चाईबासा: जयप्रकाश नारायण की जन्मदिन के अवसर पर 11 अक्टूबर 2014 को पीएम मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की नींव रखी थी. जिसके तहत सांसदों को एक गांव गोद लेकर उसका समुचित विकास किया जाना था. लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद सिंहभूम सांसद लक्ष्मण गिलुवा के द्वारा गोद लिया गांव कहीं से आदर्श नजर नहीं आ रहा है.
पीएम मोदी के सपनों को पर लगाने के लिए सिंहभूम सांसद और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने भी चक्रधरपुर में सोनुवा प्रखंड के बाली पंचायत को गोद लिया था. लेकिन इनके गोद लिए दलाईकेला गांव में न बिजली-पानी की व्यवस्था है और न ही स्वास्थ्य की. ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करवाने को लेकर जल मीनार तो बनाई गई है. लेकिन अब तक ग्रामीणों के घर तक पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंची. आलम ये है कि हैंडपंप के पाने के लिए भी लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है.
कुछ यही हाल स्वास्थ्य सेवा का भी है. गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र तो है. बड़े बड़े अक्षरों में स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले डॉक्टरों और कार्य दिवस की भी जानकारी दी गई है. लेकिन इसकी गेट पर लगा ताला और टूटी खिड़कियां ही इसकी बदहाली की पूरी दास्तां बयां कर देती है.
रोजगार की बात करें तो यहां के 50 प्रतिशत से अधिक युवा गांव से पलायन कर चुके हैं. शिक्षा के क्षेत्र में अगर बात करें तो गांव में विद्यालय भी है. लेकिन टीचर नहीं आते. स्कूल के खुले दरवाजे और वीरान पड़े कमरों में गांव के ही युवक अड्डेबाजी करते नजर आते हैं. इन तस्वीरों को देखकर आप साफ अंदाजा लगा सकते हैं कि आदर्श ग्राम योजना की जमीनी हकीकत क्या है.