चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदड़ी प्रखंड अंतर्गत बुरुगुलीकेरा गांव में हुए नरसंहार की घटना अब राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के लिए एक मुद्दा बन गई है. इसी कड़ी में अखिल भारतीय क्रांतिकारी आदिवासी महासभा के द्वारा अपनी विभिन्न मांगों के साथ इस हत्याकांड में शामिल मृतक के आश्रितों को मुआवजे की मांग को लेकर चाईबासा के गांधी मैदान के समक्ष एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया.
अखिल भारतीय क्रांतिकारी आदिवासी महासभा के अध्यक्ष जॉन मीरन मुंडा ने कहा कि पश्चिमी सिंहभूम जिला खनिज संपदा से परिपूर्ण जिला होने के चलते इसे राज्य की एक धनी जिला के रूप में जाना जाता है. इसके बावजूद यहां के लोग आज भी अशिक्षा, गरीबी और अंधविश्वास की मकड़ी जाल में फंसे हुए हैं. जॉन मीरन मुंडा ने घटना को लेकर निंदा करते हुए मृतक के परिजनों के लिए सरकारी नौकरी और हर परिवार 25 लाख रुपए देने की मांग की है.
इस दौरान उन्होंने कहा कि इस घटना को लेकर वह सरकारी तंत्र को दोषी मानते हैं. यह घटना क्षेत्र का विकास नहीं होना भी माना जा सकता है. यह घटना आदिवासी समुदाय को शर्मसार करता है. इसके साथ ही इस घटना ने आदिवासियों को प्रदेश ही नहीं देश एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शर्मसार किया है. इसके साथ ही आज भी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अशिक्षित है. लोग अंधविश्वास पर जी रहे हैं. आजादी के 70 साल और झारखंड बने 20 साल पूरे होने के बावजूद भी सरकार ने क्या काम किया है यह एक बहुत बड़ा सवाल है.
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लगभग क्षेत्र के स्कूलों को विलय कर दिया था. शिक्षा नीति को समाप्त कर दिया और क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्र अगर होंगे तो आने वाले समय में इस तरह की नरसंहार की घटनाएं बढ़ सकती हैं.
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अखिल भारतीय क्रांतिकारी आदिवासी महासभा के द्वारा सरकार से यह मांग करती है कि मृतक के आश्रितों को 25 लाख रुपए नगद एवं सरकारी नौकरी दिया जाए. इसके साथ-साथ कोल्हान प्रमंडल में टाटा और रूंगटा जैसे बड़े उद्योगपती हैं, जो पूरे कोल्हान को गोद ले. और क्षेत्र में शिक्षा बिजली पानी अपने सीएसआर के तहत इमानदारी पूर्वक करें तो मुझे पूरा विश्वास है कि इस तरह की नरसंहार की घटना क्षेत्र में नहीं घटित होगी.