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बाबा मंदिर की अनोखी बेलपत्र प्रदर्शनी, थाली में होती है पत्तों की सजावट

देवघर के विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले में विल्वपत्र प्रदर्शनी की एक अनोखी परंपरा है. इसमें मंदिर के पंडा थाली में बेलपत्र को सजाकर प्रदर्शनी लगाते है. माना जाता है की  बेल पत्र चढ़ाने से भोले नाथ प्रसन्न होते हैं.

बेलपत्र प्रदर्शनी
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Published : Jul 30, 2019, 11:43 AM IST

Updated : Jul 30, 2019, 1:08 PM IST

देवघर: विविधताओं से भरा कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ का दरबार जिसकी परंपरा भी अद्वितीय निराली है और इससे भी निराली बाबा मंदिर में लगने वाली विल्वपत्र प्रदर्शनी है. बेल पत्र के बारे में कहा जाता है कि इस पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से शिव बहुत प्रसन्न होते हैं. जिसे देख भक्त भावविभोर हो रहे है.

देखें पूरी खबर

देवघर बाबा भोले के तीन नेत्र है और बेलपत्र के तीन पट्टी इसका सूचक है. वर्षों से बाबा बैद्यनाथ के दरबार में ही विल्वपत्र की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई जाती है. यह सावन में पूरे महीने तक चढ़ता है. असाढ़ संक्रांति के अवसर पर बाबा मंदिर में विल्वपत्र की प्रदर्शनी की शुरुआत की जाती है और सावन संक्रांति के दिन इसका समापन किया जाता है.

सभी पंडा बिहार-झारखंड के विभिन्न जंगलों से विल्वपत्र खोज कर लाते है और उसे प्रदर्शनी के दिन चांदी या स्टील के थाली में सजाकर बाबा मंदिर पहुंचते हैं. भारत ही नहीं पूरे विश्व में धर्म को जागृत करने के लिए ऐसी प्रदर्शनी लगाई जाती है. जो सिर्फ बाबाधाम देवघर में ही होता है. यहां पंडा समाज द्वारा ये प्रदर्शनी लगाई जाती है.

ये भी पढ़ें- राज्यसभा चुनाव 2016: FSL ने की ऑडियो से छेड़छाड़ की पुष्टि , योगेंद्र साव से जेल में होगी पूछताछ

सभी पंडा सदस्यों द्वारा बाबा बैद्यनाथ पर विल्वपत्रों को अर्पित किया जाता है. इस परंपरा की शुरुआत सर्वप्रथम बमबम बाबा ब्रमचारी जी महाराज ने 1883 ईसवी में विश्व कल्याण की कामना के लिए किए गए थे. आज भी इस परंपरा को यहां के तीर्थपुरोहितों की टोली करते आ रहे है. इसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. पूरे साल इस दृश्य को देखने के लिए इंतजार करते है और इसके दर्शन से धन्य होते हैं.

बहरहाल, श्रवणी मेले के समय ये बेलपत्र आकर्षक का केंद्र बना रहता है और इसे देखने के लिए शिवभक्त लालायित रहते हैं. सावन के अंत में इस प्रतियोगिता के विजेता को सरदार पंडा के द्वारा पुरस्कृत भी किया जाता है.

देवघर: विविधताओं से भरा कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ का दरबार जिसकी परंपरा भी अद्वितीय निराली है और इससे भी निराली बाबा मंदिर में लगने वाली विल्वपत्र प्रदर्शनी है. बेल पत्र के बारे में कहा जाता है कि इस पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से शिव बहुत प्रसन्न होते हैं. जिसे देख भक्त भावविभोर हो रहे है.

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देवघर बाबा भोले के तीन नेत्र है और बेलपत्र के तीन पट्टी इसका सूचक है. वर्षों से बाबा बैद्यनाथ के दरबार में ही विल्वपत्र की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई जाती है. यह सावन में पूरे महीने तक चढ़ता है. असाढ़ संक्रांति के अवसर पर बाबा मंदिर में विल्वपत्र की प्रदर्शनी की शुरुआत की जाती है और सावन संक्रांति के दिन इसका समापन किया जाता है.

