धनबाद: पूर्व सांसद सह मासस के संस्थापक एके राय सोमवार पंचतत्व में विलीन हो गए. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. झारखंड आंदोलन के सूत्रधार रहे एके राय ने भारतीय राजनीति के लिए एक मिसाल कायम की है, जिसका अनुकरण करना अब असंभव सा लगता है.
एके राय के छोटे भाई तापस राय ने मुखाग्नि दी. झारखंड आंदोलन में विनोद बिहारी महतो, एके राय और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की तिकड़ी चलती थी. तीनों में गहरी मित्रता थी. शिबू सोरेन भी एके राय के अंतिम दर्शन करने पहुंचे थे. रविवार को धनबाद के केंद्रीय अस्पताल में एके राय ने अंतिम सांस ली. जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को बैंक मोड़ पुराना बाजार स्थित कार्यालय में रात भर रखा गया. सोमवार की सुबह में तेतुलतला मैदान में अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को रखा गया, यहां पर हजारों लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए.
शिबू सोरेन ने किया दर्शन
बाद में पार्थिव शरीर को नुनुडीह ले जाया गया, जहां पर वह अपने एक कॉमरेड के यहां रहा करते थे. वहां पर अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. शिबू सोरेन ने भी इनका अंतिम दर्शन वहीं पर किया. उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को दामोदर नदी के मोहलबनी घाट में ले जाया गया यहां पर उन्हें मुखाग्नि दी गई.
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सबसे बड़े भाई थे एके राय
एके राय चार भाईयों में सबसे बड़े भाई थे और उनकी एक बहन है. एके राय को मुखाग्नि उनके सबसे छोटे भाई तापस राय ने दी. उन्होंने कहा ऐसे लोग इतिहास बनाने के लिए ही धरती पर आते हैं और इतिहास बना कर चले जाते हैं. तापस राय ने कहा उनके परिवार ने शुरू से ही देश के लिए बलिदान दिया है. उनकी मां और पिताजी दोनों स्वतंत्रता सेनानी थे और आजाद भारत के समय में ही उनके घर में प्रेस भी चलता था.