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उज्ज्वला पर महंगाई की मार : यहां 38 लाख महिलाओं ने छोड़ा LPG सिलेंडर

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Published : Jun 8, 2021, 9:51 PM IST

केंद्र सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत महिलाओं को फ्री गैस सिलेंडर दिए गए थे. लेकिन अब महिलाएं सिलेंडर छोड़ चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर हैं. वजह है रसोई गैस की आसमान छूती कीमतें. गैस के दाम 850 रुपए के करीब पहुंच गये हैं. ऐसे में राजस्थान की लगभग 38 लाख महिलाओं ने सिलेंडर लेना बंद कर दिया है.

उज्ज्वला पर महंगाई की मार
उज्ज्वला पर महंगाई की मार

जयपुर: एक तरफ कोरोना संकट में उपजी आर्थिक तंगी तो दूसरी तरफ गैस के दामों में लगी आग. ऐसे में महिलाओं को जो रसोई गैस का सिलेंडर उज्ज्वला योजना में मिला था, उसे 850 रुपए में भरवाना महिलाओं को महंगा पड़ रहा है. ऐसे में राजस्थान की लाखों गृणहियां फिर से चूल्हे का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं.

रसोई गैस के दामों ने आम लोगों के घर का बजट बिगाड़ दिया है. कोरोना काल में बीते 14 महीने में 38 लाख महिलाओं ने उज्ज्वला योजना में मिले गैस सिलेंडर को घर के कोने में रख दिया है. ग्रामीण महिलाएं खेत से लकड़ियां चुनकर चूल्हे के लिए ईंधन का इंतजाम करने लगी हैं.

उज्ज्वला पर महंगाई की मार

गैस पर सब्सिडी खत्म हो चुकी है

गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी तो डेढ़ साल पहले ही खत्म हो चुकी है. साथ ही गैस के दाम भी बढ़कर 850 रुपए के करीब पहुंच गए है. सदा कंवर और सोहनी देवी बताती हैं कि कोरोना काल में काम-धंधे बंद हैं. गैस के दाम भी आसमान छू रहे हैं. ऐसे में महंगा सिलेंडर नहीं खरीद सकते. इसलिए चूल्हे पर रोटी बना रहे हैं.

चूल्हे पर खाना पकाने की मजबूरी
चूल्हे पर खाना पकाने की मजबूरी

राजस्थान में 38 लाख लोगों ने सिलेंडर लेना बंद किया

आंकड़ों के अनुसार पिछले 14 महीनों में गैस सिलेंडर 523 से बढ़कर 813 रुपए का हो गया है. राजस्थान के 38 लाख लोगों ने सिलेंडर लेना बंद कर दिया है. ये वही लोग हैं जिन्हें सरकार उज्ज्वला योजना के तहत सस्ता सिलेंडर दे रही थी. जयपुर में कुल 3.5 लाख में से करीब 2 लाख उपभोक्ता सिलेंडर छोड़कर चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर हो गए हैं. इस वर्ग में या तो अर्द्ध बेरोजगार हैं या दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग हैं.

पढ़ें- तपते धोरों में 'प्यास' से मर गई 5 साल की मासूम, घंटों बेसुध पड़ी रही नानी...विपक्ष ने सरकार को घेरा

सिर्फ 40 फीसदी लोग सिलेंडर ले रहे, वह भी साल में एक या दो

उज्ज्वला योजना के तहत राजस्थान के कुल 65 लाख लोगों को सस्ता सिलेंडर मिल रहा था. इनमें से 60% लोग सिलेंडर लेना बंद कर चुके हैं. एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर फैडरेशन राजस्थान के महासचिव कार्तिक गौड़ कहते हैं कि गैस के लगातार बढ़ते दामों की वजह से 60 फीसदी लोगों ने उज्ज्वला योजना में मिलने वाली गैस का उपयोग बंद कर दिया है. 40 फीसदी लोग भी साल में महज एक या दो बार ही गैस भरवा रहे हैं.

उज्ज्वला योजना में अंधेरा
उज्ज्वला योजना में अंधेरा

महंगा सिलेंडर और सब्सिडी नहीं मिलना वजह

गौड़ बताते हैं कि लोगों के रसोई गैस इस्तेमाल बंद के पीछे दो बड़े प्रमुख कारण हैं. एक तो गैस के दाम बहुत ज्यादा हो गए. वर्तमान में 813 रुपए का सिलेंडर मिल रहा है. दूसरा कारण गैस सिलेंडर पर कोई सब्सिडी नहीं मिल रही है.

