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SPECIAL: सब्जी व्यापारी परेशान, आधे से कम भाव में बिक रही सब्जियां - धनबाद में सब्जी विक्रेता

धनबाद में सब्जी व्यापारियों की परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. जो लोग पहले सब्जी बेचकर अपनी आजीविका चला लेते थे अब उन्हें दो वक्त के खाने के लिए सोचना पड़ रहा है. इधर, ग्राहक के भी बाजार नहीं पहुंचने पर सब्जियों के दाम में तेजी से गिरावट आई है.

bad condition of vegetable traders in dhanbad
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Published : Jun 8, 2020, 2:51 PM IST

धनबाद: कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में कोहराम मचा रखा है. भारतवर्ष में भी मरीजों की संख्या में वृद्धि नहीं थम रही है. सबसे ज्यादा परेशानी निम्न स्तर के लोगों को उठानी पड़ी है, जो मजदूरी करते थे या फिर सब्जी बेचकर प्रत्येक दिन अपना घर चलाते थे. धनबाद में सब्जी विक्रेता इन दिनों काफी परेशान हैं. उन्हें उनकी मेहनत की सही कीमत नहीं मिल पा रही है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-धनबादः 8वीं बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट में गड़बड़ी, छात्रा पहले हुई पास, फिर किया अब्सेंट

मता दें कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस समय सब्जी के दाम आधे से भी कम हैं. ग्रामीण महिलाएं सब्जी लेकर बाजार पहुंच रही हैं और मजबूरी में जैसे-तैसे औने-पौने भाव में सब्जी बेच रही हैं. उसके बावजूद भी सब्जियां नहीं बिक रही है. मजबूरी में उन्हें आधी सब्जी कम दामों में देने के बाद भी घर वापस ले जाना पड़ रहा है.

ग्राहक नहीं पहुंच रहे बाजार

जानकारों की माने तो कोरोना के कहर ने सभी बड़े और छोटे व्यापार को प्रभावित किया है. सब्जी के कम दामों के बारे में लोगों ने बताया कि लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं और लोगों का रोजगार भी छीन गया है. एक तो लोगों के पास पैसा भी नहीं है. दूसरी ओर ऐसे लोग हैं जिनके पास पैसा है पर वह बाजार नहीं जा पा रहे हैं या फिर कोरोना के डर से बाजार जाना नहीं चाह रहे हैं. यही वजह है कि ग्राहक बाजार तक नहीं पहुंच रहे हैं. जब बाजार में ग्राहक की कमी हो जाएगी तो सामान के दाम वैसे भी कम हो जाएंगे.

वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि लॉकडाउन होने के बाद लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं. प्रवासी भी चाहे वह मजदूर हों या अन्य लोग सभी अपने घर वापस आ गए हैं और घर में वह कम से कम साग और सब्जी की खेती अपनी छोटी सी जमीन पर ही कर रहे हैं. जिस कारण सब्जी की उपज काफी मात्रा में अब हो रही है. खासकर ग्रामीण इलाकों में प्रत्येक घरों में साग और सब्जी की खेती अभी वर्तमान में हो रही है जिस कारण बाजार में लोकल सब्जियां ज्यादा मात्रा में पहुंच रही हैं.

ये भी पढ़ें-रांचीः लॉकडाउन में ट्रक चालकों से मांगी जा रही थी रंगदारी, दारोगा ने नहीं की कार्रवाई, SSP ने किया सस्पेंड

ओने-पौने भाव में सब्जी बेचने को मजबूर

सब्जी बेचने वाली महिलाओं ने बताया की पिछले साल 40-50 में लोकल सब्जियां बिकती थी लेकिन अभी 15-20 रुपए में भी खरीददार नहीं मिल रहे हैं. ग्रामीण महिलाओं ने बतलाया कि सरकार की तरफ से जन वितरण प्रणाली से चावल तो मिल रहा है लेकिन चावल के अलावा भी कई प्रकार के जरूरत के सामान होते हैं जिसकी व्यवस्था नहीं हो पा रही है. सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि मजबूरन ओने-पौने भाव में सब्जी देकर घर वापस चला जाना पड़ रहा है.

धनबाद में सब्जी की कीमत काफी अधिक रहती है. इस वर्ष समय-समय पर बीच में वर्षा भी होती रही है. लोगों को पानी की समस्या भी कम हुई है और लॉकडाउन के बाद घरों में रहने के कारण लोग खुद से ही खासकर सब्जी जैसी छोटी चीज उगा ले रहे हैं. ऐसे में सब्जी का दाम कम होना लाजमी है. हालांकि, इस कारण ग्रामीण महिलाओं को जरूर परेशानी हुई है जो सब्जी बेचकर ही अपना जीवन-यापन करती थीं. वहीं, इसका फायदा ग्राहकों को जरूर मिला है.

