रांची: कॉ-ऑपरेटिव बैंक धनबाद में वित्तीय गड़बड़ी के आरोपी विनोद कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एसीबी के जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए एसीबी के डीजी से जवाब तलब किया. जिन मामलों की जांच पूरी नहीं हुई है उसकी सूची कोर्ट में पेश करने को कहा है. इनके अलावा अदालत ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव, गृह सचिव को भी अलग से जवाब पेश करने को कहा है.
अदालत ने मामले को जनहित याचिका में बदलने का निर्देश दिया है. झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश चंद्रशेखर की अदालत में धनबाद के कॉ-ऑपरेटिव बैंक में वित्तीय गड़बड़ी के आरोपी विनोद कुमार की एसीबी में लगभग 6 वर्षों से जांच चल रही है, लेकिन अभी तक जांच टच से मस नहीं हुई है. अदालत में एसीबी के जवाब भी संतोषजनक नहीं मिलने पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव, गृह सचिव और एसीबी के एडीजी को जवाब पेश करने को कहा है. इसके साथ ही ऐसी बीकेडी जी को कहा है कि आप उन तमाम मामले की सूची कोर्ट में पेश करें जिनमें अभी जांच पूरी नहीं हुई है.
अदालत ने कहा कि वर्ष 2013 में निगरानी द्वारा प्राथमिकी दर्ज की जाती है. साढ़े पांच वर्ष बीतने के बाद भी जांच एजेंसी द्वारा मामले में पर्याप्त साक्ष्य एकत्र नहीं किया जा सका है. यह मामला गंभीर है. इससे पूर्व 10 मई को मामले के एक आरोपी विनोद कुमार की अग्रिम जमानत याचिका सुनवाई के दौरान एसपी एसीबी धनबाद के जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ. पूर्व में मामले के आरोपी अधिकारी रमोद नारायण झा, नरेंद्र कुमार मिश्र, तंत्रनाथ झा को अग्रिम जमानत मिली थी. उस अग्रिम जमानत को एसीबी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. एसपी ने जवाब में बताया कि अग्रिम जमानत को चुनौती नहीं दी गयी है. कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब 2013 में मामला दर्ज किया गया था, तो जांच पूरी हुई या नहीं.
एसीबी की ओर से बताया गया कि मामले में अनुसंधान अभी चल रहा है. उल्लेखनीय है कि कॉ-ऑपरेटिव बैंक धनबाद के अधिकारियों ने कई लोगों को पुराने लोन की रिकवरी किए बिना ही दोबारा लोन स्वीकृत किया था. इस मामले की जांच की जिम्मेवारी एसीबी को दी गयी थी. एसीबी ने इस मामले में 16 नवंबर 2013 को प्राथमिकी दर्ज की थी.