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रामगढ़ छावनी में मनाया गया सारागढ़ी युद्ध दिवस, शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि - Saragarhi War Day 1897

रामगढ़ में सारागढ़ी युद्ध दिवस मनाया गया. इस मौके पर शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान सारागढ़ी युद्ध स्मारक पर सिख रेजिमेंटल सेंटर के कमांडेंट ब्रिगेडियर एम श्री कुमार (शौर्य चक्र), कमांडेंट सिख रेजीमेंट सेंटर अधिकारी, जेसीओ और कई जवान मौजूद रहे.

Saragarhi War Day celebrated in ramgarh
रामगढ़ में सारगढ़ी युद्ध दिवस
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Published : Sep 13, 2020, 4:18 PM IST

रामगढ़: जिले में रामगढ़ छावनी स्थित सिख रेजिमेंटल सेंटर में 123 वां सारागढ़ी दिवस मनाया गया. इस मौके पर सारागढ़ी युद्ध स्मारक पर सिख रेजिमेंटल सेंटर के कमांडेंट ब्रिगेडियर एम श्री कुमार (शौर्य चक्र), कमांडेंट सिख रेजीमेंट सेंटर अधिकारियों, जेसीओ और जवानों ने सारागढ़ी के शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

इस दिन में खास

12 सितंबर 1897 का यह वीर दिवस हर पीढ़ी को प्रेरित करता है. सिख रेजिमेंट के लोग हर साल 12 सितंबर को सारागढ़ी की लड़ाई के दिन को रेजिमेंटल बैटल ऑनर डे के रूप में मनाते हैं. वहीं, इस मौके पर रेजिमेंटल सेंटर के गुरुद्वारा साहिब में शबद कीर्तन का आयोजन किया गया. सारागढ़ी का प्रसिद्ध युद्ध 1897 में 4 सिख के 22 सैनिकों ने लड़ा था, जो तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना का हिस्सा थे. उत्तरी पश्चिमी सीमा प्रांत में हजारों पठानों के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई थी.

लड़ाई की शुरुआत

ब्रिटिश भारतीय सेना उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत के जनजातीय क्षेत्रों पर हावी होने का लक्ष्य बना रही थी. सीमाना एक बहुत ही महत्वपूर्ण जगह थी. फोर्ट लॉकहार्ट और फोर्ट गुलिस्तान नाम के दो समान किले इसी रिज लाइन पर थे, लेकिन वह अंतर दृश्य नहीं थे. इसलिए सारागढ़ी के पोस्ट को इन 2 किलों के बीच एक सिगलिंग पोस्ट के रूप में स्थापित किया गया था.

सिगनलिंग पोस्ट का संचालन हवलदार इधर सिंह के नेतृत्व में बहादुर खालसा की ओर से संचालित किया जा रहा था. उस निर्णायक दिन पर अफरीदी और ओरकजाई जनजाति से जुड़े 10,000 से अधिक आदिवासियों ने सारागढ़ी के चौकी पर हमला किया.

इधर, सिंह के नेतृत्व में सारागढ़ी में उच्च कमान से वापस लेने के आदेश के बावजूद उन्होंने लड़ने का फैसला किया. वीर 22 जवान न केवल दुश्मन को भारी हताहत करने में सक्षम थे, बल्कि उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर भी किया. आखरी गोली और आखरी सांस तक लड़ाई लड़ी और सभी 22 सैनिक शहीद हो गए, लेकिन उन्होंने 1 इंच भी जमीन नहीं छोड़ी.

जवानों को किया गया सम्मानित

सभी योद्धाओं को उनके बलिदान के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट से सम्मानित किया गया था. जब यह खबर लंदन पहुंची, तो ब्रिटिश संसद ने नियमित कामकाज को स्थगित करते हुए उन बहादुरों को सम्मानित किया. बता दें कि इस लड़ाई को यूनेस्को की ओर से दुनिया की आठ सबसे प्रसिद्ध लड़ाई में से एक माना जाता है. कई देशों ने इस लड़ाई को अपने पाठ्य पुस्तकों में भी शामिल किया है.

