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चाईबासाः रोरो माइंस क्षेत्र में प्रभावित परिवारों के लिए किए गए कार्यों का मुख्य सचिव ने की समीक्षा - पश्चिमी सिंहभूम उपायुक्त सुखदेव सिंह

झारखंड सरकार के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पश्चिमी सिंहभूम अंतर्गत बंद पड़े रोरो माइंस के क्षेत्र में प्रभावित परिवारों के लिए किए गए कार्यों की गुरुवार को समीक्षा की गई. इस विषय में जानकारी देते हुए जिला उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि रोरो माइंस क्षेत्र संबंधी विषय राष्ट्रीय हरित अधिकरण के विचाराधीन है. इसी के तहत मुख्य सचिव के आदेश के आलोक में प्रमंडल के आयुक्त की अध्यक्षता में क्षेत्रीय समिति का गठन किया गया है.

chief secretary analysed work done for affected people in chaibasa, रोरो माइंस क्षेत्र में प्रभावित परिवारों के लिए किए गए कार्यों का मुख्य सचिव ने की समीक्षा
बैठक करते डीसी
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Published : Sep 24, 2020, 8:48 PM IST

चाईबासा: झारखंड सरकार के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पश्चिमी सिंहभूम अंतर्गत बंद पड़े रोरो माइंस के क्षेत्र में प्रभावित परिवारों के लिए किए गए कार्यों की गुरुवार को समीक्षा की गई. वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की गई समीक्षा में आयुक्त कोल्हान प्रमंडल डॉक्टर मनीष रंजन, पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त अरवा राजकमल और अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे.

देखें पूरी खबर

वीडियो कॉन्फ्रेंस के विषय में जानकारी देते हुए जिला उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि रोरो माइंस क्षेत्र संबंधी विषय राष्ट्रीय हरित अधिकरण के विचाराधीन है. इसी के तहत मुख्य सचिव के आदेश के आलोक में प्रमंडल के आयुक्त की अध्यक्षता में क्षेत्रिय समिति का गठन किया गया है. विगत महीने में रोरो माइंस के क्षेत्र में दो दिवसीय कैंप का आयोजन किया गया. उक्त कैंप में कंपनी के प्रोविडेंट फंड से संबंधित 448 की संख्या में क्लेम फॉर्मेट के अनुसार प्राप्त किए गए. साथ ही कुछ आवेदन पेंशन के लिए भी प्राप्त हुए हैं. सभी क्षेत्रीय प्रोविडेंट फंड कमिश्नर को अग्रसारित किए गए हैं.

रोरो माइंस क्षेत्र के नवीकरण हेतु डीपीआर बनाने का निर्देश

उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि क्षेत्र में कई अन्य मूलभूत और आधारभूत संरचनाओं संबंधी कार्य जैसे जल मीनार, पीसीसी सड़क निर्माण कार्य भी शुरू हो गए हैं. उक्त स्थल पर डिस्प्ले बोर्ड भी लगाया गया है. प्राथमिक कार्य करने के बाद क्षेत्र के पुनर्नवीकरण का कार्य होगा. पूरे देश में पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण संस्था और पर्यावरण इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कार्यरत नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट अर्थात नीरी (NEERI) के माध्यम से पूरे रोरो माइंस क्षेत्र को पूरी तरह से रिक्लेम करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे. क्षेत्र में स्वच्छ वातावरण निर्मित करने के लिए जो आवश्यक कार्य होंगे उसके विषय में डीपीआर बनाने का निर्देश मुख्य सचिव की ओर से दिया गया है.

और पढ़ें- देश को जमींदारी प्रथा की ओर ले जा रही बीजेपी, कृषि विधेयक का करेंगे पुरजोर विरोध: आरपीएन सिंह



एस्बेस्टस प्रभावित लोगों के लिए चिकित्सा के प्रबंध

उपायुक्त ने कहा कि उस क्षेत्र में एस्बेस्टस से प्रभावित जितने भी व्यक्ति हैं उनको राशन कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे. उन सभी को न्यूमोकोकल वैक्सीन भी दिया जाएगा क्योंकि इनके निमोनिया से ग्रसित होने की संभावना हो सकती है. इसलिए वैक्सीन भी चिकित्सकों की देखरेख में परामर्श के अनुसार दी जाएगी.

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से मुआवजे की परिगणना

उपायुक्त ने कहा कि जिस कंपनी ने उस समय उक्त क्षेत्र में एस्बेस्टस माइंस चलाकर वहां पर पर्यावरण को प्रदूषित किया है और उस पर्यावरण के प्रदूषण के कारण जो प्रभावित परिवार हैं. उनके पीएफ क्लेम या अन्य मुआवजा और खनन गतिविधियों से पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचाया है. उन सभी का परिकलन झारखंड स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से किया जा रहा है. नीरी के साथ डीपीआर बनने के बाद अंतिम मुआवजा के रूप में माननीय एनजीटी में झारखंड सरकार की ओर से दावा किया जाएगा कि प्रदूषण पहुंचाने वाली कंपनी से कितनी राशि प्राप्त की जाए और उस क्षेत्र के जो प्रभावित परिवार हैं और जो प्रभावित क्षेत्र हैं उसके विकास में उस राशि को खर्च करें. उपायुक्त ने कहा कि अगली सुनवाई के पूर्व मुख्य सचिव की ओर से कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य करने के निर्देश भी दिए गए हैं. सभी बिंदुओं पर आयुक्त, कोल्हान प्रमंडल की अध्यक्षता और दिशा निर्देश पर कार्य किए जाएंगे. मामले से संबंधित सभी प्रभावित व्यक्तियों को लगातार जिला प्रशासन की ओर से जो भी सुविधायें हैं उन्हें निरंतर दिया जाएगा.

चाईबासा: झारखंड सरकार के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पश्चिमी सिंहभूम अंतर्गत बंद पड़े रोरो माइंस के क्षेत्र में प्रभावित परिवारों के लिए किए गए कार्यों की गुरुवार को समीक्षा की गई. वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की गई समीक्षा में आयुक्त कोल्हान प्रमंडल डॉक्टर मनीष रंजन, पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त अरवा राजकमल और अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे.

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वीडियो कॉन्फ्रेंस के विषय में जानकारी देते हुए जिला उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि रोरो माइंस क्षेत्र संबंधी विषय राष्ट्रीय हरित अधिकरण के विचाराधीन है. इसी के तहत मुख्य सचिव के आदेश के आलोक में प्रमंडल के आयुक्त की अध्यक्षता में क्षेत्रिय समिति का गठन किया गया है. विगत महीने में रोरो माइंस के क्षेत्र में दो दिवसीय कैंप का आयोजन किया गया. उक्त कैंप में कंपनी के प्रोविडेंट फंड से संबंधित 448 की संख्या में क्लेम फॉर्मेट के अनुसार प्राप्त किए गए. साथ ही कुछ आवेदन पेंशन के लिए भी प्राप्त हुए हैं. सभी क्षेत्रीय प्रोविडेंट फंड कमिश्नर को अग्रसारित किए गए हैं.

रोरो माइंस क्षेत्र के नवीकरण हेतु डीपीआर बनाने का निर्देश

उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि क्षेत्र में कई अन्य मूलभूत और आधारभूत संरचनाओं संबंधी कार्य जैसे जल मीनार, पीसीसी सड़क निर्माण कार्य भी शुरू हो गए हैं. उक्त स्थल पर डिस्प्ले बोर्ड भी लगाया गया है. प्राथमिक कार्य करने के बाद क्षेत्र के पुनर्नवीकरण का कार्य होगा. पूरे देश में पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण संस्था और पर्यावरण इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कार्यरत नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट अर्थात नीरी (NEERI) के माध्यम से पूरे रोरो माइंस क्षेत्र को पूरी तरह से रिक्लेम करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे. क्षेत्र में स्वच्छ वातावरण निर्मित करने के लिए जो आवश्यक कार्य होंगे उसके विषय में डीपीआर बनाने का निर्देश मुख्य सचिव की ओर से दिया गया है.

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एस्बेस्टस प्रभावित लोगों के लिए चिकित्सा के प्रबंध

उपायुक्त ने कहा कि उस क्षेत्र में एस्बेस्टस से प्रभावित जितने भी व्यक्ति हैं उनको राशन कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे. उन सभी को न्यूमोकोकल वैक्सीन भी दिया जाएगा क्योंकि इनके निमोनिया से ग्रसित होने की संभावना हो सकती है. इसलिए वैक्सीन भी चिकित्सकों की देखरेख में परामर्श के अनुसार दी जाएगी.

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से मुआवजे की परिगणना

उपायुक्त ने कहा कि जिस कंपनी ने उस समय उक्त क्षेत्र में एस्बेस्टस माइंस चलाकर वहां पर पर्यावरण को प्रदूषित किया है और उस पर्यावरण के प्रदूषण के कारण जो प्रभावित परिवार हैं. उनके पीएफ क्लेम या अन्य मुआवजा और खनन गतिविधियों से पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचाया है. उन सभी का परिकलन झारखंड स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से किया जा रहा है. नीरी के साथ डीपीआर बनने के बाद अंतिम मुआवजा के रूप में माननीय एनजीटी में झारखंड सरकार की ओर से दावा किया जाएगा कि प्रदूषण पहुंचाने वाली कंपनी से कितनी राशि प्राप्त की जाए और उस क्षेत्र के जो प्रभावित परिवार हैं और जो प्रभावित क्षेत्र हैं उसके विकास में उस राशि को खर्च करें. उपायुक्त ने कहा कि अगली सुनवाई के पूर्व मुख्य सचिव की ओर से कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य करने के निर्देश भी दिए गए हैं. सभी बिंदुओं पर आयुक्त, कोल्हान प्रमंडल की अध्यक्षता और दिशा निर्देश पर कार्य किए जाएंगे. मामले से संबंधित सभी प्रभावित व्यक्तियों को लगातार जिला प्रशासन की ओर से जो भी सुविधायें हैं उन्हें निरंतर दिया जाएगा.

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