धनबाद: कैबिनेट में बुधवार को कोयला उद्योग में सौ फीसदी एफडीआई की मंजूरी मिलने के बाद सरकार के समानांतर चलने वाली मजदूर संगठन बीएमएस भी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहा है. बीएमएस ने सरकार के इस फैसले को मजदूर विरोधी करार दिया है.
कोयला से चलने वाले उद्योगों पर संकट
बीएमएस के प्रदेश महामंत्री सह जेबीसीसीआई के सदस्य बिंदेश्वरी प्रसाद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि सरकार के इस फैसले से भारतीय मजदूर संघ काफी मर्माहत और दुखी है. इस फैसले से आने वाले समय मे मजदूर वर्ग और कोयला से चलने वाले उद्योगों पर संकट आने की पूरी संभावना है. कोयला जगत में हर तरह की बहाली पूरी तरह बंद हो जाएगी.
पूंजीपति भी कोयला उद्योग से वंचित
बिंदेश्वरी प्रसाद ने कहा कि इस फैसले से कोयला उद्योग पूरी तरह से निजीकरण की ओर बढ़ गया है. विदेशी पूंजी का जब निवेश होगा तो यहां के पूंजीपति भी कोयला उद्योग में निवेश से वंचित रह जाएंगे. यहां के पूंजीपतियों को भी नुकसान उठाना पड़ेगा.
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मजदूर संघ करेगा आंदोलन
बिंदेश्वरी प्रसाद ने कहा कि अधिकतर यूनियन के नेता राजनीतिक भावना से प्रेरित होकर काम करते हैं. इस राजनीतिक भावना से ऊपर उठकर वर्तमान में निःस्वार्थ भाव से एक होकर आंदोलन करने की जरुरत है. यदि यूनियन की पूरी जमात उठकर मजदूरों के लिए लड़ाई लड़ेंगे तो सरकार बैकफुट पर आ जाएगी. उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ सरकार के इस फैसले के खिलाफ बृहद आंदोलन करने जा रहा है.