धनबाद: देश के कई राज्यों के न्यायालय के जज, पुलिस अधिकारी को आईआईटी आइआईएम धनबाद में साइबर क्राइम अनुसंधान पर ट्रेनिंग देने वाले साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट दीपक कुमार (Cyber security expert Deepak Kumar) को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. नौ वर्ष पहले थाना प्रभारी मधुसूदन डे ने 20 हजार लेकर लैपटॉप नहीं देने का आरोप लगया था. इस मामले मे न्यायालय ने दीपक को धनबाद कोर्ट ने निर्दोष पाया है(Deepak Kumar acquitted by Dhanbad court).
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कोर्ट ने गवाहों पर वारंट जारी करने के बाद एसपी और डीसी को भी गवाहों को उपस्थिति के लिए पत्राचार किया, लेकिन एक भी गवाह नहीं आया. दीपक कुमार ने वर्ष 2012 में धनबाद के सभी पुलिस अधिकारी को एसपी कार्यालय में प्रशिक्षण दिया था. इसके बाद दीपक ने शहर एक होटल में चार जनवरी से आठ जनवरी 2013 तक प्रशिक्षण दिया था. इसमें तत्कालीन थाना प्रभारी मधुसूदन डे भी थे. मधुसूदन ने आरोप लगाया था कि जनवरी 2013 को दोस्तों के साथ बैठकर गपशप कर रहे थे उसी बीच एक शख्स आया उसने अपना नाम दीपक बताया और 20 हजार रुपये लैपटॉप के लिए ले लिए. इसके बाद उसने न ही पैसा वापस किया और लैपटॉप भी नहीं दिया.
दीपक ने इसे कोर्ट में चुनौती दी कि नौ जनवरी 2013 को वो एक कार्यक्रम में डीएवी बोकारो में थे और उन्होंने कोई रसीद नहीं दी. दीपक के अधिवक्ता प्रमोद प्रभाकर ने पैरवी की. उन्होंने एक दैनिक समाचार पत्र की कटिंग और फोटो, वीडियो दिखाया और न्यायालय से कहा कि तस्वीर अचानक मुलाकात की नहीं, बल्कि ट्रेनिंग में सभी पुलिस वाले भी हैं. 2012 में भी एसपी कार्यालय में ट्रेनिंग लिए थे. पूर्व से सभी अधिकारी परिचित हैं. अभी तक ट्रेनिंग का पैसा भुगतान नहीं किया है.मुसीबत के समय मेहनत का पैसा मांगा तो इन लोगों ने अपना रंग रूप दिखाकर केस कर दिया.
दीपक ने कहा कि वह करीब तीन करोड़ की मानहानि का मुकदमा मधुसूदन डे के साथ जांचकर्ता पुलिस पर भी करेंगे. बिना उनका बयान लिए आरोप पत्र दायर किया था. इतना ही नहीं रसीद जब देने का दावा किया तो पुलिस ने उसे क्यों नहीं लगाया. एफआईआर में लिखा गया कि कई बार बात हुई तो फोन का सीडीआर क्यों नहीं लगाया गया, क्योंकि उनकी बात नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि वे उच्च न्यालय में भी याचिका दायर करेंगे कि मुकदमा दायर करने के बाद पुलिस न्यायालय में हाजिर नहीं हुई.