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छत के नीचे सोने से लगता है मौत का डर, खुले आसमान के नीचे रहने की बेबसी

बोकारो जिले के ग्वालाडीह गांव के हरिजन टोले में लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. इन लोगों को इंदिरा आवास योजना के तहत पक्का घर दिया गया था लेकिन अब जर्जर हो चुकी छत मौत का कारण बन रही है.

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Published : Jun 19, 2019, 6:08 PM IST

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बोकारोः पिंड्राजोरा के ग्वालाडीह गांव में बीते दिनों एक घर की छत गिरने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई और 2 बच्चे सहित कुल 3 लोग घायल हो गए. ये सभी इंदिरा आवास योजना के तहत मिले घर में रहते थे. हादसे के बाद ग्रामीण इतने डर गए हैं वे इंदिरा आवास में नहीं रहना चाहते और खुले आसमान के नीचे जिंदगी बिता रहे हैं.

बीते बुधवार को पिंड्राजोरा थाना इलाके में इंदिरा आवास की छत गिरने के बाद से हरिजन टोले के निवासी डरे हुए हैं. हादसे के कुछ दिन बाद फिर से मौके पर पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता को हैरान करने वाला नजारा दिखा. यहां लोग जर्जर इंदिरा आवास में नहीं रहना चाहते, उन्हें डर है कि कहीं कोई छत या दीवार फिर से न गिर जाए.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

करीब 25 साल पहले मिला था घर
ग्रामीणों ने बताया कि साल 1996-97 के दौरान बना इंदिरा आवास अब रहने लायक नहीं है. घटिया निर्माण की वजह से दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं और छत किसी भी वक्त भरभरा कर गिर सकता है.

प्रशासन की नजर में ऑल इज वेल
जिले के उपायुक्त ग्रामीणों की आशंका से बेपरवाह हैं और अब भी सबकुछ ठीक होने की बात कह रहे हैं. वहीं स्थानीय विधायक बिरंचि नारायण ने पीड़ितों के हक में शासन-प्रशासन से मदद की मांग की है.

ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार उनकी बेबसी को समझेगी और उन्हें फिर से रहने के लिए आवास मुहैया करवाया जाएगा. महज 25 साल पहले बने इंदिरा आवास के जर्जर होने के बाद उन्हें फिर से पक्का घर मिलेगा ताकि वे अपने घर में छत के नीचे सुकून से रह सकें.

बोकारोः पिंड्राजोरा के ग्वालाडीह गांव में बीते दिनों एक घर की छत गिरने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई और 2 बच्चे सहित कुल 3 लोग घायल हो गए. ये सभी इंदिरा आवास योजना के तहत मिले घर में रहते थे. हादसे के बाद ग्रामीण इतने डर गए हैं वे इंदिरा आवास में नहीं रहना चाहते और खुले आसमान के नीचे जिंदगी बिता रहे हैं.

बीते बुधवार को पिंड्राजोरा थाना इलाके में इंदिरा आवास की छत गिरने के बाद से हरिजन टोले के निवासी डरे हुए हैं. हादसे के कुछ दिन बाद फिर से मौके पर पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता को हैरान करने वाला नजारा दिखा. यहां लोग जर्जर इंदिरा आवास में नहीं रहना चाहते, उन्हें डर है कि कहीं कोई छत या दीवार फिर से न गिर जाए.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

करीब 25 साल पहले मिला था घर
ग्रामीणों ने बताया कि साल 1996-97 के दौरान बना इंदिरा आवास अब रहने लायक नहीं है. घटिया निर्माण की वजह से दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं और छत किसी भी वक्त भरभरा कर गिर सकता है.

प्रशासन की नजर में ऑल इज वेल
जिले के उपायुक्त ग्रामीणों की आशंका से बेपरवाह हैं और अब भी सबकुछ ठीक होने की बात कह रहे हैं. वहीं स्थानीय विधायक बिरंचि नारायण ने पीड़ितों के हक में शासन-प्रशासन से मदद की मांग की है.

ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार उनकी बेबसी को समझेगी और उन्हें फिर से रहने के लिए आवास मुहैया करवाया जाएगा. महज 25 साल पहले बने इंदिरा आवास के जर्जर होने के बाद उन्हें फिर से पक्का घर मिलेगा ताकि वे अपने घर में छत के नीचे सुकून से रह सकें.

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