बोकारो: अंतरराष्ट्रीय जूनियर फुटबॉल चैपिंयनशिप में भारत और राष्ट्रीय फुटबॉल चैंपियनशीप में राज्य का कई बार प्रतिनिधित्व करने वाले बोकारो के खिलाड़ी संतोष कुमार आज बोकारो स्टील प्लांट में ठेका मजदूरी करने को मजबूर हैं. सरकार की ओर से आज तक खेल नीति न बना पाने के कारण ऐसे खिलाड़ी आज खेल को छोड़ रोजी-रोजगार जैसे कार्य करने को विवश हो चुके हैं, ताकि परिवार का पेट पाल सकें.
राज्य में खिलाड़ियों की कमी नहीं
राज्य में खिलाड़ियों की कमी नहीं है और अगर बोकारो की बात की जाए तो यहां से विभिन्न खेलों में खिलाड़ियों ने न सिर्फ बोकारो का परचम लहराया, बल्कि राज्य के साथ देश का भी नाम ऊंचा किया है, लेकिन सरकार के उदासीन रवैए के कारण कई खिलाड़ी अब खेल छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं. उनमें से एक है बोकारो जिले के सेक्टर-9 स्थित शिव शक्ति कॉलानी में रहने वाले फुटबॉल खिलाड़ी संतोष कुमार.
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नहीं मिल सकी किसी तरह की मदद
परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि पिता की मौत के बाद जब परिवार की जिम्मेदारी संतोष पर आई तो खेल को छोड़ वीडियो रिकॉर्डिंग का व्यवसाय शुरू किया और इस लॉकडाउन ने इस खिलाड़ी की जमा पूंजी को भी खत्म कर दिया. आज परिवार चलाने के लिए बोकारो स्टील प्लांट में ठेका मजदूरी का काम करने को विवश वे विवश हैं. जिला फुटबॉल संघ की ओर से संतोष को नियोजन देने की मांग को लेकर वर्ष 2000 में तत्कालीन राज्य सरकार को आवेदन भी भेजा गया था, लेकिन राज्य सरकार की ओर से किसी तरह की मदद खिलाड़ी को नहीं मिल सकी.
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'राज्यस्तरीय खेल में अपनी प्रतिभा के बल पर टीम का हिस्सा बने'
संतोष ने 10 साल की उम्र से ही फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था और 5 साल के अंदर वे राज्यस्तरीय खेल में अपनी प्रतिभा के बल पर टीम का हिस्सा बने. वर्ष 1995 में सुब्रतो मुखर्जी फुटबॉल चैंपियनशिप की विजेता टीम का सदस्य रहे, तो वर्ष 1997 में इजरायल में हुई प्रतियोगिता में भारतीय टीम का हिस्सा बने, जहां भारत तीसरे स्थान पर रहा था. वहीं 1999-2000 में केरल में संतोष ट्राफी में भाग लेने वाली बिहार टीम के सदस्य के रूप में शामिल थे. 5 साल के छोटे कैरियर में संतोष कुमार ने कई मौकों पर स्टील प्लांट चैंपियनशिप में बोकारो स्टील प्लांट की टीम और जिले की स्कूली टीम का प्रतिनिधित्व किया है.