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झारखंड के इस गांव में वायरस नहीं भूत का है साया, जानिए क्या है सच्चाई

बोकारो के सुदूर ग्रामीण इलाके टांडा में रहने वाली बिरहोर जनजाति कोरोना वायरस से बिल्कुल अंजान है. प्रशासन दावा करती है कि लोगों को जागरुक करने के लिए वह निरंतर प्रयास में है लेकिन सभी कोशिशें विफल नजर आ रही हैं. पेश है खास रिपोर्ट.

Birhor tribe is completely unaware of the corona virus in bokaro
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Published : Mar 28, 2020, 9:22 PM IST

बोकारोः पूरी दुनिया में कहर बरपाने के बाद कोरोना भारत में भी अपना असर दिखा रहा है. यहां अब तक 15 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है तो 700 से ज्यादा लोग इस जानलेवा वायरस की चपेट में आ चुके हैं. झारखंड एक सौभाग्यशाली राज्य है जहां अभी तक कोरोना का एक भी मरीज नहीं मिला है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित कर दिया है. सरकार ने भी कोरोना से लड़ने के लिए कमर कस लिया है और पूरी तैयारी का दावा है, लेकिन यह दावा तब फुस्स साबित हो जा रहा है जब हम ग्रामीण इलाकों में पहुंच रहे हैं.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-कोविड-19: फोन पर दें आवश्यक सामग्रियों का ऑर्डर, डिलीवरी करेंगे 'आपदा मित्र'

बोकारो प्रशासन फेल

बोकारो से करीब 80 किलोमीटर दूर टांडा में संरक्षित आदिम जनजाति बिरहोर की करीब 200 आबादी है. यहां 15 से ज्यादा बिरहोर परिवार रहते हैं. बिरहोर एक विलुप्त होती आदिम जनजाति है और पूरे देश में अब यह हजारों की संख्या में ही बचे हैं. इसीलिए सरकार बिरहोर को संरक्षित करने के लिए हर संभव कदम उठाती रहती है. वहीं, इस कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच बोकारो जिला प्रशासन कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए पूरी मुस्तैद और चाक-चौबंद होने का दावा करती है और लोगों को जागरूक और लॉकडाउन का पालन कराने का भी दावा करती है, लेकिन इससे उलट कहानी कुछ और है.

वायरस नहीं, यह है 'भूत का साया'

बोकारो में टांडा के बिरहोर का मानना है की बाहर जो कोई बीमारी फैली है वह कोई बीमारी नहीं बल्कि भूत हर जगह पहुंच गया है. यही वजह है कि बिरहोर टनडा में हर ओर सन्नाटा है विरानी है और एक खौफ भी है. यह खौफ कोरोना वायरस से नहीं बल्कि भूत से है. यही वजह है कि लोग घरों में दुबके पड़े हैं. यहां बाहर से आने वाले लोग यह समझ सकते हैं कि बिरहोर लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से घरों में दुबके हुए हैं लेकिन जब आप बिरहोर से मिलते हैं बातें करते हैं तो जो कहानी सामने आती है वह यह बताता है कि हम भले ही लाख विकसित होने का दावा कर रहे हैं. चांद तक पहुंच जाने और मंगल को मुट्ठी में कर लेने का दम भरते हैं लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है.

ये भी पढ़ें-झारखंडः कोरोना कहर के बीच आम जनता को आसानी से मिलेगा राशन, सरकार ने उठाए ये कदम

बचाव के लिए करते हैं 'जाहेर' की पूजा

टांडा के इन बिरहोर का कहना है कि उनके गांव में मुंबई से भूत आ गया है और सबको परेशान कर रहा है. इस भूत से बिरहोर डरे हुए हैं, सहमे हुए हैं और घरों में दुबके हुए हैं. भूत से बचाव के लिए बिरहोर अपने जाहेर देवता को पानी डाल रहे हैं, पाठा कबूल रहे हैं. इनका मानना है कि पानी डालने और बलि देने से जाहेर खुश होंगे और फिर भूत भाग जाएगा. इन लोगों को कोई जानकारी नहीं है कि बाहर किसी तरह की कोई बीमारी फैली हुई है.

