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बदहाल है चाईबासा का सबसे बड़ा बस स्टैंड, जान जोखिम में डालकर यात्री करते हैं बस का इंतजार

चाईबासा के सबसे बड़े बस स्टैंड की हातल काफी दयनीय हो गई है. सुविधा के अभाव के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गर्मी में पीने का पानी और रुकने के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं है.

बस स्टैंड की हातल दयनीय
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Published : May 20, 2019, 2:11 PM IST

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम के चाईबासा बस स्टैंड में सुविधाओं का घोर अभाव है. जिससे यात्रियों को काफी परेशानी होती है. शहर के बीचो-बीच बने सालों पुराने बस स्टैंड से हजारों लोग रोजाना यात्रा करते हैं. लाखों रुपए खर्च करते हैं. बावजूद अगर सुविधा की बात करें, तो बस स्टैंड में न तो पीने के पानी की सुविधा है और न ही यात्रियों की बैठने की उचित व्यवस्था.

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जिले के सबसे बड़े बस स्टैंड होने के बावजूद यात्रियों को बोतलबंद पानी खरीद कर पीना पड़ता है. यात्रियों के लिए प्याऊ बनाये गये हैं, लेकिन उस प्याऊ की स्थिति देख कर कोई भी पानी पीना नहीं चाहेगा. इसके चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

बस स्टैंड में यात्री मौत के साये में बस का इंतजार करते हैं. दरअसल यात्रियों के लिए बनाए गए शेड की स्थिति काफी भयावह है. शेड की छत का प्लास्टर आए दिन झड़कर गिरता रहता है. कई बार लोग छत से गिरने वाले प्लास्टर से घायल हो चुके हैं. जिससे अब यात्री शेड में अपनी जान जोखिम में डालने से बेहतर चिलचिलाती धूप में खड़े रहना ज्यादा पसंद करते हैं.

चाईबासा बस स्टैंड नगर परिषद के अंतर्गत आता है. टेंडर के तहत देखभाल की जिम्मेदारी बस ओनर एसोसिएशन को सौंपी गई है. बस ओनर एसोसिएशन प्रत्येक बसों से प्रतिदिन के हिसाब से 40 रूपय मेंटेनेंस के नाम पर वसूल करती है. प्रतिदिन सैकड़ों बसें यहां से खुलती हैं. एसोसिएशन केवल बस स्टैंड की साफ-सफाई की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेती है. दूसरी जिम्मदारियों से खुद को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए सारी जवाबदेही नगर परिषद पर ठोक देती है.

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम के चाईबासा बस स्टैंड में सुविधाओं का घोर अभाव है. जिससे यात्रियों को काफी परेशानी होती है. शहर के बीचो-बीच बने सालों पुराने बस स्टैंड से हजारों लोग रोजाना यात्रा करते हैं. लाखों रुपए खर्च करते हैं. बावजूद अगर सुविधा की बात करें, तो बस स्टैंड में न तो पीने के पानी की सुविधा है और न ही यात्रियों की बैठने की उचित व्यवस्था.

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जिले के सबसे बड़े बस स्टैंड होने के बावजूद यात्रियों को बोतलबंद पानी खरीद कर पीना पड़ता है. यात्रियों के लिए प्याऊ बनाये गये हैं, लेकिन उस प्याऊ की स्थिति देख कर कोई भी पानी पीना नहीं चाहेगा. इसके चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

बस स्टैंड में यात्री मौत के साये में बस का इंतजार करते हैं. दरअसल यात्रियों के लिए बनाए गए शेड की स्थिति काफी भयावह है. शेड की छत का प्लास्टर आए दिन झड़कर गिरता रहता है. कई बार लोग छत से गिरने वाले प्लास्टर से घायल हो चुके हैं. जिससे अब यात्री शेड में अपनी जान जोखिम में डालने से बेहतर चिलचिलाती धूप में खड़े रहना ज्यादा पसंद करते हैं.

चाईबासा बस स्टैंड नगर परिषद के अंतर्गत आता है. टेंडर के तहत देखभाल की जिम्मेदारी बस ओनर एसोसिएशन को सौंपी गई है. बस ओनर एसोसिएशन प्रत्येक बसों से प्रतिदिन के हिसाब से 40 रूपय मेंटेनेंस के नाम पर वसूल करती है. प्रतिदिन सैकड़ों बसें यहां से खुलती हैं. एसोसिएशन केवल बस स्टैंड की साफ-सफाई की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेती है. दूसरी जिम्मदारियों से खुद को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए सारी जवाबदेही नगर परिषद पर ठोक देती है.

