बोकारो: केंद्रीय पेट्रोलियम एवं इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सोमवार को झारखंड दौरे पर आए. इस दौरान उन्होंने बोकारो को स्टील कलस्टर बनाने की बात कही. उन्होंने कहा कि 2020 तक सेल का इस्पात उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 300 मिलियन तक किया जाएगा. आने वाले समय में बोकारो पेट्रोलियम और इस्पात उद्योगों का हब बनेगा.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आने वाले समय में बोकारो पेट्रोलियम उत्पाद के लिए जाना जाएगा. बोकारो में सीएनजी से गाड़ियों को चलाया जाएगा. ताकि कम से कम प्रदूषण होगा और इस कड़ी में बोकारो में सीएनजी स्टेशन का उद्घाटन भी हो चुका है. उन्होंने कहा कि वैल्यू एडेड इस्पात के उत्पादन पर जोर दिया जाएगा, ताकि जिस तरह जमशेदपुर को आज लोहा आधारित उद्योगों के लिए जाना जाता है. वहां लोहे पर आधारित उद्योगों का विकास हुआ है. उसी तरह बोकारो की भी एक पहचान होगी.
पीओएल टर्मिनल का शिलान्यास
वहीं, रविवार को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने एलपीजी बॉटलिंग प्लांट और पीओएल टर्मिनल का शिलान्यास किया था. उसके बाद बोकारो के राधा नगर में पीओएल टर्मिनल बनाया जाएगा. इसमें 240 करोड़ की लागत आएगी और एलपीजी बॉटलिंग प्लांट को बनाने में 100 करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे.
मंत्री ने कहा ये बड़ी बात
उन्होंने कहा कि आज अमेरिका और चीन के झगड़े के कारण भारत के स्टील उद्योग का चैलेंज मोड में है और हमारी कोशिश है कि इस तरह की उत्पन्न हुई कठिन परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया जाए. 2030 तक हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 160 मिलियन अतिरिक्त स्टील बनाने की जरूरत पड़ेगी और देश को अभी से ही इसके लिए तैयार किया जा रहा है.
मंत्री ने कहा कि 160 मिलियन की इस जरूरत को पूरा करने में उड़ीसा झारखंड जैसे राज्यों का महत्व होगा और यहां से 60 मिलियन टन स्टील इसके अतिरिक्त जरूरी होगी. उन्होंने कहा कि जब तक देश का पूर्वी भारत मजबूत नहीं होगा तब तक देश मजबूत नहीं होगा यह बात हमेशा प्रधानमंत्री जी कहते रहते हैं. उन्होंने कहा कि पूर्वी भारत में कई तरह के संसाधन है और मानव संसाधन के तौर पर सबसे ज्यादा युवा शक्ति मौजूद है. पूर्वी भारत की काफी अहमियत है इसलिए भारत सरकार का पूरा ध्यान पूर्वी भारत पर है. यहां पर विकास की प्रचुर संभावनाएं हैं.
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इसके साथ ही धर्मेंद्र प्रधान ने कहा की गैस की कई संभावनाओं पर भी काम शुरू कर दिया गया है. सरकार ने कोयले से गैस बनाने, खाना बनाने के काम आने वाले 27,000 किलो लीटर तेल के बार-बार के उपयोग को प्रतिबंधित करने और ऐसे तेल को ऊर्जा में प्रयोग करने का भी निर्णय लिया है. इसके अलावा कई तरह के कूड़े-कचरे से गैस बनाने का काम चल रहा है. 5 साल के अंदर देश में 5 हजार ऐसे गैस बनाने वाली प्लांट लगाए जाएंगे.