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अधिकारी-कर्मचारी की कमी से जूझ रहा देवघर नगर निगम, आधे स्ट्रैंथ से ही चल रहा काम

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Published : Apr 17, 2021, 8:50 AM IST

देवघर नगर निगम अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है. निगम 50 फीसदी कर्मचारियों-अधिकारियों से काम चला रहा है. ऐसे में देवघर नगर निगम का विकास कैसे हो पाएगा. इस कमी को लेकर सरकार से नियुक्ति की मांग की है.

Deoghar Municipal Corporation is short of officers and employees
देवघर नगर निगम

देवघरः यहां का नगर निगम का भवन राज्य का सबसे खूबसूरत इमारत है. जिसका उद्घाटन सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया है. बाबा मंदिर के आसपास सहित नगर निगम क्षेत्र में सालाना करोड़ों का खर्च कर होने वाली विकास कार्य और लोगों को सुविधा देने का जिम्मा अधिकारियों-कर्मचारियों पर है. नगर निगम में जरूरत के मुताबिक 50% ही अधिकारी और कर्मचारी मौजूद है. अब सरकार से इसकी नियुक्ति के लिए मांग उठने लगी है.

इसे भी पढ़ें- मधुपुर का महामुकाबलाः मतदान शुरू, पोलिंग बूथ पर पहुंचने लगे वोटर

पूरे नगर निगम क्षेत्र सहित बाबा मंदिर में साफ-सफाई से लेकर क्षेत्र में पड़ने वाले इलाकों में हो रहे विकास कार्य का जिम्मा है. नगर निगम कुल में कुल 111 पड़ स्वीकृत हैं. वर्तमान में महज 50 प्रतिशत ही अधिकारी और कर्मचारी है. जिसमें कोई भी चतुर्थवर्गीय पद स्वीकृत नहीं है. नगर प्रशाशक बताते हैं कि नगर निगम में आउटसोर्सिंग के माध्यम से ज्यादातर काम किया जा रहा है. नगर निगम में स्वास्थ्य पदाधिकारी, कार्यपालक अभियंता, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर जैसे महत्वपूर्ण पद खाली है, साथ ही कई एक पद खाली रहने से कार्य प्रभावित होता है.

देवघर आए प्रदेश के पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथलेश ठाकुर ने इस बाबत ईटीवी भारत के सवाल पर कहा कि इसको लेकर मैं सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विभाग के सचिव से बात कर कमियों को पूरा करने का आग्रह करूंगा. वहीं इन्होंने कहा है कि हालांकि राज्य में अभी अधिकारियों की कमी जरूर है, बहुत जल्द नए पदाधिकारियों की नियुक्ति किया जाएगा.

देवघर नगर निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी को पूरा करने की मांग अब स्थानीय लोग भी कर रहे हैं. बाबा नगरी में सालाना लाखों यात्री आते हैं और यहां की व्यवस्था से दो-चार होने से एक खराब अनुभव लेकर जाएंगे. जिसको लेकर मुख्यमंत्री से अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए गुहार लगा रहे हैं. ताकि लोगों को मिलने वाली मूलभूत सुविधा में भी सहूलियत होगी.

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बाबा नगरी में सालाना लाखों यात्री का आना जाना होता है. ऐसे में बाबा नगरी आने वाले और यहां स्थानीय लोगों को मिलने वाली मूलभूत सुविधा या फिर नगर निगम क्षेत्र में होने वाली विकास कार्य में तेजी लाने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों से जूझ रहे नगर निगम को इससे कब निजात मिलती है जो देखना दिलचस्प होगा.

देवघरः यहां का नगर निगम का भवन राज्य का सबसे खूबसूरत इमारत है. जिसका उद्घाटन सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया है. बाबा मंदिर के आसपास सहित नगर निगम क्षेत्र में सालाना करोड़ों का खर्च कर होने वाली विकास कार्य और लोगों को सुविधा देने का जिम्मा अधिकारियों-कर्मचारियों पर है. नगर निगम में जरूरत के मुताबिक 50% ही अधिकारी और कर्मचारी मौजूद है. अब सरकार से इसकी नियुक्ति के लिए मांग उठने लगी है.

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पूरे नगर निगम क्षेत्र सहित बाबा मंदिर में साफ-सफाई से लेकर क्षेत्र में पड़ने वाले इलाकों में हो रहे विकास कार्य का जिम्मा है. नगर निगम कुल में कुल 111 पड़ स्वीकृत हैं. वर्तमान में महज 50 प्रतिशत ही अधिकारी और कर्मचारी है. जिसमें कोई भी चतुर्थवर्गीय पद स्वीकृत नहीं है. नगर प्रशाशक बताते हैं कि नगर निगम में आउटसोर्सिंग के माध्यम से ज्यादातर काम किया जा रहा है. नगर निगम में स्वास्थ्य पदाधिकारी, कार्यपालक अभियंता, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर जैसे महत्वपूर्ण पद खाली है, साथ ही कई एक पद खाली रहने से कार्य प्रभावित होता है.

देवघर आए प्रदेश के पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथलेश ठाकुर ने इस बाबत ईटीवी भारत के सवाल पर कहा कि इसको लेकर मैं सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विभाग के सचिव से बात कर कमियों को पूरा करने का आग्रह करूंगा. वहीं इन्होंने कहा है कि हालांकि राज्य में अभी अधिकारियों की कमी जरूर है, बहुत जल्द नए पदाधिकारियों की नियुक्ति किया जाएगा.

देवघर नगर निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी को पूरा करने की मांग अब स्थानीय लोग भी कर रहे हैं. बाबा नगरी में सालाना लाखों यात्री आते हैं और यहां की व्यवस्था से दो-चार होने से एक खराब अनुभव लेकर जाएंगे. जिसको लेकर मुख्यमंत्री से अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए गुहार लगा रहे हैं. ताकि लोगों को मिलने वाली मूलभूत सुविधा में भी सहूलियत होगी.

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बाबा नगरी में सालाना लाखों यात्री का आना जाना होता है. ऐसे में बाबा नगरी आने वाले और यहां स्थानीय लोगों को मिलने वाली मूलभूत सुविधा या फिर नगर निगम क्षेत्र में होने वाली विकास कार्य में तेजी लाने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों से जूझ रहे नगर निगम को इससे कब निजात मिलती है जो देखना दिलचस्प होगा.

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