धनबादः सिंफर यानी केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक इन दिनों शैवाल से फूड प्रोडक्ट बनाने की कोशिश कर रहे हैं. धनबाद के झरिया इलाके के डिगवाडीह में स्थित सिंफर के वैज्ञानिकों ने शैवाल से फूड प्रोडक्ट बनाने के प्रोजेक्ट को 2 साल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया है. पहले एक साल वे शोध कर रहे हैं और दूसरे साल में इसे बाजार में उतारने की कोशिश होगी. ये प्रयोग सफल रहा तो दिसंबर 2021 तक शैवाल से बने खाद्य पदार्थ हमारे सामने होंगे.
सिंफर की वैज्ञानिक डॉ. वी. अंगु सेल्वी ने ईटीवी भारत को बताया कि शैवाल बेहद खास ऑर्गेनिज्म है. इससे इंसान के लिए बहुत कुछ बन सकता है. जैसे फूड, उर्वरक और दवा. शैवाल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स और विटामिन सहित कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. शैवाल आमतौर पर तालाब, जलाशय और नदियों में पाए जाते हैं. ये एक ऐसा पर्णहरित युक्त पौधा है जो जड़, तना और पत्तियों में बंटा नहीं होता. शैवाल की कुछ किस्में हानिकारक हैं जबकि कुछ का भोजन, दवा और खेती में उपयोग किया जा सकता है.
कीमत और स्वाद दोनों महत्वपूर्ण
महिला चिकित्सक डॉ साधना के अनुसार अच्छे प्रोटीन की जरूरत तो होती ही है. हम खाना खा कर जो हिस्सा पूरा न कर सकें, तो कुछ अतिरिक्त की जरूरत पड़ती है. उन्होंने कहा कि सिंफर के वैज्ञानिकों की पहल तो बड़ी अच्छी है, बाकी इनका प्रोडक्ट सामने आने पर पता चलेगा क्योंकि दो चीजें बहुत जरूरी है कीमत और स्वाद.
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कैप्सूल, टेबलेट या पाउडर के फॉर्म में होगा उपलब्ध
शैवाल से खाद्य पदार्थ बनाने के लिए वैज्ञानिक शैवाल से ऐसे पदार्थों को अलग कर रहे हैं, जो मानव शरीर को हानि पहुंचा सकते हैं. इसके बाद इससे पौष्टिक तत्वों को निकालकर खाद्य पदार्थ तैयार किया जाएगा. ये खाद्य पदार्थ कैप्सूल, टेबलेट या पाउडर के फॉर्म में तैयार किया जाएगा, ताकि इसे लोगों तक आसानी से पहुंचाया जा सके. डॉ. वी. अंगु सेल्वी ने कहा कि शैवाल से तैयार खाद्य पदार्थ पूरी तरह से शाकाहारी होंगे. इसके साथ ही इसकी लागत इतनी कम रखने की कोशिश होगी ताकि गरीब तबके के लोग भी इसका उपयोग कर सकें. शैवाल से बने इस तरह के पौष्टिक फूड प्रोडक्टस का उपयोग बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं भी कर सकती हैं.
कोरोना काल में भी काम जारी
कोरोना काल के दौरान भी इस प्रोजेक्ट पर निरंतर काम होता रहा. कोरोना काल का इस प्रोजेक्ट पर कोई असर नहीं पड़ा है और यह अपने निर्धारित समय पर लोगों के लिए उपलब्ध होगा. ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ. वी. अंगु सेल्वी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए सिंफर से लगातार फंड उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई. हालांकि धनबाद से दूसरे जगह आने जाने को लेकर थोड़ी समस्या उत्पन्न हुई है लेकिन उससे बहुत ज्यादा अंतर नहीं पड़ा.
फिलहाल चीन, जापान, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में शैवाल का उपयोग खाद्य पदार्थ के रूप में किया जाता है. बढ़ती जनसंख्या के बीच खाद्य समस्या के हल के लिए ऐसे प्रयोग जरूरी हैं. ये प्रयोग सफल रहा तो शैवाल हमारे दैनिक खानपान में शामिल हो जाएगा. इससे पौष्टिकता बढ़ेगी और खाद्य समस्या का समाधान भी हो सकेगा. वैज्ञानिकों की मानें तो इससे कुपोषण पर भी काबू पाने में आसानी होगी. शैवाल के उत्पाद को लेकर किसानों को प्रशिक्षित भी किया जाएगा, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे.