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BJP प्रदेश अध्यक्ष का गोद लिया गांव नहीं बन पाया 'आदर्श', आज भी पुरानी है तस्वीर

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने भी पीएम की अपील के बाद एक पंचायत को गोद लिया था. लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी उस गांव में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है और परेशानियां जस की तस हैं.

आदर्श ग्राम योजना की खराब स्थिति
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Published : Mar 29, 2019, 6:21 PM IST

चाईबासा: जयप्रकाश नारायण की जन्मदिन के अवसर पर 11 अक्टूबर 2014 को पीएम मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की नींव रखी थी. जिसके तहत सांसदों को एक गांव गोद लेकर उसका समुचित विकास किया जाना था. लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद सिंहभूम सांसद लक्ष्मण गिलुवा के द्वारा गोद लिया गांव कहीं से आदर्श नजर नहीं आ रहा है.

देखें वीडियो

पीएम मोदी के सपनों को पर लगाने के लिए सिंहभूम सांसद और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने भी चक्रधरपुर में सोनुवा प्रखंड के बाली पंचायत को गोद लिया था. लेकिन इनके गोद लिए दलाईकेला गांव में न बिजली-पानी की व्यवस्था है और न ही स्वास्थ्य की. ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करवाने को लेकर जल मीनार तो बनाई गई है. लेकिन अब तक ग्रामीणों के घर तक पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंची. आलम ये है कि हैंडपंप के पाने के लिए भी लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है.

कुछ यही हाल स्वास्थ्य सेवा का भी है. गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र तो है. बड़े बड़े अक्षरों में स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले डॉक्टरों और कार्य दिवस की भी जानकारी दी गई है. लेकिन इसकी गेट पर लगा ताला और टूटी खिड़कियां ही इसकी बदहाली की पूरी दास्तां बयां कर देती है.
रोजगार की बात करें तो यहां के 50 प्रतिशत से अधिक युवा गांव से पलायन कर चुके हैं. शिक्षा के क्षेत्र में अगर बात करें तो गांव में विद्यालय भी है. लेकिन टीचर नहीं आते. स्कूल के खुले दरवाजे और वीरान पड़े कमरों में गांव के ही युवक अड्डेबाजी करते नजर आते हैं. इन तस्वीरों को देखकर आप साफ अंदाजा लगा सकते हैं कि आदर्श ग्राम योजना की जमीनी हकीकत क्या है.

चाईबासा: जयप्रकाश नारायण की जन्मदिन के अवसर पर 11 अक्टूबर 2014 को पीएम मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की नींव रखी थी. जिसके तहत सांसदों को एक गांव गोद लेकर उसका समुचित विकास किया जाना था. लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद सिंहभूम सांसद लक्ष्मण गिलुवा के द्वारा गोद लिया गांव कहीं से आदर्श नजर नहीं आ रहा है.

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पीएम मोदी के सपनों को पर लगाने के लिए सिंहभूम सांसद और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने भी चक्रधरपुर में सोनुवा प्रखंड के बाली पंचायत को गोद लिया था. लेकिन इनके गोद लिए दलाईकेला गांव में न बिजली-पानी की व्यवस्था है और न ही स्वास्थ्य की. ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करवाने को लेकर जल मीनार तो बनाई गई है. लेकिन अब तक ग्रामीणों के घर तक पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंची. आलम ये है कि हैंडपंप के पाने के लिए भी लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है.

कुछ यही हाल स्वास्थ्य सेवा का भी है. गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र तो है. बड़े बड़े अक्षरों में स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले डॉक्टरों और कार्य दिवस की भी जानकारी दी गई है. लेकिन इसकी गेट पर लगा ताला और टूटी खिड़कियां ही इसकी बदहाली की पूरी दास्तां बयां कर देती है.
रोजगार की बात करें तो यहां के 50 प्रतिशत से अधिक युवा गांव से पलायन कर चुके हैं. शिक्षा के क्षेत्र में अगर बात करें तो गांव में विद्यालय भी है. लेकिन टीचर नहीं आते. स्कूल के खुले दरवाजे और वीरान पड़े कमरों में गांव के ही युवक अड्डेबाजी करते नजर आते हैं. इन तस्वीरों को देखकर आप साफ अंदाजा लगा सकते हैं कि आदर्श ग्राम योजना की जमीनी हकीकत क्या है.

Intro:चाईबासा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत विशेष सहायता से गांव के विकास में योगदान देने की घोषणा की गई थी। पश्चिम सिंहभूम जिला के एक सांसद आदर्श ग्राम दलाइकेला ऐसा भी है जहां विकास का कोई आदर्श नजर नहीं आता है।

सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने चक्रधरपुर अनुमंडल के सोनुवा प्रखंड के बाली पंचायत को सांसद आदर्श ग्राम बनाने की लिए गोद लिया था। बाली पंचायत की दलाईकेला गांव में की बात करें तो ना उस गांव में बिजली पानी की सही व्यवस्था है और ना ही स्वास्थ्य की। स्वास्थ्य सुविधा के लिए गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र तो बनाए गए हैं। परंतु स्वास्थ्य उपकेंद्र में हमेशा ताला लटका रहता है। गांव के ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करवाने को लेकर जल मीनार तो बनाई गई है। परंतु अब तक ग्रामीणों के घर तक पानी की एक बूंद भी नही टपकी है। आज भी लोग चापाकल पर निर्भर है। गांव के लोगों को चापाकल से पानी लेने के लिए लाइन लगाकर खड़ा रहना पड़ता है, इसके बाद ही लोगों की प्यास बुझती है।




Body:2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान लोगों ने मोदी लहर में वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा को प्रचंड बहुमत देकर सांसद बनाकर दिल्ली तक भेजा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर आदर्श ग्राम बाली पंचायत के दलाईकेला को गोद लेकर आदर्श ग्राम बनाने का लक्ष्य लिया। इस दौरान इस गांव से होकर गुजरने वाली चक्रधरपुर से मनोहरपुर तक मुख्य सड़क बन गई परन्तु इसके साथ ही समस्याएं भी खड़ी हो गई और पूरे गांव का ड्रेनेज सिस्टम फेल हो गया नजारा आपके सामने है। पूरे गांव का पानी बनकर इस गड्ढे में सड़क पर रुक जाती है अब गर्मी आ गई है लेकिन जमा हुआ पानी अभी सूखने का नाम नहीं ले रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ठंडे बरसात के दिनों में जलजमाव से लोगों को कितनी परेशानी होती होगी।

अब लोग सांसद की नाकामी को अब खुलकर कहने लगे हैं। उनकी मानें तो सांसद ने आदर्श ग्राम के तहत पेयजल आपूर्ति को लेकर एक योजना की शुरुआत भी की थी जहां आधा अधूरा गांव में पाइप बिछाए गए हैं जल मीनार भी बन चुका है लेकिन मोटर में बिजली सप्लाई देने वाली ट्रांसफार्मर दम तोड़ दिया है जिसका सुध लेने वाला कोई नहीं है। नतीजतन गांव के लोगों को शुद्ध पानी के लिए लंबी चक्कर लगानी पड़ती है और नहाने के लिए गांव में स्थित एक तलाब ही उनका सहारा है जो कि गर्मी के दिनों में सूख जाती है।

यही हाल स्वास्थ्य सेवा का भी है गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र तो है बड़े बड़े अक्षरों में स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले डॉक्टरों और कार्य दिवस की जानकारी लोगों को दी गई है लेकिन मुख्य द्वार में लगे गेट के ताले और खिड़कियों में लगी टूटी हुई इसे बता रहे हैं कि यहां की हालत कैसी है लोगों की माने तो यहां तक पहुंचने के लिए एक आधी अधूरी सड़क भी बनाई गई है जो बरसात के दिनों में मरीजों स्वास्थ्य केंद्र तक लाने के लिए कीचड़ एवं दलदली जमीन रेंगते हुए पार करना पड़ता है। इन की माने तो यहां डॉक्टर कभी कभार ही नजर आते हैं और कभी करवाई करके अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते रहे हैं गांव में कभी किसी को इलाज करवाने के लिए चक्रधरपुर या गोइलकेरा का रुख करना पड़ता है।

गांव में एक आंगनबाड़ी केंद्र भी है लेकिन यह भी अधिकतर समय बंद ही रहता है वहीं अगर रोजगार की बात करें गांव में कोई भी रोजगार का साधन नहीं है। चौक चौराहे पर एक - दो किराने की दुकान मिल जाएंगे, जहां गांव के युवक अड्डे बाजी करते हुए नजर आते हैं. लोग बताते हैं कि रोजगार का साधन नहीं होने के कारण 50 प्रतिशत से अधिक युवा वर्ग गांव से पलायन कर चुके हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में अगर बात करें तो गांव में विद्यालय भी है लेकिन शिक्षक नहीं आते हैं विद्यालय के खुले हुए दरवाजों और वीरान पड़े कमरों को देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। विद्यालय संचालित नहीं होने के कारण विद्यालय के परिसर में गांव के ही युवक अड्डे बाजी करते नजर आते हैं।



Conclusion:यही हाल बिजली का भी है गांव में अधिकतर समय बिजली नहीं रहती है जिस कारण लोग आज भी ढिबरी युग में जीने को मजबूर है। महिलाएं कहती हैं सरकार प्रधानमंत्री आवास के तहत जरूरतमंदों को आवास देने की बात तो करती है। लेकिन अधिकतर लोग पीएम आवास से भी वंचित हैं। लक्ष्मण गिलुवा भाजपा सांसद होने के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और उनके द्वारा द्वारा गोद ली गई आदर्श गांव का यह हाल पार्टी और मोदी सरकार के लिए अच्छे संकेत नहीं है।
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