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चाईबासाः गुआ गोलीकांड की बरसी, शहीद स्मारक पर दी गई श्रद्धांजलि

8 सितंबर 1980 को 11 आंदोलकारियों को बंदूक के बल पर कुचलने के प्रयास का गवाह बना था. जिसके बाद से इस दिन उन शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. इसी क्रम में चाईबासा के गुआ में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई.

शहीदों को नमन
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Published : Sep 8, 2019, 4:26 PM IST

चाईबासाः गुआ गोलीकांड में शहीद हुए 11 आंदोलनकारी को श्रद्धांजलि दी गई. 8 सितंबर 1980 का दिन पुलिसिया बर्बरता, आंदोलन को बंदूक के बल पर कुचलने के प्रयास का गवाह बना था.

देखें पूरी खबर

गुआ गोलीकांड की घटना ने दक्षिणी छोटानागपुर में देवेंद्र मांझी का नाम अग्रिम पंक्ति के नेतृत्व कर्ताओं में शुमार करा दिया. 8 सितंबर का दिन क्षेत्र के मूल निवासी के जंगल आंदोलन के क्रम में ऐतिहासिक था. क्षेत्र के जन नेता देवेंद्र मांझी ने जल, जंगल और जमीन पर मूलवासियों का अधिकार सुनिश्चित कराने का आंदोलन छेड़ रखा था.

उनके समर्थकों के मध्य 'जंगल क्षेत्र में जमीन बचाओ जमीन बनाओ खेती करो, कृषि को हम बनाएंगे जीविका का माध्यम' बोल गूंज रहे थे. जंगल का सवाल और उससे जुड़े जन समुदाय का सवाल आज से 3 दशक पूर्व भी महत्वपूर्ण था और आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है.

सारंडा की पहाड़ियों में अवस्थित लौह अयस्क के अकूत भंडार का दोहन आज भी स्थानीय जन जीवन और परंपरा की उपेक्षा कर विभिन्न सरकारी निजी कंपनी कर रही है. गुआ में लौह अयस्क की खदान और गुआ गोलीकांड दोनों बातें जुड़ी हुई है, 700 छोटी बड़ी पहाड़ियों से आच्छादित सारंडा वन क्षेत्र अपार खनिज और वन संपदा से भरमार है.

चाईबासाः गुआ गोलीकांड में शहीद हुए 11 आंदोलनकारी को श्रद्धांजलि दी गई. 8 सितंबर 1980 का दिन पुलिसिया बर्बरता, आंदोलन को बंदूक के बल पर कुचलने के प्रयास का गवाह बना था.

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गुआ गोलीकांड की घटना ने दक्षिणी छोटानागपुर में देवेंद्र मांझी का नाम अग्रिम पंक्ति के नेतृत्व कर्ताओं में शुमार करा दिया. 8 सितंबर का दिन क्षेत्र के मूल निवासी के जंगल आंदोलन के क्रम में ऐतिहासिक था. क्षेत्र के जन नेता देवेंद्र मांझी ने जल, जंगल और जमीन पर मूलवासियों का अधिकार सुनिश्चित कराने का आंदोलन छेड़ रखा था.

उनके समर्थकों के मध्य 'जंगल क्षेत्र में जमीन बचाओ जमीन बनाओ खेती करो, कृषि को हम बनाएंगे जीविका का माध्यम' बोल गूंज रहे थे. जंगल का सवाल और उससे जुड़े जन समुदाय का सवाल आज से 3 दशक पूर्व भी महत्वपूर्ण था और आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है.

सारंडा की पहाड़ियों में अवस्थित लौह अयस्क के अकूत भंडार का दोहन आज भी स्थानीय जन जीवन और परंपरा की उपेक्षा कर विभिन्न सरकारी निजी कंपनी कर रही है. गुआ में लौह अयस्क की खदान और गुआ गोलीकांड दोनों बातें जुड़ी हुई है, 700 छोटी बड़ी पहाड़ियों से आच्छादित सारंडा वन क्षेत्र अपार खनिज और वन संपदा से भरमार है.

Intro:चाईबासा। 8 सितंबर का दिन झारखंड आंदोलन की ज्वाला में आंदोलनकारियों के रक्त रूपी समिधा डालने का दिन है। 8 सितंबर 1980 का दिन पुलिसिया बर्बरता, आंदोलन को बंदूक के बल पर कुचलने का प्रयास का गवाह बना।


Body:गुआ गोलीकांड की घटना ने दक्षिणी छोटानागपुर में देवेंद्र मांझी का नाम अग्रिम पंक्ति के नेतृत्व कर्ताओं में शुमार करा दिया। 8 सितंबर का दिन क्षेत्र के मूल निवासी के जंगल आंदोलन के क्रम में ऐतिहासिक था। क्षेत्र के जन नेता देवेंद्र मांझी ने जल जंगल जमीन पर मूल वासियों का अधिकार सुनिश्चित कराने का आंदोलन छेड़ रखा था उनके समर्थकों के मध्य 'जंगल क्षेत्र में जमीन बचाओ जमीन बनाओ खेती करो, कृषि को हम बनाएंगे जीविका का माध्यम' बोल गूंज रहे थे। जंगल का सवाल और उससे जुड़े जन समुदाय का सवाल आज से 3 दशक पूर्व भी महत्वपूर्ण था और आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है सारंडा की पहाड़ियों में अवस्थित लौह अयस्क के अकूत भंडार का दोहन आज भी स्थानीय जन जीवन एवं परंपरा की उपेक्षा कर विभिन्न सरकारी निजी कंपनी कर रही है। गुआ में लौह अयस्क की खदान एवं गुआ गोलीकांड दोनों बातें जुड़ी हुई है, 700 छोटी बड़ी पहाड़ियों से आच्छादित सारंडा वन क्षेत्र अपार खनिज एवं वन संपदा के कारण भारत की अर्थव्यवस्था का अंग आज भी है।


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