देवघर: विविधताओं से भरा कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ का दरबार जिसकी परंपरा भी अद्वितीय निराली है और इससे भी निराली बाबा मंदिर में लगने वाली विल्वपत्र प्रदर्शनी है. बेल पत्र के बारे में कहा जाता है कि इस पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से शिव बहुत प्रसन्न होते हैं. जिसे देख भक्त भावविभोर हो रहे है.
देवघर बाबा भोले के तीन नेत्र है और बेलपत्र के तीन पट्टी इसका सूचक है. वर्षों से बाबा बैद्यनाथ के दरबार में ही विल्वपत्र की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई जाती है. यह सावन में पूरे महीने तक चढ़ता है. असाढ़ संक्रांति के अवसर पर बाबा मंदिर में विल्वपत्र की प्रदर्शनी की शुरुआत की जाती है और सावन संक्रांति के दिन इसका समापन किया जाता है.
सभी पंडा बिहार-झारखंड के विभिन्न जंगलों से विल्वपत्र खोज कर लाते है और उसे प्रदर्शनी के दिन चांदी या स्टील के थाली में सजाकर बाबा मंदिर पहुंचते हैं. भारत ही नहीं पूरे विश्व में धर्म को जागृत करने के लिए ऐसी प्रदर्शनी लगाई जाती है. जो सिर्फ बाबाधाम देवघर में ही होता है. यहां पंडा समाज द्वारा ये प्रदर्शनी लगाई जाती है.
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सभी पंडा सदस्यों द्वारा बाबा बैद्यनाथ पर विल्वपत्रों को अर्पित किया जाता है. इस परंपरा की शुरुआत सर्वप्रथम बमबम बाबा ब्रमचारी जी महाराज ने 1883 ईसवी में विश्व कल्याण की कामना के लिए किए गए थे. आज भी इस परंपरा को यहां के तीर्थपुरोहितों की टोली करते आ रहे है. इसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. पूरे साल इस दृश्य को देखने के लिए इंतजार करते है और इसके दर्शन से धन्य होते हैं.
बहरहाल, श्रवणी मेले के समय ये बेलपत्र आकर्षक का केंद्र बना रहता है और इसे देखने के लिए शिवभक्त लालायित रहते हैं. सावन के अंत में इस प्रतियोगिता के विजेता को सरदार पंडा के द्वारा पुरस्कृत भी किया जाता है.