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अनिता अग्रवाल ने बदल डाली दिव्यांगों की तस्वीर, निःशुल्क मिल रही बच्चों को शिक्षा

धनबाद में अनिता अग्रवाल दिव्यांग बच्चों के लिए 'पहला कदम' नाम का स्कूल चला रही हैं. इस स्कूल में दिव्यांग बच्चे निःशुल्क पढ़ाई के साथ-साथ कई तरह के एक्टिविटी जैसे डांस, ड्रॉइंग आदि सीखते हैं.

Anita Agarwal running a school for differently-abled children in Dhanbad
अनिता अग्रवाल संग बेटा कौशल
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Published : Mar 7, 2020, 3:15 PM IST

धनबाद: आम तौर पर भारतीय महिलाओं को कमजोर माना जाता है लेकिन धनबाद की इस महिला को देखकर आप यह कहना भूल जाएंगे. जिन्होंने खुद से एक दिव्यांग बच्चे को जन्म दिया जिसको लेकर वह सालों तक चिंतित रही, लेकिन अंत में खुद ही वह ना सिर्फ अपने बच्चे का सहारा बनी बल्कि धनबाद के अन्य दिव्यांगों को भी सहारा दे रही हैं.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-कृषि के क्षेत्र में मिसाल पेश कर रही करमी देवी, महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर

कोयलांचल धनबाद के जोड़ाफाटक कब्रिस्तान में रोड इलाके की रहने वाली अनिता अग्रवाल के दो बेटे हैं. इनके पति का नाम अनिल अग्रवाल है और वह व्यवसायी हैं. अनिता के पहले बेटे प्रतीक का जन्म 2000 में हुआ. वहीं, 2001 में उनके दूसरे बेटे कौशल का जन्म हुआ. कौशल दिव्यांग बच्चों में से एक है.

अनिता का बड़ा बेटा प्रतीक अग्रवाल आज शतरंज की दुनिया में नेशनल प्लेयर बन चुका है और कई बार नेशनल गेम भी खेल चुका है. फिलहाल वो भुवनेश्वर में रहकर एमबीए की पढ़ाई कर रहा है. वहीं, कौशल अग्रवाल जन्म से ही दिव्यांग हैं जिसे लेकर अनीता काफी चिंतित रहती थी.

सालों तक भटकने पर भी नहीं मिला इलाज

अनिता अग्रवाल का कहना है कि अपने बेटे को ठीक करने के लिए उसने एड़ी चोटी एक कर दी, बहुत बड़े-बड़े डॉक्टर को भी उन्होंने दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं मिला. अपने बेटे को लेकर वह डॉक्टर के पास 5-6 सालों तक भटकती रही, लेकिन सभी जगह स्पेशल ट्रेनिंग, स्पेशल एजुकेशन की बात बताई जा रही थी.

2009 में खुद दिव्यांग बच्चों को देने लगी ट्रेनिंग

अनिता कहती हैं कि अपने बच्चे के मुंह से मां शब्द ना सुन पाना. यह एहसास ही बहुत पीड़ा देती है. उन्होंने बताया जब इलाज से भी ठीक ना होने की स्थिति नजर आयी तब उन्होंने खुद से यह प्रण लिया कि अब वह अपने बेटे को किसी स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर में ना भेज कर खुद अपने पास रखेगी. इसी सोच के साथ इस महिला ने खुद से दिव्यांग बच्चों को दी जाने वाली ट्रेनिंग ली और अपने ही घर में दो बच्चों के साथ 2009 में बच्चों को ट्रेनिंग देने लगी. वहीं से दिव्यांग बच्चों को ट्रेनिंग देने का सिलसिला चल पड़ा.

दिव्यांग बच्चों का स्कूल- पहला कदम

आज पहला कदम नाम का दिव्यांग बच्चों के लिए स्कूल अनिता चला रही हैं. जिसमें लगभग 200 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है. पहला कदम में ना ही सिर्फ बच्चों को शिक्षा दी जाती है बल्कि शिक्षा के साथ-साथ डांसिंग, खेल आदि सभी प्रकार की ट्रेनिंग इन दिव्यांग बच्चों को दी जाती है. यहां पर सभी कैटेगरी के दिव्यांग बच्चे मौजूद हैं.