सभी पंडा बिहार-झारखंड के विभिन्न जंगलों से विल्वपत्र खोज कर लाते है और उसे प्रदर्शनी के दिन चांदी या स्टील के थाली में सजाकर बाबा मंदिर पहुंचते हैं. भारत ही नहीं पूरे विश्व में धर्म को जागृत करने के लिए ऐसी प्रदर्शनी लगाई जाती है. जो सिर्फ बाबाधाम देवघर में ही होता है. यहां पंडा समाज द्वारा ये प्रदर्शनी लगाई जाती है.

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सभी पंडा सदस्यों द्वारा बाबा बैद्यनाथ पर विल्वपत्रों को अर्पित किया जाता है. इस परंपरा की शुरुआत सर्वप्रथम बमबम बाबा ब्रमचारी जी महाराज ने 1883 ईसवी में विश्व कल्याण की कामना के लिए किए गए थे. आज भी इस परंपरा को यहां के तीर्थपुरोहितों की टोली करते आ रहे है. इसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. पूरे साल इस दृश्य को देखने के लिए इंतजार करते है और इसके दर्शन से धन्य होते हैं.

बहरहाल, श्रवणी मेले के समय ये बेलपत्र आकर्षक का केंद्र बना रहता है और इसे देखने के लिए शिवभक्त लालायित रहते हैं. सावन के अंत में इस प्रतियोगिता के विजेता को सरदार पंडा के द्वारा पुरस्कृत भी किया जाता है.

Intro:देवघर विविधताओं से भरा पड़ा कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ का दरबार ओर परंपरा भी निराली ओर अद्वितीय है यहाँ की निराली परंपराओं में एक बाबा मंदिर में लगने वाली विल्वपत्र प्रदर्शनी भी है। बेल पत्र जिसके बारे में कहा जाता है कि इस पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से शिव बहुत प्रसन्न होते है विल्वपत्र प्रदर्शनी को देख कर भक्त भावविभोर हो रहे है।


Body:देवघर बाबा भोले के तीन नेत्र है और बेलपत्र के तीन पट्टी इसी का सूचक है वर्षो से बाबा बैद्यनाथ के दरबार मे ही विल्वपत्र की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई जाती है यह सावन में पूरे महीने तक चढ़ता है असाढ़ संक्रांति के अवसर पर बाबा मंदिर में विल्वपत्र की प्रदर्शनी की शुरुआत की जाती है और समापन सावन संक्रांति को होता है। सभी पण्डा लोग बिहार झारखंड के विभिन्न जंगलों से विल्वपत्र खोज कर लाते है और उसे प्रदर्शनी के दिन चांदी या स्टील के थाली में सजाकर बाबा मंदिर पहुचते है। भारत ही नही पूरे विश्व में धर्म को जागृत करने के लिए ऐसी प्रदर्शनी लगाई जाती है। ये सिर्फ और सिर्फ बाबाधाम देवघर में ही होता है। यहाँ पण्डा समाज द्वारा ये प्रदर्शनी लगाई जाति है। सभी पण्डा सदस्यों द्वारा बाबा बैद्यनाथ पर विल्वपत्रों को अर्पित किया जाता है इस परंपरा की शुरुआत सर्वप्रथम बमबम बाबा ब्रमचारी जी महाराज ने 1883 ईसवी में विश्व कल्याण की कामना के लिए किए थे। आज भी इस परंपरा को यहां के तीर्थपुरोहितों की टोली करते आ रहे है। इसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते है। सालोभर इस दृश्य को देखने के लिए इंतजार करते है। और इसका दर्शन से धन्य होते है। ऐसे कहा जाता है कि बेलपत्र के चढ़ाने से मात्र ही बाबा भोलेनाथ खुश हो जाते है। दूसरी तरफ विल्वपत्र को अनेक गुणों से परिपूर्ण भी माना जाता है विल्वपत्र की ये प्रदर्शनी देखने लायक होती है।


Conclusion:बहरहाल, श्रवणी मेला के समय ये बेलपत्र आकर्षक का केंद्र रहतीं है। और इसे देखने के लिए शिवभक्त ल्लाहित रहते है और सावन के अंत मे इस प्रतियोगिता के विजेता को सरदार पण्डा के द्वारा पुरस्कृत भी किया जाता है।

बाइट प्रमोद श्रृंगारी,पुरोहित बाबा मंदिर।
बाइट भक्त।
Last Updated : Jul 30, 2019, 1:08 PM IST
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