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तेलंगाना में झारखंड के सीआरपीएफ जवान की संदीग्ध मौत, चुनाव ड्यूटी पर थे तैनात

तेलंगाना में हजारीबाग के सीआरपीएफ जवान की संदीग्ध अवस्था में मौत हुई है. चुनाव में सुरक्षा को लेकर झारखंड से 80 जवान विकाराबाद पहुंचे थे. बुधवार को लापता जवान का शव संदीग्ध अवस्था में फील्डनीयर परिसर में मिला. जवान सोमवार की सुबह से गायब था.

जानकारी देते सीआरपीएफ जवान महमूद आलम
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Published : Apr 3, 2019, 5:34 PM IST

रांची: तेलंगाना के विकाराबाद में सीआरपीएफ जवान असरफुल दिवान की संदिग्ध अवस्था में लाश मिली है. जवान सोमवार की सुबह से लापता था. जिसके बाद सीआरपीएफ की टीम ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी.


बता दें कि लोकसभा चुनाव में सुरक्षा को लेकर झारखंड से 80 जवान विकाराबाद पहुंचे थे. बुधवार को लापता जवान का शव संदीग्ध अवस्था में फील्डनीयर परिसर में मिला. जवान सोमवारकी सुबह से गायब था. बताया जा रहा है कि असरफुल की दिमागी हालत ठीक नहीं थी.सीआरपीएफ की टीम ने जवान के लापता होने की खबर थाने में दर्ज कराई थी. लाश मिलने के बाद पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है. वहीं, जवान के परिजन को भी मामले की सूचना दी गई है.

जानकारी देते सीआरपीएफ जवान महमूद आलम

रांची: तेलंगाना के विकाराबाद में सीआरपीएफ जवान असरफुल दिवान की संदिग्ध अवस्था में लाश मिली है. जवान सोमवार की सुबह से लापता था. जिसके बाद सीआरपीएफ की टीम ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी.


बता दें कि लोकसभा चुनाव में सुरक्षा को लेकर झारखंड से 80 जवान विकाराबाद पहुंचे थे. बुधवार को लापता जवान का शव संदीग्ध अवस्था में फील्डनीयर परिसर में मिला. जवान सोमवारकी सुबह से गायब था. बताया जा रहा है कि असरफुल की दिमागी हालत ठीक नहीं थी.सीआरपीएफ की टीम ने जवान के लापता होने की खबर थाने में दर्ज कराई थी. लाश मिलने के बाद पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है. वहीं, जवान के परिजन को भी मामले की सूचना दी गई है.

Intro: करोड़ो रुपया की लागत से बना शहरी पेयजल आपूर्ति योजना राजनीति का चढ़ा भेंट, जिलेवशी आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर।
स्टोरी-सहिबगंज- शहर के लोगो को एक आश जगी थी कि अब शुद्ध पेयजल पीने को मिलेगा और दूषित जल से निजात मिल पायेगा। तत्कालीन सरकार पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इस योजना का शिलान्यास करने के बाद काम जोर शोर से चल रहा था। शहर के हाथी पार्क में वाटर स्टॉक और ट्रीटमेंट के वेल का निर्माण भी हुआ और शहर के गली गली में पाइप भी अंडरग्राउंड बिछा दिया गया। शाहरवशियो में खुशी का माहौल था कि होम डिलीवरी पानी मिलेगा और राहत भी मिलेगी।
लेकिन जैसे ही 2014 में बीजेपी की बनी तो इस योजना में ग्रहण लग गया और इस काम को रोक दिया गया। और आज तक काम बंद है निर्माणकर्ता कंपनी भाग गई। 5 साल के कार्यकाल में यहाँ सांसद न तो प्रयास किया और न बर्तमान सरकार के विधायक ने प्रयास किया।
समाजसेवी अरबिंद गुप्ता ने कहा कि इसे लेकर कई बार आंदोलन किया गया ।सरकार और प्रशासन कस ध्यान इस ओर आकृष्ट किया गया लेकिन किसी के कान में जु तक नही रेंगा। कहा कि सहिबगंज की जमीन के अंदर का पानी दूषित है पानी मे आर्सेनिक,फ्लोराइड जैसा जहरीला पदार्थ मिक्स है इस पानी को लोग पिने को मजबूर है कहा कि सहिबगंज के लोगो के स्वास्थ पर बुरा असर पड़ता है यह के लोगो मे कैंसर, चमड़ा रोग से ग्रसित अधिक रोगी मिलते है लेकिन बर्तमान सरकार अपनी उपलब्धि लेने के चक्कर मे इस योजना को खत्म कर दिया।
बाइट-अरबिंद गुप्ता, समाजसेवी
नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा कि इस योजना का डीपीआर बनाकर पीएचडी विभाग को सौप दिया गया था जो शुरुवाती दौर में 52 करोड़ की लागत से बनना था जो बाद में इसे बढाया भी गया था। लेकिन किसी प्रतिनिधि ने इसे न तो संसद में मामला को उठाया और न विधानसभा में गुंजा। आज यह स्थिति है की यहाँ के लोग दूषित पानी पीकर असाध्य जैसी बीमारी से ग्रसित हो रहे है। पांच साल सरकार को गुजर गया लेकिन जनता के हित मे कोई भी सांसद और विधायक काम नही किया है
बाइट-अनवर अली, पूर्व उपाध्यक्ष, नगर परिषद
वही स्थानीय लोगो का कहना है कि एक आश जगी थी कि यह योजना तैयार होनो से गरीब लोगों को शुद्ध पेयजल होम डिलीवरी के माध्यम से मिलता लेकिन सही सहिबगंज मि जनता के साथ घोर अन्याय हुआ है सरकार यहाँ की जनता के साथ सौतेला ब्यवहार की है ।
बाइट- राजेश मंडल, बिनोद कुमार, स्थानीय



