देवघर: अपना भारत विविधताओं से भरा देश है. अलग-अलग पहनावा, अलग खान-पान अलग अलग संस्कृति. लेकिन सोच एक होती है देश को बचाना है, देश को बढ़ाना है. कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में झारखंड की आदिवासी महिलाओं ने उससे बचाव का एक अनोखा रास्ता निकाला है.
दरअसल,कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में मास्क को सुरक्षा कवच माना जा रहा है और इसीलिए हर व्यक्ति तक मास्क उपलब्ध कराने की कोशिश हो रही है. इन सब से अलग झारखंड में देवघर के आदिवासी बहुल गांव में महिलाओं ने क्लिनिकल मास्क का एक नायाब विकल्प ढूंढ निकाला है. यहां महिलाएं नीम के पत्तों का मास्क बना कर कोरोना जैसी महामारी को चुनौती दे रही हैं.
नीम के पत्तों का मास्क पहनने वाली महिलाओं का मानना है कि नीम के पत्तों के औषधीय गुण के कारण कोरोना वायरस से उनकी पूरी सुरक्षा होती है. फसल पकने का समय होने के कारण फसल की कटाई से लेकर अन्य कृषि कार्य महिलाएं नीम और अन्य औषधीय गुण वाले पत्तों का मास्क पहन कर ही पूरा कर रही हैं.
आदिवासी महिलाएं रोज ताजा नीम का पत्ता इकट्ठा कर इसका मास्क तैयार करती हैं. इस कार्य में उनके द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा जाता है. गांव के पुरुष भी मानते हैं कि हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा क्लिनिकल मास्क नहीं होने पर गमछा या किसी साफ कपड़े को बतौर मास्क इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है. ऐसे में कीटाणु नाशक और कई अन्य औषधीय गुणों से भरपूर ताजा नीम के पत्ते का मास्क एक बढ़िया विकल्प हो सकता है.
ये भी पढ़ें: रांची के हिंदपीढ़ी में कोरोना संदिग्ध को लाने गई स्वास्थ्य विभाग की टीम, लौटी बैरंग
हालांकि, इसको लेकर जब देवघर के जाने माने डॉक्टर से बात किया गया तो इन्होंने इस मास्क को भ्रांति बताया. उन्होंने कहा कि इस तरह से बनाए मास्क किसी भी तरह कोरोना वायरस के संक्रमण रोकने में कारगर नहीं है.