रेजीमेंटल बैटल ऑनर्स डे

12 सितंबर को 'रेजीमेंटल बैटल ऑनर्स डे' के नाम से भी जाना जाता है. सिख रेजीमेंट इस दिन को हर साल मनाती हैै. सारागढ़ी को 'बैटल ऑफ सारागढ़ी' भी कहा जाता है.

रामगढ़: जिले में रामगढ़ छावनी स्थित सिख रेजिमेंटल सेंटर में 123 वां सारागढ़ी दिवस मनाया गया. इस मौके पर सारागढ़ी युद्ध स्मारक पर सिख रेजिमेंटल सेंटर के कमांडेंट ब्रिगेडियर एम श्री कुमार (शौर्य चक्र), कमांडेंट सिख रेजीमेंट सेंटर अधिकारियों, जेसीओ और जवानों ने सारागढ़ी के शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

इस दिन में खास

12 सितंबर 1897 का यह वीर दिवस हर पीढ़ी को प्रेरित करता है. सिख रेजिमेंट के लोग हर साल 12 सितंबर को सारागढ़ी की लड़ाई के दिन को रेजिमेंटल बैटल ऑनर डे के रूप में मनाते हैं. वहीं, इस मौके पर रेजिमेंटल सेंटर के गुरुद्वारा साहिब में शबद कीर्तन का आयोजन किया गया. सारागढ़ी का प्रसिद्ध युद्ध 1897 में 4 सिख के 22 सैनिकों ने लड़ा था, जो तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना का हिस्सा थे. उत्तरी पश्चिमी सीमा प्रांत में हजारों पठानों के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई थी.

लड़ाई की शुरुआत

ब्रिटिश भारतीय सेना उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत के जनजातीय क्षेत्रों पर हावी होने का लक्ष्य बना रही थी. सीमाना एक बहुत ही महत्वपूर्ण जगह थी. फोर्ट लॉकहार्ट और फोर्ट गुलिस्तान नाम के दो समान किले इसी रिज लाइन पर थे, लेकिन वह अंतर दृश्य नहीं थे. इसलिए सारागढ़ी के पोस्ट को इन 2 किलों के बीच एक सिगलिंग पोस्ट के रूप में स्थापित किया गया था.

सिगनलिंग पोस्ट का संचालन हवलदार इधर सिंह के नेतृत्व में बहादुर खालसा की ओर से संचालित किया जा रहा था. उस निर्णायक दिन पर अफरीदी और ओरकजाई जनजाति से जुड़े 10,000 से अधिक आदिवासियों ने सारागढ़ी के चौकी पर हमला किया.

इधर, सिंह के नेतृत्व में सारागढ़ी में उच्च कमान से वापस लेने के आदेश के बावजूद उन्होंने लड़ने का फैसला किया. वीर 22 जवान न केवल दुश्मन को भारी हताहत करने में सक्षम थे, बल्कि उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर भी किया. आखरी गोली और आखरी सांस तक लड़ाई लड़ी और सभी 22 सैनिक शहीद हो गए, लेकिन उन्होंने 1 इंच भी जमीन नहीं छोड़ी.

जवानों को किया गया सम्मानित

सभी योद्धाओं को उनके बलिदान के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट से सम्मानित किया गया था. जब यह खबर लंदन पहुंची, तो ब्रिटिश संसद ने नियमित कामकाज को स्थगित करते हुए उन बहादुरों को सम्मानित किया. बता दें कि इस लड़ाई को यूनेस्को की ओर से दुनिया की आठ सबसे प्रसिद्ध लड़ाई में से एक माना जाता है. कई देशों ने इस लड़ाई को अपने पाठ्य पुस्तकों में भी शामिल किया है.

रेजीमेंटल बैटल ऑनर्स डे

12 सितंबर को 'रेजीमेंटल बैटल ऑनर्स डे' के नाम से भी जाना जाता है. सिख रेजीमेंट इस दिन को हर साल मनाती हैै. सारागढ़ी को 'बैटल ऑफ सारागढ़ी' भी कहा जाता है.

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