Body:करोड़ो रुपया की लागत से बना शहरी पेयजल आपूर्ति योजना राजनीति का चढ़ा भेंट, जिलेवशी आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर।
स्टोरी-सहिबगंज- शहर के लोगो को एक आश जगी थी कि अब शुद्ध पेयजल पीने को मिलेगा और दूषित जल से निजात मिल पायेगा। तत्कालीन सरकार पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इस योजना का शिलान्यास करने के बाद काम जोर शोर से चल रहा था। शहर के हाथी पार्क में वाटर स्टॉक और ट्रीटमेंट के वेल का निर्माण भी हुआ और शहर के गली गली में पाइप भी अंडरग्राउंड बिछा दिया गया। शाहरवशियो में खुशी का माहौल था कि होम डिलीवरी पानी मिलेगा और राहत भी मिलेगी।
लेकिन जैसे ही 2014 में बीजेपी की बनी तो इस योजना में ग्रहण लग गया और इस काम को रोक दिया गया। और आज तक काम बंद है निर्माणकर्ता कंपनी भाग गई। 5 साल के कार्यकाल में यहाँ सांसद न तो प्रयास किया और न बर्तमान सरकार के विधायक ने प्रयास किया।
समाजसेवी अरबिंद गुप्ता ने कहा कि इसे लेकर कई बार आंदोलन किया गया ।सरकार और प्रशासन कस ध्यान इस ओर आकृष्ट किया गया लेकिन किसी के कान में जु तक नही रेंगा। कहा कि सहिबगंज की जमीन के अंदर का पानी दूषित है पानी मे आर्सेनिक,फ्लोराइड जैसा जहरीला पदार्थ मिक्स है इस पानी को लोग पिने को मजबूर है कहा कि सहिबगंज के लोगो के स्वास्थ पर बुरा असर पड़ता है यह के लोगो मे कैंसर, चमड़ा रोग से ग्रसित अधिक रोगी मिलते है लेकिन बर्तमान सरकार अपनी उपलब्धि लेने के चक्कर मे इस योजना को खत्म कर दिया।
बाइट-अरबिंद गुप्ता, समाजसेवी
नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा कि इस योजना का डीपीआर बनाकर पीएचडी विभाग को सौप दिया गया था जो शुरुवाती दौर में 52 करोड़ की लागत से बनना था जो बाद में इसे बढाया भी गया था। लेकिन किसी प्रतिनिधि ने इसे न तो संसद में मामला को उठाया और न विधानसभा में गुंजा। आज यह स्थिति है की यहाँ के लोग दूषित पानी पीकर असाध्य जैसी बीमारी से ग्रसित हो रहे है। पांच साल सरकार को गुजर गया लेकिन जनता के हित मे कोई भी सांसद और विधायक काम नही किया है
बाइट-अनवर अली, पूर्व उपाध्यक्ष, नगर परिषद
वही स्थानीय लोगो का कहना है कि एक आश जगी थी कि यह योजना तैयार होनो से गरीब लोगों को शुद्ध पेयजल होम डिलीवरी के माध्यम से मिलता लेकिन सही सहिबगंज मि जनता के साथ घोर अन्याय हुआ है सरकार यहाँ की जनता के साथ सौतेला ब्यवहार की है ।
बाइट- राजेश मंडल, बिनोद कुमार, स्थानीय



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