वहीं, सरकार और पंचायत के स्तर पर अभी तक इनके पास कोई सुविधा नहीं पहुंची है. मास्क, सैनिटाइजर, साबुन की बात तो छोड़िए इन्हें सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना है यह बताने वाला भी कोई नहीं है. वह तो भला है भूत का जिसके डर से यह घरों में दुबके पड़े हुए हैं. वहीं, गोमिया के विधायक डॉक्टर लंबोदर महतो ने इस पर चिंता जताई है और जिला प्रशासन से अपील की है कि इन तक जरूरी जानकारी और सुविधा पहुंचायी जाए.

बोकारोः पूरी दुनिया में कहर बरपाने के बाद कोरोना भारत में भी अपना असर दिखा रहा है. यहां अब तक 15 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है तो 700 से ज्यादा लोग इस जानलेवा वायरस की चपेट में आ चुके हैं. झारखंड एक सौभाग्यशाली राज्य है जहां अभी तक कोरोना का एक भी मरीज नहीं मिला है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित कर दिया है. सरकार ने भी कोरोना से लड़ने के लिए कमर कस लिया है और पूरी तैयारी का दावा है, लेकिन यह दावा तब फुस्स साबित हो जा रहा है जब हम ग्रामीण इलाकों में पहुंच रहे हैं.

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बोकारो प्रशासन फेल

बोकारो से करीब 80 किलोमीटर दूर टांडा में संरक्षित आदिम जनजाति बिरहोर की करीब 200 आबादी है. यहां 15 से ज्यादा बिरहोर परिवार रहते हैं. बिरहोर एक विलुप्त होती आदिम जनजाति है और पूरे देश में अब यह हजारों की संख्या में ही बचे हैं. इसीलिए सरकार बिरहोर को संरक्षित करने के लिए हर संभव कदम उठाती रहती है. वहीं, इस कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच बोकारो जिला प्रशासन कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए पूरी मुस्तैद और चाक-चौबंद होने का दावा करती है और लोगों को जागरूक और लॉकडाउन का पालन कराने का भी दावा करती है, लेकिन इससे उलट कहानी कुछ और है.

वायरस नहीं, यह है 'भूत का साया'

बोकारो में टांडा के बिरहोर का मानना है की बाहर जो कोई बीमारी फैली है वह कोई बीमारी नहीं बल्कि भूत हर जगह पहुंच गया है. यही वजह है कि बिरहोर टनडा में हर ओर सन्नाटा है विरानी है और एक खौफ भी है. यह खौफ कोरोना वायरस से नहीं बल्कि भूत से है. यही वजह है कि लोग घरों में दुबके पड़े हैं. यहां बाहर से आने वाले लोग यह समझ सकते हैं कि बिरहोर लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से घरों में दुबके हुए हैं लेकिन जब आप बिरहोर से मिलते हैं बातें करते हैं तो जो कहानी सामने आती है वह यह बताता है कि हम भले ही लाख विकसित होने का दावा कर रहे हैं. चांद तक पहुंच जाने और मंगल को मुट्ठी में कर लेने का दम भरते हैं लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है.

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बचाव के लिए करते हैं 'जाहेर' की पूजा

टांडा के इन बिरहोर का कहना है कि उनके गांव में मुंबई से भूत आ गया है और सबको परेशान कर रहा है. इस भूत से बिरहोर डरे हुए हैं, सहमे हुए हैं और घरों में दुबके हुए हैं. भूत से बचाव के लिए बिरहोर अपने जाहेर देवता को पानी डाल रहे हैं, पाठा कबूल रहे हैं. इनका मानना है कि पानी डालने और बलि देने से जाहेर खुश होंगे और फिर भूत भाग जाएगा. इन लोगों को कोई जानकारी नहीं है कि बाहर किसी तरह की कोई बीमारी फैली हुई है.

वहीं, सरकार और पंचायत के स्तर पर अभी तक इनके पास कोई सुविधा नहीं पहुंची है. मास्क, सैनिटाइजर, साबुन की बात तो छोड़िए इन्हें सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना है यह बताने वाला भी कोई नहीं है. वह तो भला है भूत का जिसके डर से यह घरों में दुबके पड़े हुए हैं. वहीं, गोमिया के विधायक डॉक्टर लंबोदर महतो ने इस पर चिंता जताई है और जिला प्रशासन से अपील की है कि इन तक जरूरी जानकारी और सुविधा पहुंचायी जाए.

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