रांची/हैदराबादः कोल्हान की एक सीट है सिंहभूम. आदिवासी बहुल यह सीट रिजर्व सीट है. इसबार यहां बीजेपी-कांग्रेस में सीधी टक्कर है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा यहां से मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस की प्रत्याशी हैं गीता कोड़ा.
सिंहभूम लोकसभा सीट
कोल्हान की दूसरी लोकसभा सीट है सिंहभूम. यह सीट दो जिलों सरायकेल-खरसावां और पश्चिम सिंहभूम में फैली है. सिंहभूम सीट एसटी के लिए रिजर्व है. इस लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. वो हैं सरायकेला, चाईबासा, मझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर.
सामाजिक तानाबाना
सिंहभूम आदिवासी बहुल संसदीय सीट है. यहां की 77.74 फीसदी आबादी ग्रामीण और 22.26 फीसदी आबादी शहरी है. कुल मतदाता 12 लाख 47 हजार 639 हैं. जिसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 6 लाख 25 हजार 587 है. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 22 हजार 34 है. अन्य मतदाताओं की संख्या 18 है. इस बार 27 हजार 859 नए मतदाता हैं. इस सीट पर उरांव, संथाल समुदाय, महतो (कुड़मी), प्रधान, गोप, गौड़ समेत कई अनुसूचित जनजाति के लोगों की बहुलता है
2019 का रण
2019 लोकसभा चुनाव में सिंहभमू सीट पर कुल 9 प्रत्याशी हैं. लेकिन मुख्य टक्कर बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद लक्ष्मण गिलुवा को फिर से टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने गीता कोड़ा को मैदान में उतारा है.
बीजेपी से प्रत्याशी हैं लक्ष्मण गिलुवा
लक्ष्मण गिलुवा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. उनका जन्म दिसंबर 1964 में पश्चिमी सिंहभूम के जांता में हुआ था. वो रांची यूनिवर्सिटी से कॉमर्स ग्रेजुएट हैं. 1991 में वो एर्नाकुलम जिला परिषद के सदस्य बने. 1995 में वो चक्रधरपुर से विधायक बने.
1999 में सिंहभूम लोकसभा सीट से वो चुनाव लड़े. जीतकर पहली बार सांसद बने. 2009 में वो फिर से विधानसभा चुनाव लड़े और जीते. 2014 में वो सिंहभूम सीट से चुनाव लड़े, जीतकर दोबारा सांसद बने.
कांग्रेस से प्रत्याशी हैं गीता कोड़ा
गीता कोड़ा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी हैं. वो जगन्नाथपुर सीट से विधायक हैं. इनका जन्म 26 सितंबर 1983 को झारखंड के मेघहातु बुरु में हुआ था. इन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की. फिर मधु कोड़ा से शादी की. मधु कोड़ा के जेल जाने के बाद गीता कोड़ा राजनीति में उतर गईं.
2009 के विधानसभा चुनाव में वो पहली बार चुनाव मैदान में उतरीं. बीजेपी प्रत्याशी को हराकर पहली बार विधायक बनीं. 2014 में उन्होंने सिंहभूम सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं. 2014 में ही हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने एकबार जीत दर्ज की. 2018 में वो कांग्रेस में शामिल हुईं. 2019 में वो एकबार फिर चुनाव मैदान में हैं.