रांची: प्रदेश कांग्रेस के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन को लेकर कांग्रेसी नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, लेकिन लगातार आयातित नेताओं के भरोसे ही झारखंड प्रदेश कांग्रेस के संचालन को भी वजह माना जा रहा है. ये नेता पुराने कांग्रेसियों को दरकिनार कर संगठन को कमजोर करता आया है.
जेपीसीसी प्रमुख अजय कुमार की ही बात करें तो वह खुद दूसरे दल से आकर कांग्रेस का हाथ थामने वाले अध्यक्ष हैं. वहीं, कुछ नेता दूसरे दल से आकर संगठन के दो-दो पदों पर बने हुए हैं, जबकि पुराने नेताओं को संगठन में जगह नहीं मिली है. दूसरे दल से आने के बाद अध्यक्ष के तौर पर संभाली गयी जिम्मेदारियों से कई कांग्रेस नेताओं ने संतुष्टि जाहिर की तो कई ने नाराजगी.
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर का मानना है कि कांग्रेस में किसी के आने के बाद वह पूरी तरह से कांग्रेसी हो जाता है. ऐसे में कौन किस दल से आया है. इसका मतभेद खत्म हो जाता है. इसलिए लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जेपीसीसी प्रमुख के लिए आयातित नेता के रूप में आवाज उठाना सही नहीं है.
वहीं, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा है कि भले ही जेपीसीसी प्रमुख ने दूसरे दल से आकर कांग्रेस का हाथ थामा है, लेकिन उनकी कार्यशैली और मेहनत से पिछले विधानसभा उपचुनाव में सफलता हासिल हुई है. इस लोकसभा चुनाव में भी उनकी कड़ी मेहनत की वजह से कांग्रेस जीरो से 1 सीट पर आई है. ऐसे में लोकसभा चुनाव में बाकी सीटों पर हार की जिम्मेदारी थोपते हुए अजय कुमार को बाहरी कहना कहीं से सही नहीं है.