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पानी की कमी ने लोगों को रुलाया, कुआं-चापाकल के बाद नदी और तालाब भी सूखे

बगोदर प्रखंड क्षेत्र में पहले कुआं और चापाकल से पानी निकलना बंद हो गया. इसके बाद पानी के लिए लोगों का रुख नदी और तालाब की ओर बढ़ना शुरू हुआ, लेकिन बढ़ते तापमान के कारण नदी और तालाब भी सूखने लगे. ऐसे में लोगों को अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि अब पानी के लिए किस विकल्प की तलाश करें.

जानकारी देते स्थानीय लोग
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Published : May 25, 2019, 1:44 PM IST

बगोदर/गिरिडीह: लगातार बढ़ रहे तापमान के कारण बगोदर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न जलाशयों का जलस्तर भी लगातार घटता जा रहा है. इससे आमजनों सहित बेजुबानों को भी पानी की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है. लगातार घट रहे जलस्तर ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है और वे वर्तमान के साथ भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं.

जानकारी देते स्थानीय लोग


बगोदर प्रखंड क्षेत्र में पहले कुआं और चापाकल से पानी निकलना बंद हो गया. इसके बाद पानी के लिए लोगों का रुख नदी और तालाब की ओर बढ़ना शुरू हुआ, लेकिन बढ़ते तापमान के कारण नदी और तालाब भी सूखने लगे. ऐसे में लोगों को अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि अब पानी के लिए किस विकल्प की तलाश करें. बगोदर प्रखंड क्षेत्र का प्रमुख जमुनिया नदी सूखने के कगार पर पहुंच गई है, जबकि खेडुआ नदी पूरी तरह से सुख चुकी है.


कुआं-चापाकल से पानी बंद होने के बाद नहाने-धोने के लिए लोग नदी और तालाब के पानी पर आश्रित रहते थे, लेकिन इस बार नदी और तालाब भी साथ छोड़ने लगा है. इसी तरह बगोदरडीह के पास स्थित शिवाला तालाब भी सूख गया है. यही नहीं बिजली की लचर आपूर्ति के कारण बगोदर बाजार में उपभोक्ताओं के बीच पाइप लाइन के जरिए की जाने वाली पानी की सप्लाई भी नियमित हो नहीं पाता है.

बगोदर/गिरिडीह: लगातार बढ़ रहे तापमान के कारण बगोदर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न जलाशयों का जलस्तर भी लगातार घटता जा रहा है. इससे आमजनों सहित बेजुबानों को भी पानी की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है. लगातार घट रहे जलस्तर ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है और वे वर्तमान के साथ भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं.

जानकारी देते स्थानीय लोग


बगोदर प्रखंड क्षेत्र में पहले कुआं और चापाकल से पानी निकलना बंद हो गया. इसके बाद पानी के लिए लोगों का रुख नदी और तालाब की ओर बढ़ना शुरू हुआ, लेकिन बढ़ते तापमान के कारण नदी और तालाब भी सूखने लगे. ऐसे में लोगों को अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि अब पानी के लिए किस विकल्प की तलाश करें. बगोदर प्रखंड क्षेत्र का प्रमुख जमुनिया नदी सूखने के कगार पर पहुंच गई है, जबकि खेडुआ नदी पूरी तरह से सुख चुकी है.


कुआं-चापाकल से पानी बंद होने के बाद नहाने-धोने के लिए लोग नदी और तालाब के पानी पर आश्रित रहते थे, लेकिन इस बार नदी और तालाब भी साथ छोड़ने लगा है. इसी तरह बगोदरडीह के पास स्थित शिवाला तालाब भी सूख गया है. यही नहीं बिजली की लचर आपूर्ति के कारण बगोदर बाजार में उपभोक्ताओं के बीच पाइप लाइन के जरिए की जाने वाली पानी की सप्लाई भी नियमित हो नहीं पाता है.

Intro:कुआं- चापाकल के बाद सूखने लगे नदी- तालाब बगोदर/ गिरिडीह


Body:बगोदर/ गिरिडीहः लगातार बढ़ रहे तापमान के कारण बगोदर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न जलाशयों का जलस्तर भी लगातार घटता जा रहा है. इससे आमजनों सहित बेजुबानों को भी पानी की समस्या से दो- चार होना पड़ रहा है. लगातार घट रहे जलस्तर ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है और वे वर्तमान के साथ भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं. बगोदर प्रखंड क्षेत्र में पहले कुआं और चापाकल से पानी निकलना बंद हो गया. इसके बाद पानी के लिए लोगों का रूख नदी और तालाब की ओर बढ़ना शुरू हुआ. मगर बढ़ते तापमान के कारण नदी और तालाब भी सूखने लगे. ऐसे में लोगों को अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि अब पानी के लिए किस विकल्प की तलाश करें. बगोदर प्रखंड क्षेत्र का प्रमुख जमुनिया नदी सूखने के कगार पर पहुंच गया है जबकि खेडुआ नदी पूरी तरह से सुख चुका है. कुआं- चापाकल से पानी निकलना बंद होने के बाद नहाने- धोने के लिए लोग नदी और तालाब के पानी पर आश्रित रहते थे. मगर इस बार नदी और तालाब भी साथ छोड़ने लगा है. इसी तरह बगोदरडीह के पास स्थित शिवाला तालाब भी सूख गया है. जबकि लोगों का कहना है कि उपरोक्त नदी और तालाब इसके पहले कभी भी नहीं सूखा था. इसके अलावा बिजली की लचर आपूर्ति के कारण बगोदर बाजार में उपभोक्ताओं के बीच पाइप लेन के जरिए की जाने वाली पानी की सप्लाई भी नियमित हो पाता है.


Conclusion:जानकारी देते स्थानीय लोग
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