धनबाद: कोयलांचल को देश की कोयले की राजधानी कहा जाता है और यहीं के कोयले से बनी बिजली से पूरे देश को रौशनी मिलती है. लेकिन अब इसी राजधानी में बीसीसीएल के लोडिंग प्वाइंट से कोयला ढुलाई में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है. कोयले के इस गोरखधंधे से बीसीसीएल और सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है.
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कोयले के गोरखधंधे को समझिए
धनबाद में किस तरह कोयले का फर्जीवाड़ा हो रहा है और कैसे सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान पहुंचाया जा रहा है इसको समझने की जरूरत है. गोरखधंधे की शुरुआत ई-ऑक्शन से ही शुरू हो जाती है. इसके लिए सबसे पहले कोयला व्यवसाई ई- ऑक्शन के तहत सबसे लो ग्रेड यानी कि आर ओ एम कोयले की खरीदारी करता है. जिसका बाजार मूल्य लगभग 3 हजार 797 रुपये प्रति टन है. लेकिन ढुलाई आर ओ एम कोयले की जगह स्टीम कोयले की होती है जिसकी कीमत लगभग 12 हजार रुपये प्रति टन है. यानी प्रति टन 9 हजार रुपये की चपत सरकार को लगाई जा रही है.
कितना बड़ा है ये गोरखधंधा
कोयले का ये गोरखधंधा कितना बड़ा है और सरकार को कितना नुकसान पहुंचाया जा रहा है इसको ऐसे समझा जा सकता है. कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे के एक रैक से एक बार में 4 हजार टन कोयला लोड किया जाता है. अगर ऐसे 10 रेलवे रैक को लोड किया जाय तो प्रति टन 9 हजार के हिसाब से सरकारी राजस्व के नुकसान का आकलन लगाया जा सकता है. बता दें कि धनबाद बीसीसीएल में रेल के 10 से ज्यादा लोडिंग प्वाइंट है और सभी जगह इसी तरह का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है.
स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत
आरओएम की जगह स्थानीय स्टीम कोयले की ढुलाई अधिकारियों की मिलीभगत से किए जाने का आरोप लगाया जाता रहा है. स्टीम कोयला बेहतर क्वालिटी का होता है जिसकी साइज आर ओ एम कोयले की तुलना में काफी बड़ी होती है.
पीएमओ को पत्र
कोयले के इस गोरखधंधे को रोकने के लिए धनबाद के एक व्यक्ति ने पीएमओ को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है. पत्र में ये बताया गया है कि किस तरह राज्य में बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम देकर जहां सरकार को चूना लगाया जा रहा है वहीं सरकारी अधिकारी और कोयला व्यवसाई मालामाल हो रहे हैं. पीएमओ से शिकायत के बाद कुछ कार्रवाई होती है या फिर नहीं ये देखने वाली बात होगी.