Intro:चाईबासा। कोल्हान प्रमंडल मुख्यालय व सबसे अधिक खनिज संपदाओं से परिपूर्ण जिला पश्चिम सिंहभूम के चाईबासा बस स्टैंड में 44 डिग्री तापमान के बीच घोर सुविधा के अभाव में यात्रियों का हाल बेहाल है। शहर के बीचोबीच बनी वर्षों पुरानी बस स्टैंड से हजारों की तादात में रोजाना लोग यात्रा करते हैं और लाखों रुपए खर्च करते हैं। इसके बावजूद अगर सुविधा की बात करें तो इस बस स्टैंड में ना तो पीने की पानी की सुविधा है और ना ही यात्रियों की बैठने की उचित व्यवस्था।


Body:बस स्टैंड में यात्रियों की सुविधा को लेकर कुछ भी नहीं है बस स्टैंड में पानी की किल्लत शौचालय का घोर अभाव, यात्री शेड की खस्ताहाली आदि का दंश यात्रियों को झेलना पड़ रहा है। दरअसल जिले के सबसे बड़े बस स्टैंड में यात्रियों की सुविधा को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है। आलम यह है कि चाईबासा बस स्टैंड से यात्रा करने वाले यात्रियों को बोतलबंद पानी खरीद कर पीना पड़ता है। प्याऊ होने के बावजूद भी मिनरल वाटर खरीद अपनी प्यास बुझाते हैं यात्री- बस स्टैंड में रोटरी क्लब ऑफ चाईबासा की ओर से प्याऊ का निर्माण कराया गया था। लेकिन उस प्याऊ की स्थिति देख कोई भी सामान्य व्यक्ति पानी नहीं पिएगा। चारो तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है, प्याऊ की टंकी की साफ-सफाई भी होती है या नहीं इसकी जानकारी किसी को नहीं है। इसके साथ ही उस प्याऊ में एक ही नल पानी देता है। इसके अलावा चाईबासा प्राइवेट बस स्टैंड में कोई सुविधा नहीं है। यात्रियों को 15 से 20 रुपये खर्च कर होटल से मिनरल वाटर खरीद कर अपनी प्यास बुझा नहीं पड़ती है। चाईबासा बस स्टैंड में सबसे ज्यादा गर्मी के दिन में यात्रियों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। अहले सुबह से रात तक निरंतर चलती हैं बसें - शहर के चाईबासा स्थित बस स्टैंड से दिन भर टाटानगर, किरीबुरू, मझगांव, सोनुआ , गोइलकेरा, चक्रधरपुर, उड़ीसा के क्योंझर , जोड़ा , बड़बिल सहित अन्य स्थानों को बसें चलती है। इतना ही नहीं यहां से सर्वाधिक निजी बसों का संचालन होता है। लेकिन इनमें जाने वाले यात्रियों को पहले कई परेशानी का सामना करना पड़ता है। मौत के साए में यात्री करते हैं बस का इंतजार - चाईबासा बस स्टैंड में यात्रियों को मौत के साए में बस का इंतजार करना पड़ता है। यात्रियों के लिए बनाए गए यात्री शेड की स्थिति काफी भयावह है। यात्री शेड की छत का प्लास्टर आए दिन झड़कर गिरता रहता है। कई बार लोग यात्री शेड की छत से गिरे प्लास्टर से घायल हो चुके हैं। इतना ही नहीं अपनी जान हथेली में रखकर यात्री सैड में आराम करने से बेहतर यात्री सुविधा के अभाव में तपती धूप में बसों के इंतजार करने में ज्यादा बेहतर समझते हैं। चिलचिलाती धूप में खड़े होने को मजबूर है यात्री - बसों की संख्या में बढ़ोतरी होने के कारण प्रतिदिन बस स्टैंड में बेतरतीब ढंग से वाहनों को खड़ा किए जाने के कारण यात्रियों को जानकारी नहीं हो पाती कि यहां यात्री सेड भी बनाया गया है। जिस कारण यात्रियों को चिलचिलाती धूप में ही या फिर होटल के बाहर खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। इतना ही नहीं बसों की संख्या में वृद्धि होने के कारण मुख्य सड़क पर भी यातायात बाधित हो जाता है। चाईबासा बस स्टैंड नगर परिषद के अंतर्गत आता है, वहीं टेंडर के तहत देखभाल की जिम्मेदारी बस ओनर एसोसिएशन को सौंपी गई है। बस ऑनर्स एसोसिएशन द्वारा प्रत्येक बसों से प्रतिदिन के हिसाब से 40 रूपय मेंटेनेंस के नाम पर वसूली किए जाते हैं। दरअसल, चाईबासा बस स्टैंड से प्रतिदिन लगभग 100 बसें छोटी व लंबी दूरी तय करती है। इसके एवज में बस ओनर्स एसोसिएशन से प्रतिदिन के हिसाब से 40 रुपए वसूल करती है। जिसके बदले केवल बस स्टैंड की साफ सफाई आदि की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हैं बाकी सब से खुद को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए सारी जवाबदेही नगर परिषद पर ठोक दी है। वहीं नगर परिषद द्वारा टेंडर के बाद बस स्टैंड को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिसका खामियाजा अमूमन यात्रियों को ही भुगतना पड़ता है।


Conclusion:जिला प्रशासन द्वारा मात्र मिलता रहा है आश्वासन - बस एसोसिएशन पदाधिकारियों की मानें तो प्रत्येक माह बस स्टैंड में किसी ना किसी कारण लोग घायल होते ही रहते हैं। जिस में से अधिकतर घटनाएं बस स्टैंड की यात्री शेड की छत से प्लास्टर गिरने से लोग घायल होते हैं। बस एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा कई बार जिला प्रशासन से बस स्टैंड की स्थिति को व्यवस्थित ढंग से करने को लेकर मौखिक एवं लिखित रूप से शिकायत कर चुके हैं। उसके बावजूद भी अब तक मात्रा आश्वासन ही मिलता रहा है।
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