अनीता अग्रवाल का कहना है कि शिक्षा के साथ-साथ यहां पर पढ़ने वालों बच्चों के लिए मेडिकल सुविधा, आधार कार्ड, बैंक अकाउंट, दिव्यांग सर्टिफिकेट, हेल्थ इंश्योरेंस आदि सभी प्रकार की सुविधा बच्चों को दी गई है, ताकि बच्चों के माता-पिता को कोई परेशानी ना हो. उनका कहना है कि अधिकांश बच्चे गरीब तबके से आते हैं इनके माता-पिता भी काफी कम पढ़े लिखे होते हैं. ऐसे में उन्हें परेशानी ना हो जिस कारण सारा कार्य यहीं किया जाता है.

नहीं मिली अब तक कोई सरकारी मदद

अनीता अग्रवाल बताती हैं कि बच्चों को पहला कदम स्कूल में भर्ती करने के लिए सांसद, विधायक की पैरवी भी आती है और शिक्षा देने की बात कही जाती है. लेकिन इन्हें अफसोस है कि कई बार सांसद, विधायक से एक गाड़ी की मांग करने के बावजूद भी इन्हें इन दिव्यांग बच्चों के लिए गाड़ी तक मुहैया नहीं करायी गई और ना ही अब तक कोई सरकारी मदद मिल पाई है. उन्हें आशा है कि इस बार धनबाद सांसद पशुपतिनाथ सिंह की तरफ से एक गाड़ी दी जाएगी ताकि बच्चों को घर से लाने ले जाने में कोई परेशानी ना हो.

पहला कदम की संचालिका का अनिता का कहना है कि बीसीसीएल की ओर से एक जगह उपलब्ध करायी गयी है जिस कारण अब जगह के लिए कोई परेशानी नहीं है लेकिन धीरे-धीरे जिस तरह से बच्चे बढ़ रहे हैं, अब आर्थिक परेशानी भी बढ़ रही है. उन्होंने लोगों से भी मदद की अपील की है. उनका कहना है कि जो कोई भी मदद करना चाहते हैं, वह मदद कर सकते हैं ताकि इन बच्चों की परवरिश अच्छी तरह से हो सके इसके लिए उन्होंने अपना बैंक अकाउंट नंबर भी दिया है.

अगर मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो उसे किया जा सकता है यह धनबाद की इस महिला ने कर दिखाया है. लेकिन जिस तरीके से अब पहला कदम में बच्चे बढ़ रहे हैं महिला ने आम लोगों से भी मदद की अपील की है.

धनबाद: आम तौर पर भारतीय महिलाओं को कमजोर माना जाता है लेकिन धनबाद की इस महिला को देखकर आप यह कहना भूल जाएंगे. जिन्होंने खुद से एक दिव्यांग बच्चे को जन्म दिया जिसको लेकर वह सालों तक चिंतित रही, लेकिन अंत में खुद ही वह ना सिर्फ अपने बच्चे का सहारा बनी बल्कि धनबाद के अन्य दिव्यांगों को भी सहारा दे रही हैं.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-कृषि के क्षेत्र में मिसाल पेश कर रही करमी देवी, महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर

कोयलांचल धनबाद के जोड़ाफाटक कब्रिस्तान में रोड इलाके की रहने वाली अनिता अग्रवाल के दो बेटे हैं. इनके पति का नाम अनिल अग्रवाल है और वह व्यवसायी हैं. अनिता के पहले बेटे प्रतीक का जन्म 2000 में हुआ. वहीं, 2001 में उनके दूसरे बेटे कौशल का जन्म हुआ. कौशल दिव्यांग बच्चों में से एक है.

अनिता का बड़ा बेटा प्रतीक अग्रवाल आज शतरंज की दुनिया में नेशनल प्लेयर बन चुका है और कई बार नेशनल गेम भी खेल चुका है. फिलहाल वो भुवनेश्वर में रहकर एमबीए की पढ़ाई कर रहा है. वहीं, कौशल अग्रवाल जन्म से ही दिव्यांग हैं जिसे लेकर अनीता काफी चिंतित रहती थी.

