धनबाद: निगम द्वारा अपने क्षेत्र की तालाबों की बंदोबस्ती की जाने की घोषणा पर तालाबों से जुड़े रोजगार छिनने और इनसे बनी मछुआरों की समितियों का अस्तित्व समाप्त होने का खतरा मंडराने लगा है. बंदोबस्ती को लेकर मछुआरे बेहद चिंतित हैं. सांसद पीएन सिंह ने मछुआरों के दर्द को एहसास करते हुए जिले के डीसी उमाशंकर सिंह को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने मत्स्य विभाग के अधीन बंदोबस्त होने वाले तालाबों को निगम के द्वारा बंदोबस्ती से मुक्त करने की मांग की है, ताकि मछुआरों के रोजगार बना रहे और इनकी समितियों का अस्तित्व बना रहे.
सांसद प्रतिनिधि अजय निषाद के द्वारा मामले को लेकर सांसद पीएन सिंह को लिखित रूप से मछुआरों की भविष्य में होने वाली रोजी रोटी की समस्याओं से अवगत कराया गया था. इसी पत्र के आलोक में सांसद ने डीसी को अवगत कराते हुए एक पत्र लिखकर मांग की है. सांसद पीएन सिंह ने डीसी को बताया कि मत्स्य विभाग के अधीन बंदोबस्त होने वाले तालाबों को लेकर धनबाद नगर निगम द्वारा अपने निगम क्षेत्र में पड़ने वाले बंदोबस्ती की कराए जाने की बात कही जा रही है, जिसके कारण मछुआरों में भय का माहौल व्याप्त है. अगर ऐसा हुआ तो धनबाद, झरिया, बाघमारा में कार्यरत मत्स्यजीवी सहयोग समितियों के सदस्यों एवं उनसे जुड़े छह से सात हजार मछुआरों के समक्ष रोजी रोजगार की समस्या खड़ी हो जाएगी.
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निगम द्वारा इन तालाबों पर पूंजीपतियों व पैसे वाले ठेकेदारों का कब्जा हो जाएगा. इन तालाबों में समितियों को मतस्य विभाग में मिलने वाली बंदोबस्ती में प्राथमिकताएं, जाल, जीरा, फिड अन्य योजनाओं में लाभ आदि सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा. इस तरह समितियों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा. तालाब ही एक मात्र माध्यम है, जो मछुआरों को मत्स्य विभाग से जोड़े रखती है. इन सभी बातों को संज्ञान में लेते हुए हजारों मछुआरों की रोजी रोजगार की रक्षा के मत्स्य विभाग के अधीन बंदोबस्ती होने तलाबों की बंदोबस्ती मत्स्य विभाग में ही होता रहे. ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग सांसद ने डीसी से की है.