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पंचतत्व में विलीन AK राय, छोटे भाई तापस राय ने दी मुखाग्नि

पूर्व सांसद एके राय पंचतत्व में विलीन हो गए. इस दौरान हजारों की संख्या में समर्थक अपने नेता का दर्शन करने पहुंचे. वहीं जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन भी एके राय के अंतिम दर्शन में शामिल हुए.

जानकारी देते तापस राय
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Published : Jul 22, 2019, 8:17 PM IST

धनबाद: पूर्व सांसद सह मासस के संस्थापक एके राय सोमवार पंचतत्व में विलीन हो गए. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. झारखंड आंदोलन के सूत्रधार रहे एके राय ने भारतीय राजनीति के लिए एक मिसाल कायम की है, जिसका अनुकरण करना अब असंभव सा लगता है.

जानकारी देते तापस राय


एके राय के छोटे भाई तापस राय ने मुखाग्नि दी. झारखंड आंदोलन में विनोद बिहारी महतो, एके राय और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की तिकड़ी चलती थी. तीनों में गहरी मित्रता थी. शिबू सोरेन भी एके राय के अंतिम दर्शन करने पहुंचे थे. रविवार को धनबाद के केंद्रीय अस्पताल में एके राय ने अंतिम सांस ली. जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को बैंक मोड़ पुराना बाजार स्थित कार्यालय में रात भर रखा गया. सोमवार की सुबह में तेतुलतला मैदान में अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को रखा गया, यहां पर हजारों लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए.


शिबू सोरेन ने किया दर्शन
बाद में पार्थिव शरीर को नुनुडीह ले जाया गया, जहां पर वह अपने एक कॉमरेड के यहां रहा करते थे. वहां पर अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. शिबू सोरेन ने भी इनका अंतिम दर्शन वहीं पर किया. उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को दामोदर नदी के मोहलबनी घाट में ले जाया गया यहां पर उन्हें मुखाग्नि दी गई.

ये भी पढे़ं: भाकपा माओवादी का हार्डकोर नक्सली गिरफ्तार, कई मुठभेड़ में था शामिल
सबसे बड़े भाई थे एके राय
एके राय चार भाईयों में सबसे बड़े भाई थे और उनकी एक बहन है. एके राय को मुखाग्नि उनके सबसे छोटे भाई तापस राय ने दी. उन्होंने कहा ऐसे लोग इतिहास बनाने के लिए ही धरती पर आते हैं और इतिहास बना कर चले जाते हैं. तापस राय ने कहा उनके परिवार ने शुरू से ही देश के लिए बलिदान दिया है. उनकी मां और पिताजी दोनों स्वतंत्रता सेनानी थे और आजाद भारत के समय में ही उनके घर में प्रेस भी चलता था.

धनबाद: पूर्व सांसद सह मासस के संस्थापक एके राय सोमवार पंचतत्व में विलीन हो गए. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. झारखंड आंदोलन के सूत्रधार रहे एके राय ने भारतीय राजनीति के लिए एक मिसाल कायम की है, जिसका अनुकरण करना अब असंभव सा लगता है.

जानकारी देते तापस राय


एके राय के छोटे भाई तापस राय ने मुखाग्नि दी. झारखंड आंदोलन में विनोद बिहारी महतो, एके राय और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की तिकड़ी चलती थी. तीनों में गहरी मित्रता थी. शिबू सोरेन भी एके राय के अंतिम दर्शन करने पहुंचे थे. रविवार को धनबाद के केंद्रीय अस्पताल में एके राय ने अंतिम सांस ली. जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को बैंक मोड़ पुराना बाजार स्थित कार्यालय में रात भर रखा गया. सोमवार की सुबह में तेतुलतला मैदान में अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को रखा गया, यहां पर हजारों लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए.


शिबू सोरेन ने किया दर्शन
बाद में पार्थिव शरीर को नुनुडीह ले जाया गया, जहां पर वह अपने एक कॉमरेड के यहां रहा करते थे. वहां पर अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. शिबू सोरेन ने भी इनका अंतिम दर्शन वहीं पर किया. उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को दामोदर नदी के मोहलबनी घाट में ले जाया गया यहां पर उन्हें मुखाग्नि दी गई.

