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धनबाद में स्कूल वैन संचालकों की हड़ताल, अभिभावकों ने कहा-बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं

धनबाद में स्कूल वैन संचालकों की हड़ताल ने बच्चों और अभिभावकों की परेशानी बढ़ा दी है. सड़कों पर एक भी स्कूल वैन नजर नहीं आ रही है. बाइक और अन्य साधनों से अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने पहुंचे.

बच्चों को स्कूल छोड़ते परिजन
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Published : Aug 20, 2019, 10:48 AM IST

धनबाद: जिले में स्कूल वैन संचालकों की हड़ताल ने बच्चों और अभिभावकों की परेशानी बढ़ा दी है. सड़कों पर एक भी स्कूल वैन नजर नहीं आया. बाइक और अन्य साधनों से अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने पहुंचे. कुछ अभिभावकों ने स्कूल वैन संचालकों की हड़ताल को जायज ठहराया तो कुछ ने बच्चों की सुरक्षा का हवाला देते हुए प्रशासन के आदेश को सही ठहराया है.

देखें पूरी खबर

जिले के कार्मिक नगर स्थित डीपीएस में अपने बच्चे को पहुंचाने आए दिलीप सिंह ने कहा कि सब काम छोड़कर बच्चे को स्कूल पहुंचाना पड़ रहा है. अब तो ऐसा लगता है कि हमारा ऑफिस छूटेगा या फिर बच्चों का स्कूल. वैन संचालकों की हड़ताल को उन्होंने जायज ठहराया है, उन्होंने कहा कि इतने दिनों से वैन के ड्राइवर के भरोसे ही बच्चे घर से स्कूल आना जाना करते हैं. संजीव रंजन ने प्रशासन के आदेश को सही ठहराया और कहा कि प्रशासन के आदेश के कारण वैन संचालकों की हुई हड़ताल से थोड़ी परेशानी जरूर बढ़ी है लेकिन बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ बिल्कुल भी ठीक नहीं है. स्कूल वैन को कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन कराने पर उन्होंने आपत्ति जतायी है.

ये भी पढ़ें- बोकारो जिला समादेष्टा पर घूस लेने का आरोप, होमगार्ड जवानों ने लिखा DC- DGP को पत्र

एक अन्य अभिभावक ने वैन संचालकों की हड़ताल को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा स्कूल वैन कॉमर्शियल होना चाहिए. इसके साथ ही सुरक्षा के मानकों का भी ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम एक बच्चे का प्रति माह 1300 रुपए स्कूल वैन के लिए भुगतान करते हैं. दरअसल, स्कूल वैन संचालक जिला परिवहन अधिकारी के उस आदेश के विरोध में आज हड़ताल पर हैं, जिसमें उन्होंने स्कूल वैन के लिए कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने के साथ सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है. वैन संचालकों ने फिलहाल मंगलवार को एक दिन हड़ताल की घोषणा की है. यदि प्रशासन ने अपना रवैया नहीं बदला तो विरोध आगे लंबा भी चल सकता है.

धनबाद: जिले में स्कूल वैन संचालकों की हड़ताल ने बच्चों और अभिभावकों की परेशानी बढ़ा दी है. सड़कों पर एक भी स्कूल वैन नजर नहीं आया. बाइक और अन्य साधनों से अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने पहुंचे. कुछ अभिभावकों ने स्कूल वैन संचालकों की हड़ताल को जायज ठहराया तो कुछ ने बच्चों की सुरक्षा का हवाला देते हुए प्रशासन के आदेश को सही ठहराया है.

