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याद किए गए शहीद, 1857 में अंग्रेजों ने आम के पेड़ पर दी थी फांसी

देवघर में रोहिणी शहीद स्थल विकास समिति द्वारा वीर सपूतों को माल्यार्पण कर उनके बलिदान को याद किया गया. इस दौरान स्थानीय कलाकारों के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. 16 जून 1857 को अंग्रेजों द्वारा जवानों को फांसी दी गई थी.

जानकारी देते स्थानीय
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Published : Jun 17, 2019, 10:32 AM IST

देवघर: रविवार को जिले में रोहिणी शहीद स्थल विकास समिति द्वारा वीर सपूतों को माल्यार्पण कर उनके बलिदान को याद किया गया. इस दौरान स्थानीय कलाकारों के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. 16 जून 1857 को अंग्रेजों द्वारा जवानों को फांसी दी गई थी.

जानकारी देते स्थानीय


16 जून 1857 तीन क्रांतिकारी घोड़सवार सिपाही अमर शाहिद अमानत अली, सलामत अली, शेख हारो को अंग्रेजों द्वारा रोहिणी के शहीद स्थल पर आम के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया गया था. जानकारों की मानें तो ये तीनों 1857 के दौरान अस्थाई पांचवी घुड़सवार फौज में सिपाही के हैसियत से तैनात थे. 12 जून 1857 को मेरठ में हुई सिपाहियों की बगावत जैसे ही इन तीन वीर सपूतों को पता लगा. रोहिणी फौजी छावनी में तब्दील हो गया. वहीं इन तीनों ने बगावत का बिगुल फूंक दिया.


इसके बाद शाहिद वीर सपूतों ने यहां तैनात मेजर मैकडोनाल्ड और उनके दो साथी अफसर नार्मन लेस्ली और डॉ. ग्रांट को उन्हीं के घर पर घेर लिया. इस हमले में नार्मन लेस्ली मारा गया था और दो घायल अवस्था में भागलपुर मुख्यालय भागने में सफल रहा था. इसके बाद रोहिणी भेजकर कोर्ट मार्शल हुआ और 16 जून 1857 को इसी रोहिणी शहीद स्थल पर तीनों वीर सपूतों को आम के पेड़ से फांसी पर लटका दिया गया.

देवघर: रविवार को जिले में रोहिणी शहीद स्थल विकास समिति द्वारा वीर सपूतों को माल्यार्पण कर उनके बलिदान को याद किया गया. इस दौरान स्थानीय कलाकारों के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. 16 जून 1857 को अंग्रेजों द्वारा जवानों को फांसी दी गई थी.

जानकारी देते स्थानीय


16 जून 1857 तीन क्रांतिकारी घोड़सवार सिपाही अमर शाहिद अमानत अली, सलामत अली, शेख हारो को अंग्रेजों द्वारा रोहिणी के शहीद स्थल पर आम के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया गया था. जानकारों की मानें तो ये तीनों 1857 के दौरान अस्थाई पांचवी घुड़सवार फौज में सिपाही के हैसियत से तैनात थे. 12 जून 1857 को मेरठ में हुई सिपाहियों की बगावत जैसे ही इन तीन वीर सपूतों को पता लगा. रोहिणी फौजी छावनी में तब्दील हो गया. वहीं इन तीनों ने बगावत का बिगुल फूंक दिया.


इसके बाद शाहिद वीर सपूतों ने यहां तैनात मेजर मैकडोनाल्ड और उनके दो साथी अफसर नार्मन लेस्ली और डॉ. ग्रांट को उन्हीं के घर पर घेर लिया. इस हमले में नार्मन लेस्ली मारा गया था और दो घायल अवस्था में भागलपुर मुख्यालय भागने में सफल रहा था. इसके बाद रोहिणी भेजकर कोर्ट मार्शल हुआ और 16 जून 1857 को इसी रोहिणी शहीद स्थल पर तीनों वीर सपूतों को आम के पेड़ से फांसी पर लटका दिया गया.

Intro:देवघर याद किये गए अमर शहीद अमानत अली,सलामत अली,शेख हारो,1857 में अंग्रेजो ने आम के पेड़ पर दिया था फाँसी।


Body:एंकर देवघर 16 जून 1857 तीन क्रांतिकारी घोडसवार सिपाही अमर शाहिद अमानत अली,सलामत अली,शेख हारो इन तीन वीर सपूतों को अंग्रेजो द्वारा रोहिणी के शहीद स्थल पर आम के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया गया था। जानकारों की माने तो ये तीनो 1857 के दौरान अस्थाई पांचवी घुड़सवार फ़ौज में सिपाही के हैसियत से तैनात थे जो 12 जून 1857 को मेरठ में हुई सिपाहियों की बगावत जैसे ही इन तीन वीर सपूतों को लगा रोहिणी में फौजी छावनी में तब्दील हो गया वही इन तीनो ने बगावत का यही से बिगुल फूक दिया और तीनों शाहिद वीर सपूतों ने यहाँ तैनात मेजर मैकडोनाल्ड ओर उनके दो साथी अफसर नार्मन लेस्ली ओर डॉ ग्रांट को उन्ही के घर पे घेर लिया और हमला बोल दिया जिसमें नार्मन लेस्ली हमले में मारा गया था और दो घायल अवस्था मे भागलपुर मुख्यालय में भागने में सफल रहा था और फ़ौरन फ़ौज को रोहिणी भेजकर कोर्ट मार्शल हुआ और 16 जून 1857 को इसी रोहिणी शाहिद स्थल पर तीनों वीर सपूतो को आम के पेड़ से फांसी पर लटका दिया गया।


Conclusion:बहरहाल,जिला प्रशाशन ओर रोहिणी शाहिद स्थल विकास समिति द्वारा आज यहाँ पहले झंडों तोलन के बाद तीनों वीर सपूतों को माल्यार्पण कर उनकी बलिदान को याद किया गया। जिसके उपलक्ष्य पर स्थानीय कलाकरों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किये गए।

बाइट सुधीर देव,शाहिद स्थल विकास समिति रोहिणी।
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