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सबसे बड़े भाई थे एके राय
एके राय चार भाईयों में सबसे बड़े भाई थे और उनकी एक बहन है. एके राय को मुखाग्नि उनके सबसे छोटे भाई तापस राय ने दी. उन्होंने कहा ऐसे लोग इतिहास बनाने के लिए ही धरती पर आते हैं और इतिहास बना कर चले जाते हैं. तापस राय ने कहा उनके परिवार ने शुरू से ही देश के लिए बलिदान दिया है. उनकी मां और पिताजी दोनों स्वतंत्रता सेनानी थे और आजाद भारत के समय में ही उनके घर में प्रेस भी चलता था.

Intro:धनबाद :पूर्व सांसद सह मासस के संस्थापक कॉमरेड एके राय आज तत्व में विलीन हो गए. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.झारखंड आंदोलन के सूत्रधार रहे ए के राय ने भारतीय राजनीति के लिए एक मिसाल कायम की है जिसका अनुकरण करना अब असंभव सा लगता है. मुखाग्नि ए के राय के छोटे भाई तापस राय ने दी.झारखंड आंदोलन में स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो, स्वर्गीय ए के राय और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की तिकड़ी चलती थी तीनों में गहरी मित्रता थी आज शिबू सोरेन भी ए के राय के अंतिम दर्शन करने पहुंचे.


Body:कल धनबाद के केंद्रीय अस्पताल में एके राय ने अंतिम सांस ली. जिसके बाद कल उनके पार्थिव शरीर को बैंक मोड़ पुराना बाजार स्थित कार्यालय में रात भर रखा गया. आज सुबह में तेतुलतला मैदान में अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को रखा गया यहां पर हजारों लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए.तत्पश्चात उनके पार्थिव शरीर को नुनुडीह ले जाया गया जहां पर वह अपने एक कॉमरेड के यहां रहा करते थे. वहां पर लिखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी शिबू सोरेन ने भी इनका अंतिम दर्शन वहीं पर किया. उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को दामोदर नदी के मोहलबनी घाट में ले जाया गया यहां पर उन्हें मुखाग्नि दी गई.

एके राय चार भाइयों में सबसे बड़े भाई थे और उनकी एक बहन है.एके राय के को मुखाग्नि उनके सबसे छोटे भाई तापस राय ने दी.तापस राय ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज गम के साथ खुशी का भी दिन है क्योंकि आज हमें एक एके राय नहीं बल्कि हजारों एक ही राय मिल गया है,उन्होंने कहा ऐसे लोग इतिहास बनाने के लिए ही धरती पर आते हैं और इतिहास बना कर चले जाते हैं. तपस राय ने कहा हमारे परिवार ने शुरू से ही देश के लिए बलिदान दिया है हमारे मां और पिताजी दोनों स्वतंत्रता सेनानी थे और आजाद भारत के समय में ही हमारे घर में प्रेस भी चलता था.हमारा परिवार बलिदानों का परिवार है. उन्होंने कहा कि धन की नगरी धनबाद में हमारे दादा एके राय कुछ लेने नहीं बल्कि देने आए थे और वह देकर चले गए लोगों के दिलों में राय दादा अमर रहेंगे. एके राय के दो भाई और एक भतीजे श्मशान घाट पर पहुंचे हुए थे.

एके राय को के अंतिम दर्शन के लिए काफी संख्या में मजदूर भी पहुंचे जो अपने सिर पर हेलमेट लगाए हुए थे.उन मजदूरों ने हेलमेट को अपने सिर से उतारकर उठाकर एक एके राय को सलामी दी. पूरा मोहलबनी घाट एके राय अमर रहे के नारों से गूंज रहा था.


Conclusion:लोगों ने बतलाया कि भारतीय राजनीति के एक युग का अंत हो गया है ऐसे नेता ना पैदा हुए हैं और ना ही पैदा होंगे. आज जहां नेता विलासिता से चूर होते हैं वहीं इन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों, मजदूरों और गरीबों की सेवा में बिता दिया इन्हें युगो युगो तक नहीं भुलाया जा सकता. बैंक मोड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सोहराब खान ने मरणोपरांत इन्हें भारत रत्न देने की मांग की है.

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