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जिले के कार्मिक नगर स्थित डीपीएस में अपने बच्चे को पहुंचाने आए दिलीप सिंह ने कहा कि सब काम छोड़कर बच्चे को स्कूल पहुंचाना पड़ रहा है. अब तो ऐसा लगता है कि हमारा ऑफिस छूटेगा या फिर बच्चों का स्कूल. वैन संचालकों की हड़ताल को उन्होंने जायज ठहराया है, उन्होंने कहा कि इतने दिनों से वैन के ड्राइवर के भरोसे ही बच्चे घर से स्कूल आना जाना करते हैं. संजीव रंजन ने प्रशासन के आदेश को सही ठहराया और कहा कि प्रशासन के आदेश के कारण वैन संचालकों की हुई हड़ताल से थोड़ी परेशानी जरूर बढ़ी है लेकिन बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ बिल्कुल भी ठीक नहीं है. स्कूल वैन को कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन कराने पर उन्होंने आपत्ति जतायी है.

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एक अन्य अभिभावक ने वैन संचालकों की हड़ताल को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा स्कूल वैन कॉमर्शियल होना चाहिए. इसके साथ ही सुरक्षा के मानकों का भी ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम एक बच्चे का प्रति माह 1300 रुपए स्कूल वैन के लिए भुगतान करते हैं. दरअसल, स्कूल वैन संचालक जिला परिवहन अधिकारी के उस आदेश के विरोध में आज हड़ताल पर हैं, जिसमें उन्होंने स्कूल वैन के लिए कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने के साथ सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है. वैन संचालकों ने फिलहाल मंगलवार को एक दिन हड़ताल की घोषणा की है. यदि प्रशासन ने अपना रवैया नहीं बदला तो विरोध आगे लंबा भी चल सकता है.

Intro:धनबाद।जिले में स्कूल वैन संचालकों की हड़ताल ने बच्चों और अभिभावकों की परेशानी बढ़ा दी है। सड़कों पर एक भी स्कूल वैन नजर नहीं आए।बाइक एवं अन्य साधनों से अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने पहुंचे।


Body:कुछ अभिभावकों ने स्कूल वैन संचालकों की हड़ताल को जायज ठहराया तो कुछ ने बच्चों की सुरक्षा का हवाला देते हुए प्रशासन के आदेश को सही ठहराया है।
जिले के कार्मिक नगर स्थित डीपीएस स्कूल में अपने बच्चे को पहुँचाने आए दिलीप सिंह ने कहा सब काम छोड़कर बच्चे को स्कूल पहुँचाना पड़ रहा है।अब तो ऐसा लगता है कि हमारा ऑफिस छूटेगा या फिर बच्चे का स्कूल। वैन संचालकों की हड़ताल को उन्होंने जायज ठहराया है।उन्होंने कहा कि इतने दिनों से वैन के ड्राइवर के भरोसे ही बच्चे घर से स्कूल आना जाना करते हैं।संजीव रंजन ने कहा कि प्रशासन के आदेश के कारण वैन संचालकों की हुई हड़ताल से थोड़ी परेशानी जरूर बढ़ी है।लेकिन बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ बिलकुल भी ठीक नही है।उन्होंने प्रशासन के आदेश को सही ठहराया है।लेकिन स्कूल वैन को कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन कराने पर उन्होंने आपत्ति जतायी है।

एक अन्य अभिभावक टीपी मंडल ने वैन संचालकों की हड़ताल को गलत ठहराया है।उन्होंने कहा स्कूल वैन कॉमर्शियल होना चाहिए साथ ही सुरक्षा के मानकों का भी ख्याल रखना चाहिए।उन्होंने कहा कि हम एक बच्चे का प्रति माह 1300 रुपए स्कूल वैन के लिए भुगतान करते है।



Conclusion:दरअसल, स्कूल वैन संचालक जिला परिवहन अधिकारी के उस आदेश के विरोध में आज हड़ताल पर हैं।जिसमें उन्होंने स्कूल वैन के लिए कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने के साथ सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है।वैन संचालकों ने फिलहाल मंगलवार को एक दिन हड़ताल की घोषणा की है।यदि प्रशासन अपना रवैया नही बदला तो विरोध आगे लंबा भी चल सकता है।
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