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लातेहार में वृद्ध की मौत के बाद सवालों के घेरे में प्रशासन, परिवार को 3 महीने से नहीं मिला था अनाज

लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड के लूरगुमी कला गांव निवासी रामचरण मुंडा की मौत भूख की वजह से हो गई. हालांकि, जिला प्रशासन भूख से मौत की बात को पूरी तरह नकार रहा है. दरअसल, महुआडांड़ प्रखंड के लूरगुमी कला गांव में शुक्रवार को 65 वर्षीय कालीचरण मुंडा की मौत हो गई थी. ग्रामीणों का दावा था कि कालीचरण के घर में 3 दिनों से चूल्हा नहीं जला था. घर में अनाज नहीं रहने के कारण खाना नहीं बन रहा था. भोजन के अभाव में बीमार कालीचरण मुंडा की मौत हो गई.

जानकारी देते एसडीएम सुधीर कुमार दास
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Published : Jun 7, 2019, 3:07 PM IST

लातेहार: 21वीं सदी में भूख से मौत की बात भले ही सुनने में अटपटा लगे, लेकिन इस सच्चाई से मुंह मोड़ा भी नहीं जा सकता है. भूख से मौत की घटना के लिए बदनाम झारखंड राज्य में एक बार फिर इसी प्रकार का मामला प्रकाश में आया है. लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड के लूरगुमी कला गांव निवासी रामचरण मुंडा की मौत भूख की वजह से हो गई. हालांकि, जिला प्रशासन भूख से मौत की बात को पूरी तरह नकार रहा है.

जानकारी देते एसडीएम सुधीर कुमार दास

3 महीने से नहीं मिला अनाज
दरअसल, महुआडांड़ प्रखंड के लूरगुमी कला गांव में शुक्रवार को 65 वर्षीय कालीचरण मुंडा की मौत हो गई थी. ग्रामीणों का दावा था कि कालीचरण के घर में 3 दिनों से चूल्हा नहीं जला था. घर में अनाज नहीं रहने के कारण खाना नहीं बन रहा था. भोजन के अभाव में बीमार कालीचरण मुंडा की मौत हो गई. ग्रामीणों का कहना था कि गांव के डीलर के द्वारा पिछले 3 महीने से किसी भी ग्रामीण को अनाज वितरण नहीं किया जा रहा है. जिससे गांव के गरीब लोगों के समक्ष खाने के लाले पड़े हुए हैं.

घर में 3 दिन से नहीं बना खाना: बेटी
मृतक कालीचरण मुंडा की बेटी ने बताया कि उनके घर में 3 दिन से खाना नहीं बना था. घर में अनाज का एक दाना भी नहीं था. घर में पिता ही मात्र कमाने वाले थे. उसने बताया कि 3 महीने से राशन भी नहीं मिला था. वहीं गांव के ही मदन प्रसाद ने बताया कि डीलर के द्वारा किसी को राशन नहीं दिया जा रहा है. इसी कारण भूख से कालीचरण मुंडा की मौत हुई है.

भूख से नहीं हुई है मौत: SDM
हालांकि, भूख से मौत के मामले को पूरी तरह नकारते हुए महुआडांड़ के एसडीएम सुधीर कुमार दास ने दावा किया कि कालीचरण मुंडा की मौत भूख के कारण नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि कालीचरण के परिवार को सभी प्रकार की सरकारी सुविधा दी जाती है. राशन वितरण के संबंध में उन्होंने कहा कि 3 महीने पहले यहां के डीलर की मौत हो गई थी उसके स्थान पर उसकी पत्नी को राशन का दुकान दिया गया है. गांव में इंटरनेट नहीं है, इस कारण ऑनलाइन राशन वितरण संभव नहीं हो पाया है. अब गांव में ऑफलाइन राशन वितरण की स्वीकृति दे दी गई है.

लातेहार: 21वीं सदी में भूख से मौत की बात भले ही सुनने में अटपटा लगे, लेकिन इस सच्चाई से मुंह मोड़ा भी नहीं जा सकता है. भूख से मौत की घटना के लिए बदनाम झारखंड राज्य में एक बार फिर इसी प्रकार का मामला प्रकाश में आया है. लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड के लूरगुमी कला गांव निवासी रामचरण मुंडा की मौत भूख की वजह से हो गई. हालांकि, जिला प्रशासन भूख से मौत की बात को पूरी तरह नकार रहा है.

जानकारी देते एसडीएम सुधीर कुमार दास

3 महीने से नहीं मिला अनाज
दरअसल, महुआडांड़ प्रखंड के लूरगुमी कला गांव में शुक्रवार को 65 वर्षीय कालीचरण मुंडा की मौत हो गई थी. ग्रामीणों का दावा था कि कालीचरण के घर में 3 दिनों से चूल्हा नहीं जला था. घर में अनाज नहीं रहने के कारण खाना नहीं बन रहा था. भोजन के अभाव में बीमार कालीचरण मुंडा की मौत हो गई. ग्रामीणों का कहना था कि गांव के डीलर के द्वारा पिछले 3 महीने से किसी भी ग्रामीण को अनाज वितरण नहीं किया जा रहा है. जिससे गांव के गरीब लोगों के समक्ष खाने के लाले पड़े हुए हैं.

