसे में कुपोषण के इलाज में दुमका कुपोषण उपचार केंद्र सराहनीय भूमिका निभा रही है.

दुमका: दुमका का कुपोषण उपचार केंद्र लगभग 10 साल से कुपोषण से लड़ रहा है. इस अस्पताल में अब तक 1800 बच्चों का सफल इलाज हुआ है. यहां बीमार बच्चों का 21 दिन का कोर्स होता है, जिसमें बच्चे की मां को प्रतिदिन एक सौ रुपए मदद के तौर पर दिया जाता है. इस दौरान बच्चे की निरंतर जांच भी की जाती है.

देखें पूरी खबर

क्या कहते हैं चिकित्सक

चिकित्सक डॉ दिलीप कुमार का कहना है कि बच्चों में कुपोषण की वजह संस्थागत प्रसव का ना होना, सही समय पर ब्रेस्टफीडिंग नहीं मिल पाना, संतुलित आहार का अभाव, साथ ही बच्चे का डायरिया, टीवी, कालाजार, मलेरिया जैसे गंभीर रोग से ग्रसित होना है.

उनका कहना है कि अस्पताल में बच्चों के इलाज में काफी सावधानी बरती जाती है. कुपोषित बच्चे का आहार कैसा हो इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है. उनकी दवा की समुचित व्यवस्था भी यहां उपलब्ध है.

मेडिकल टेस्ट होने के बाद ही होता है ट्रीटमेंट शुरू

समय पर टीकाकरण नहीं होने से ही बच्चों के कुपोषित होने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में अस्पताल में आए बच्चों का सबसे पहले वजन और माप किया जाता है. साथ में अन्य मेडिकल टेस्ट भी किए जाते हैं. इससे यह पता चलता है कि कुपोषण किस स्तर तक है. उसके बाद ही बच्चे का ट्रीटमेंट शुरू होता है.

आज केंद्र हो या राज्य सरकार सभी कुपोषण को रोकने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चला रही है. लेकिन अभी भी यह पूरी तरह से समाप्त नहीं हो पाया है. ऐसे में कुपोषण के इलाज में दुमका कुपोषण उपचार केंद्र सराहनीय भूमिका निभा रही है.

Intro:दुमका - स्वस्थ बच्चे से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है । दुमका का कुपोषण उपचार केंद्र पिछले एक दशक से कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने में जुटा है । 15 बेड वाले इस अस्पताल में एक टीम भावना के तहत कुपोषित बच्चों का इलाज हो रहा है । पिछले एक दशक में लगभग अट्ठारह सौ बच्चे का सफल इलाज हुआ है । बीमार बच्चों का 21 दिन का कोर्स होता है । अधिकांश बच्चे गरीब परिवार से आते हैं ऐसे में बच्चे की मां को उस 21 दिन के दौरान प्रतिदिन एक सौ रुपया मदद का प्रावधान है बाद में भी बच्चे का फॉलोअप होता है ।


Body:क्या कहते हैं चिकित्सक ।
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कुपोषण उपचार केंद्र के चिकित्सक डॉ दिलीप कुमार भगत का कहना है कि यहां पर एक दशक में 1800 बच्चों का इलाज हो चुका है । पिछले पांच वर्ष की आंकड़े इस प्रकार है -
2015 - 223
2016 -- 221
2017 --282
2018 -- 201
2019 में जून माह तक - 86

चिकित्सक का कहना है कि बच्चों में कुपोषण की वजह संस्थागत प्रसव का ना होना , सही समय पर ब्रेस्टफीडिंग नहीं मिल पाना , संतुलित आहार का अभाव । साथ ही बच्चे का डायरिया, टीवी ,कालाजार , मलेरिया जैसे गंभीर रोग से ग्रसित होना है । वे कहते हैं बच्चों का इलाज में काफी सूक्ष्मता रखी जाती है । कुपोषित बच्चे का आहार कैसा हो इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है । उनकी दवा की समुचित व्यवस्था भी यहां उपलब्ध है ।
बाईट - डॉ दिलीप कुमार भगत , चिकित्सक


Conclusion:बच्चे का टीकाकरण पर भी रहती है नज़र ।
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इस अस्पताल में कुपोषित बच्चे जब इलाज के लिए आते हैं सबसे पहले उसका वजन और माप किया जाता है । साथ में अन्य मेडिकल टेस्ट होते हैं । इससे यह पता चलता है कि कुपोषण किस स्तर तक है । उसके बाद बच्चे का ट्रीटमेंट शुरू होता है । यहाँ बच्चे की माँ से यह जानकारी अवश्य ली जाती है कि समय पर टीकाकरण हुआ है कि नहीं । अगर उसमे कुछ खामी है तो टीकाकरण की भी व्यवस्था है । जिस बच्चे को यहाँ कमजोर कुपोषित अवस्था मे लाया जाता है और इलाज के दौरान वह दुरुस्त हो जाते हैं तो उनकी माता के चेहरे पर संतोष का भाव साफ नजर आता है ।
बाईट - विनीता , एएनएम
बाईट - एलिजाबेथ टूडू , बच्चे की माँ

फाईनल वीओ - आज केन्द्र हो या राज्य सरकार से सभी कुपोषण को रोकने के लिए लगातार जागरूकता चला रही है पर अभी भी पूर्ण रूप से यह समाप्त नहीं हो पाया । खासतौर पर गरीब इलाके में यह अभी भी देखा जा सकता है । ऐसे मे इसके इलाज में दुमका का कुपोषण उपचार केन्द्र की भूमिका सराहनीय कही जा सकती है ।
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