इस पूरे मामले पर जिला कृषि पदाधिकारी का कहना है कि सब्जी की कम कीमत होने का मुख्य कारण बिचौलियों का हावी नहीं होना है क्योंकि पहले बिचौलिए हावी होते थे और बिचौलिए ही सब्जी के दाम बढ़ा देते थे, लेकिन दाम के कम होने से सबसे ज्यादा फायदा ग्राहक को ही हुआ है.

धनबाद: कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में कोहराम मचा रखा है. भारतवर्ष में भी मरीजों की संख्या में वृद्धि नहीं थम रही है. सबसे ज्यादा परेशानी निम्न स्तर के लोगों को उठानी पड़ी है, जो मजदूरी करते थे या फिर सब्जी बेचकर प्रत्येक दिन अपना घर चलाते थे. धनबाद में सब्जी विक्रेता इन दिनों काफी परेशान हैं. उन्हें उनकी मेहनत की सही कीमत नहीं मिल पा रही है.

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मता दें कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस समय सब्जी के दाम आधे से भी कम हैं. ग्रामीण महिलाएं सब्जी लेकर बाजार पहुंच रही हैं और मजबूरी में जैसे-तैसे औने-पौने भाव में सब्जी बेच रही हैं. उसके बावजूद भी सब्जियां नहीं बिक रही है. मजबूरी में उन्हें आधी सब्जी कम दामों में देने के बाद भी घर वापस ले जाना पड़ रहा है.

ग्राहक नहीं पहुंच रहे बाजार

जानकारों की माने तो कोरोना के कहर ने सभी बड़े और छोटे व्यापार को प्रभावित किया है. सब्जी के कम दामों के बारे में लोगों ने बताया कि लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं और लोगों का रोजगार भी छीन गया है. एक तो लोगों के पास पैसा भी नहीं है. दूसरी ओर ऐसे लोग हैं जिनके पास पैसा है पर वह बाजार नहीं जा पा रहे हैं या फिर कोरोना के डर से बाजार जाना नहीं चाह रहे हैं. यही वजह है कि ग्राहक बाजार तक नहीं पहुंच रहे हैं. जब बाजार में ग्राहक की कमी हो जाएगी तो सामान के दाम वैसे भी कम हो जाएंगे.

वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि लॉकडाउन होने के बाद लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं. प्रवासी भी चाहे वह मजदूर हों या अन्य लोग सभी अपने घर वापस आ गए हैं और घर में वह कम से कम साग और सब्जी की खेती अपनी छोटी सी जमीन पर ही कर रहे हैं. जिस कारण सब्जी की उपज काफी मात्रा में अब हो रही है. खासकर ग्रामीण इलाकों में प्रत्येक घरों में साग और सब्जी की खेती अभी वर्तमान में हो रही है जिस कारण बाजार में लोकल सब्जियां ज्यादा मात्रा में पहुंच रही हैं.

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ओने-पौने भाव में सब्जी बेचने को मजबूर

सब्जी बेचने वाली महिलाओं ने बताया की पिछले साल 40-50 में लोकल सब्जियां बिकती थी लेकिन अभी 15-20 रुपए में भी खरीददार नहीं मिल रहे हैं. ग्रामीण महिलाओं ने बतलाया कि सरकार की तरफ से जन वितरण प्रणाली से चावल तो मिल रहा है लेकिन चावल के अलावा भी कई प्रकार के जरूरत के सामान होते हैं जिसकी व्यवस्था नहीं हो पा रही है. सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि मजबूरन ओने-पौने भाव में सब्जी देकर घर वापस चला जाना पड़ रहा है.

धनबाद में सब्जी की कीमत काफी अधिक रहती है. इस वर्ष समय-समय पर बीच में वर्षा भी होती रही है. लोगों को पानी की समस्या भी कम हुई है और लॉकडाउन के बाद घरों में रहने के कारण लोग खुद से ही खासकर सब्जी जैसी छोटी चीज उगा ले रहे हैं. ऐसे में सब्जी का दाम कम होना लाजमी है. हालांकि, इस कारण ग्रामीण महिलाओं को जरूर परेशानी हुई है जो सब्जी बेचकर ही अपना जीवन-यापन करती थीं. वहीं, इसका फायदा ग्राहकों को जरूर मिला है.

इस पूरे मामले पर जिला कृषि पदाधिकारी का कहना है कि सब्जी की कम कीमत होने का मुख्य कारण बिचौलियों का हावी नहीं होना है क्योंकि पहले बिचौलिए हावी होते थे और बिचौलिए ही सब्जी के दाम बढ़ा देते थे, लेकिन दाम के कम होने से सबसे ज्यादा फायदा ग्राहक को ही हुआ है.

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