घर में 3 दिन से नहीं बना खाना: बेटी
मृतक कालीचरण मुंडा की बेटी ने बताया कि उनके घर में 3 दिन से खाना नहीं बना था. घर में अनाज का एक दाना भी नहीं था. घर में पिता ही मात्र कमाने वाले थे. उसने बताया कि 3 महीने से राशन भी नहीं मिला था. वहीं गांव के ही मदन प्रसाद ने बताया कि डीलर के द्वारा किसी को राशन नहीं दिया जा रहा है. इसी कारण भूख से कालीचरण मुंडा की मौत हुई है.

भूख से नहीं हुई है मौत: SDM
हालांकि, भूख से मौत के मामले को पूरी तरह नकारते हुए महुआडांड़ के एसडीएम सुधीर कुमार दास ने दावा किया कि कालीचरण मुंडा की मौत भूख के कारण नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि कालीचरण के परिवार को सभी प्रकार की सरकारी सुविधा दी जाती है. राशन वितरण के संबंध में उन्होंने कहा कि 3 महीने पहले यहां के डीलर की मौत हो गई थी उसके स्थान पर उसकी पत्नी को राशन का दुकान दिया गया है. गांव में इंटरनेट नहीं है, इस कारण ऑनलाइन राशन वितरण संभव नहीं हो पाया है. अब गांव में ऑफलाइन राशन वितरण की स्वीकृति दे दी गई है.

Intro:अनाज के अभाव में फिर हुई एक मौत! शर्मसार हुआ झारखंड

लातेहार. 21वीं सदी में भी भूख से मौत की बात भले ही सुनने में अटपटा लगे, परंतु इस सचाई से मुंह मोड़ा भी नहीं जा सकता है. भूख से मौत की घटना के लिए बदनाम झारखंड राज्य में एक बार फिर इसी प्रकार का मामला प्रकाश में आया है. नए घटनाक्रम के अनुसार लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड के लूरगुमी कला गांव निवासी रामचरण मुंडा की मौत भुख से होने का दावा ग्रामीण कर रहे हैं. हालांकि जिला प्रशासन भूख से मौत की बात को पूरी तरह नकार रहा है .


Body:दरअसल महुआडांड़ प्रखंड के लूरगुमी कला गांव में शुक्रवार को 65 वर्षीय कालीचरण मुंडा की मौत हो गई थी. ग्रामीणों का दावा था कि कालीचरण के घर में 3 दिनों से चूल्हा नहीं जला था. घर में अनाज नहीं रहने के कारण खाना नहीं बन रहा था. भोजन क्या भाव में बीमार कालीचरण मुंडा की मौत हो गई. ग्रामीणों का कहना था कि गांव के डीलर के द्वारा गत 3 माह से किसी भी ग्रामीण को अनाज वितरण नहीं किया जा रहा है. जिससे गांव के गरीब लोगों के समक्ष खाने के लाले पड़े हुए हैं. मृतक कालीचरण मुंडा की बेटी ने बताया कि उनके घर में 3 दिन से खाना नहीं बना था. घर में अनाज का एक दाना भी नहीं था, घर में पिता ही मात्र कमाने वाले थे. उसने बताया कि 3 माह से राशन भी नहीं मिला था. वही गांव के हैं मदन प्रसाद ने बताया कि डीलर के द्वारा किसी को राशन नहीं दिया जा रहा है. इसी कारण भूख से कालीचरण मुंडा की मौत हुई है. हालांकि भूख से मौत के मामले को पूरी तरह नकारते हुए महुआडांड़ के एसडीएम सुधीर कुमार दास ने दावा किया कि कालीचरण मुंडा की मौत भूख के कारण नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि कालीचरण के परिवार को सभी प्रकार की सरकारी सुविधा दी जाती है. राशन वितरण के संबंध में उन्होंने कहा कि 3 माह पहले यहां के डीलर की मौत हो गई थी उसके स्थान पर उसकी पत्नी को राशन का दुकान दिया गया है चुकी गांव में इंटरनेट नहीं है,इस कारण ऑनलाइन राशन वितरण संभव नहीं हो पाया. अब गांव में ऑफलाइन राशन वितरण की स्वीकृति दे दी गई है.
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note- विजुअल और बाइट एफटीपी पर भेजी गई है


Conclusion:भूख से मौत के मामले को प्रशासनिक पदाधिकारी भले ही नकार दें ,परंतु उनकी यह जवाबदेही है कि लाभुकों को प्रत्येक माह सरकार द्वारा आवंटित राशन मिल सके. गांव के लड़कों को 3 माह से राशन नहीं मिलना जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने के लिए काफी है.
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