हैदराबाद : विश्व शौचालय दिवस हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है. इसको मनाने का उद्देश्य लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है. जलवायु परिवर्तन की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. बाढ़, सूखा और समुद्र का बढ़ता स्तर शौचालय से लेकर सेप्टिक टैंक और ट्रीटमेंट प्लांट तक की सफाई व्यवस्था को खतरे में डाल रहा है. इस साल इसका थीम सतत स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन है.
सभी लोगों के पास स्थायी स्वच्छता होनी चाहिए, यह लोगों का अधिकार है, जो जलवायु परिवर्तन का सामना कर सके. संयुक्त राष्ट्र हर साल विश्व शौचालय दिवस पर एक विषय चुनता है, ताकि उचित स्वच्छता सुविधाओं की आवश्यकता के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके. पिछले कुछ वर्षों के विषयों में गंदे पानी, शौचालय और नौकरियां, शौचालय और पोषण, समानता और गरिमा शामिल हैं.
क्या है विश्व शौचालय दिवस ?
विश्व शौचालय दिवस 19 नवंबर को विश्व स्तर पर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. वर्ल्ड टॉयलेट डे उन सभी लोगों के जागरूकता को बढ़ावा देने का दिन है, जिनके पहुंच अभी भी शौचालय तक नहीं है.
विश्व शौचालय दिवस 2001 में विश्व शौचालय संगठन द्वारा लागू किया गया था. इसके बाद 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व शौचालय दिवस को एक आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र दिवस घोषित किया. तीन में से एक लोग की अभी भी नियमित टॉयलेट तक पहुंच नहीं है. कुल मिलाकर लगभग 2.5 बिलियन लोगों के पास टॉयलेट तक नियमित पहुंच नहीं है. उचित स्वच्छता को एक बुनियादी अधिकार घोषित किया गया है. इसके न होने से लोगों में संक्रामक रोग का प्रसार बढ़ रहा है, जैसे हैजा, टाइफाइड और हेपेटाइटिस. अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दस्त से बच्चों की सबसे ज्यादा मौते होती हैं.
विश्व शौचालय दिवस का इतिहास
सिंगापुर के व्यक्ति जैक सिम ने विश्व शौचालय संगठन स्थापित किया. जैक ने 2001 के बाद से स्वच्छता मुद्दों उठाकर वैश्विक मीडिया केंद्र के मंच पर लाया. उन्होंने विश्व शौचालय संगठन को वैश्विक नेटवर्क के रूप में स्थापित किया और स्वच्छता संगठनों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, सरकार को इन मुद्दों के समाधानों पर चर्चा के लिए मंच बनाकर आमंत्रित किया.
2001 में यूएन-वाटर संस्था ने टॉयलेट डे की शुरुआत की. तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा कि सभी को खुले में शौच की समस्या को समाप्त करना होगा.
2010 में आधिकारिक तौर पर पानी और स्वच्छता को एक मानवीय अधिकार घोषित किया गया. 2013 में विश्व शौचालय संगठन को संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया. हालांकि, बाद में इसका नाम बदलकर वर्ल्ड टॉयलेट डे कर दिया गया.
विश्व शौचालय दिवस और स्वच्छता
विश्व संगठन महासभा ने दुनिया भर में 4.5 अरब लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस के रूप में नामित किया. इसमें कहा गया कि शौचालय के बिना मानव अपशिष्ट भोजन और जल स्रोतों को दूषित कर सकते हैं, जिससे लोगों के बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है.
विश्व शौचालय दिवस का लक्ष्य हर किसी को अपनी सुरक्षा के लिए बिना किसी डर के अपनी प्राथमिक आवश्यकताओं की देखभाल की अनुमति देना है. खुले में शौच महिलाओं और युवाओं में यौन उत्पीड़न बढ़ाने का एक मुख्य कारण है. युवा लड़कियों को मासिक धर्म शुरू होता पर जानकारी की कमी उन्हें स्कूल से घर रहने के लिए मजबूर करती है.
विश्व शौचालय दिवस का महत्व
विश्व शौचालय दिवस के बिना यह जानना मुश्किल होगा कि स्वच्छता का मुद्दा कितना जरूरी है. 2014 में विश्व शौचालय दिवस पर भारत इसकी जानकी हुई कि 60.4% से अधिक आबादी के पास शौचालय तक पहुंच नहीं है. यह चौंकाने वाला है क्योंकि उचित स्वच्छता की कमी से मौतें हो रही हैं, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.
घरों और स्कूलों में स्वच्छता की सार्वभौमिक पहुंच जरूरी
- रोगों में कमी
- बच्चों के बेहतर पोषण की स्थिति
- सुरक्षा और बच्चों की भलाई में वृद्धि
- विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के लिए शैक्षिक संभावनाओं की वृद्धि
कैसे मनाये विश्व शौचालय दिवस
हर साल लाखों लोग ऑनलाइन सेमिनार और दुनिया भर में आयोजित विश्व शौचालय दिवस कार्यक्रमों में शामिल होकर विश्व शौचालय दिवस को बढ़ावा देते हैं. इस दिन के लिए सबसे आम पालन सोशल मीडिया के माध्यम से होता है जहां हैशटैग #worldtoiletday, #ToiletAccessIsARight, #WeCantWait का उपयोग जागरूकता फैलाने के लिए किया जाता है.
विश्व शौचालय दिवस के जुड़ें कुछ रोचक तथ्य
- विश्व के 40% हिस्से में 2.4 बिलियन लोग हैं, जिनके पास स्वच्छता तक पहुंच की कमी है.
- पिछले 200 वर्षों में शौचालय के उपयोग ने मानव जीवन में बीस और साल जोड़े हैं.
- 2030 के सतत विकास लक्ष्यों में संयुक्त राष्ट्र सभी के लिए पानी और स्वच्छता की उपलब्धता की उम्मीद करता है.
- दुनिया भर में अधिक लोगों के पास शौचालय की तुलना में मोबाइल फोन तक पहुंच है.
- विशेष रूप से लड़कियों और बच्चों में अस्वच्छता कुपोषण और बीमारी को बढ़ावा देती है.
- पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु के पीछे डायरिया दूसरा प्रमुख कारण है.
विश्व शौचालय दिवस
- विश्व शौचालय दिवस ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन पर भी प्रकाश डालता है.
- विश्व शौचालय दिवस सभी लोगों को सिखाने के लिए है कि अपने अपशिष्ट का प्रबंधन कैसे करें ताकि वे स्वस्थ रहें और बीमारियों से संक्रमित न हों.
भारत के बारे में एनएसएस रिपोर्ट 2018
- ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 56.6 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में लगभग 91.2 प्रतिशत घरों में बाथरूम की सुविधा उपलब्ध है.
- जिन घरों में बाथरूम की सुविधा थी, उनमें ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 48.4 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में लगभग 74.8 प्रतिशत में आवास इकाई से जुड़े बाथरूम थे.
- ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 71.3 प्रतिशत घरों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 96.2 प्रतिशत घरों में शौचालय की सुविधा थी.
- राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) द्वारा आयोजित 76वें एनएसएस दौर में पाया गया कि सितंबर 2018 तक भारत के 28.7% ग्रामीण घरों में शौचालय की सुविधा नहीं थी और 32% खुले में शौच करते थे.
- उस समय स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के आधिकारिक आंकड़ों ने और अधिक आशावादी तस्वीर चित्रित की, जिसमें दावा किया गया कि भारत के सिर्फ 6% घरों में शौचालय की सुविधा नहीं है.