सालों तक भटकने पर भी नहीं मिला इलाज

अनिता अग्रवाल का कहना है कि अपने बेटे को ठीक करने के लिए उसने एड़ी चोटी एक कर दी, बहुत बड़े-बड़े डॉक्टर को भी उन्होंने दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं मिला. अपने बेटे को लेकर वह डॉक्टर के पास 5-6 सालों तक भटकती रही, लेकिन सभी जगह स्पेशल ट्रेनिंग, स्पेशल एजुकेशन की बात बताई जा रही थी.

2009 में खुद दिव्यांग बच्चों को देने लगी ट्रेनिंग

अनिता कहती हैं कि अपने बच्चे के मुंह से मां शब्द ना सुन पाना. यह एहसास ही बहुत पीड़ा देती है. उन्होंने बताया जब इलाज से भी ठीक ना होने की स्थिति नजर आयी तब उन्होंने खुद से यह प्रण लिया कि अब वह अपने बेटे को किसी स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर में ना भेज कर खुद अपने पास रखेगी. इसी सोच के साथ इस महिला ने खुद से दिव्यांग बच्चों को दी जाने वाली ट्रेनिंग ली और अपने ही घर में दो बच्चों के साथ 2009 में बच्चों को ट्रेनिंग देने लगी. वहीं से दिव्यांग बच्चों को ट्रेनिंग देने का सिलसिला चल पड़ा.

दिव्यांग बच्चों का स्कूल- पहला कदम

आज पहला कदम नाम का दिव्यांग बच्चों के लिए स्कूल अनिता चला रही हैं. जिसमें लगभग 200 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है. पहला कदम में ना ही सिर्फ बच्चों को शिक्षा दी जाती है बल्कि शिक्षा के साथ-साथ डांसिंग, खेल आदि सभी प्रकार की ट्रेनिंग इन दिव्यांग बच्चों को दी जाती है. यहां पर सभी कैटेगरी के दिव्यांग बच्चे मौजूद हैं.

अनीता अग्रवाल का कहना है कि शिक्षा के साथ-साथ यहां पर पढ़ने वालों बच्चों के लिए मेडिकल सुविधा, आधार कार्ड, बैंक अकाउंट, दिव्यांग सर्टिफिकेट, हेल्थ इंश्योरेंस आदि सभी प्रकार की सुविधा बच्चों को दी गई है, ताकि बच्चों के माता-पिता को कोई परेशानी ना हो. उनका कहना है कि अधिकांश बच्चे गरीब तबके से आते हैं इनके माता-पिता भी काफी कम पढ़े लिखे होते हैं. ऐसे में उन्हें परेशानी ना हो जिस कारण सारा कार्य यहीं किया जाता है.

नहीं मिली अब तक कोई सरकारी मदद

अनीता अग्रवाल बताती हैं कि बच्चों को पहला कदम स्कूल में भर्ती करने के लिए सांसद, विधायक की पैरवी भी आती है और शिक्षा देने की बात कही जाती है. लेकिन इन्हें अफसोस है कि कई बार सांसद, विधायक से एक गाड़ी की मांग करने के बावजूद भी इन्हें इन दिव्यांग बच्चों के लिए गाड़ी तक मुहैया नहीं करायी गई और ना ही अब तक कोई सरकारी मदद मिल पाई है. उन्हें आशा है कि इस बार धनबाद सांसद पशुपतिनाथ सिंह की तरफ से एक गाड़ी दी जाएगी ताकि बच्चों को घर से लाने ले जाने में कोई परेशानी ना हो.

पहला कदम की संचालिका का अनिता का कहना है कि बीसीसीएल की ओर से एक जगह उपलब्ध करायी गयी है जिस कारण अब जगह के लिए कोई परेशानी नहीं है लेकिन धीरे-धीरे जिस तरह से बच्चे बढ़ रहे हैं, अब आर्थिक परेशानी भी बढ़ रही है. उन्होंने लोगों से भी मदद की अपील की है. उनका कहना है कि जो कोई भी मदद करना चाहते हैं, वह मदद कर सकते हैं ताकि इन बच्चों की परवरिश अच्छी तरह से हो सके इसके लिए उन्होंने अपना बैंक अकाउंट नंबर भी दिया है.

अगर मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो उसे किया जा सकता है यह धनबाद की इस महिला ने कर दिखाया है. लेकिन जिस तरीके से अब पहला कदम में बच्चे बढ़ रहे हैं महिला ने आम लोगों से भी मदद की अपील की है.

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