30 लाख महिलाओं ने छोड़ा महंगा एलपीजी सिलेंडर
30 लाख महिलाओं ने छोड़ा महंगा एलपीजी सिलेंडर

प्रदेश में 1.75 करोड़ गैस उपभोक्ता हैं. इनमें से 32 लाख अकेले जयपुर में हैं. प्रदेश में एक माह में 1 करोड़ 12 लाख और जयपुर में 28 लाख सिलेंडर की खपत होती है. अब यह घटकर आधी ही रह गई है. एलपीजी फेडरेशन ऑफ राजस्थान ने सुझाव भी दिए कि केंद्र सरकार को चाहिए कि कोरोनाकाल के दौरान जीएसटी पूरी तरह से माफ कर दे.

उज्जवला योजना के उपभोक्ताओं को 5 किलो वाले सिलेंडर देने का सुझाव भी दिया गया है. ताकि लोगों का 20-25 दिन का गुजारा हो सके. कारण यह भी है कि गरीब वर्ग एक साथ 813 रुपए का सिलेंडर खरीदने में असमर्थ है.

ये भी पढ़ें: सीआरपीएफ जवान ने साथी को गोली मार उतारा मौत के घाट, फिर की आत्महत्या

जयपुर: एक तरफ कोरोना संकट में उपजी आर्थिक तंगी तो दूसरी तरफ गैस के दामों में लगी आग. ऐसे में महिलाओं को जो रसोई गैस का सिलेंडर उज्ज्वला योजना में मिला था, उसे 850 रुपए में भरवाना महिलाओं को महंगा पड़ रहा है. ऐसे में राजस्थान की लाखों गृणहियां फिर से चूल्हे का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं.

रसोई गैस के दामों ने आम लोगों के घर का बजट बिगाड़ दिया है. कोरोना काल में बीते 14 महीने में 38 लाख महिलाओं ने उज्ज्वला योजना में मिले गैस सिलेंडर को घर के कोने में रख दिया है. ग्रामीण महिलाएं खेत से लकड़ियां चुनकर चूल्हे के लिए ईंधन का इंतजाम करने लगी हैं.

उज्ज्वला पर महंगाई की मार

गैस पर सब्सिडी खत्म हो चुकी है

गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी तो डेढ़ साल पहले ही खत्म हो चुकी है. साथ ही गैस के दाम भी बढ़कर 850 रुपए के करीब पहुंच गए है. सदा कंवर और सोहनी देवी बताती हैं कि कोरोना काल में काम-धंधे बंद हैं. गैस के दाम भी आसमान छू रहे हैं. ऐसे में महंगा सिलेंडर नहीं खरीद सकते. इसलिए चूल्हे पर रोटी बना रहे हैं.

चूल्हे पर खाना पकाने की मजबूरी
चूल्हे पर खाना पकाने की मजबूरी

राजस्थान में 38 लाख लोगों ने सिलेंडर लेना बंद किया

आंकड़ों के अनुसार पिछले 14 महीनों में गैस सिलेंडर 523 से बढ़कर 813 रुपए का हो गया है. राजस्थान के 38 लाख लोगों ने सिलेंडर लेना बंद कर दिया है. ये वही लोग हैं जिन्हें सरकार उज्ज्वला योजना के तहत सस्ता सिलेंडर दे रही थी. जयपुर में कुल 3.5 लाख में से करीब 2 लाख उपभोक्ता सिलेंडर छोड़कर चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर हो गए हैं. इस वर्ग में या तो अर्द्ध बेरोजगार हैं या दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग हैं.

पढ़ें- तपते धोरों में 'प्यास' से मर गई 5 साल की मासूम, घंटों बेसुध पड़ी रही नानी...विपक्ष ने सरकार को घेरा

सिर्फ 40 फीसदी लोग सिलेंडर ले रहे, वह भी साल में एक या दो

उज्ज्वला योजना के तहत राजस्थान के कुल 65 लाख लोगों को सस्ता सिलेंडर मिल रहा था. इनमें से 60% लोग सिलेंडर लेना बंद कर चुके हैं. एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर फैडरेशन राजस्थान के महासचिव कार्तिक गौड़ कहते हैं कि गैस के लगातार बढ़ते दामों की वजह से 60 फीसदी लोगों ने उज्ज्वला योजना में मिलने वाली गैस का उपयोग बंद कर दिया है. 40 फीसदी लोग भी साल में महज एक या दो बार ही गैस भरवा रहे हैं.

उज्ज्वला योजना में अंधेरा
उज्ज्वला योजना में अंधेरा

महंगा सिलेंडर और सब्सिडी नहीं मिलना वजह

गौड़ बताते हैं कि लोगों के रसोई गैस इस्तेमाल बंद के पीछे दो बड़े प्रमुख कारण हैं. एक तो गैस के दाम बहुत ज्यादा हो गए. वर्तमान में 813 रुपए का सिलेंडर मिल रहा है. दूसरा कारण गैस सिलेंडर पर कोई सब्सिडी नहीं मिल रही है.

30 लाख महिलाओं ने छोड़ा महंगा एलपीजी सिलेंडर
30 लाख महिलाओं ने छोड़ा महंगा एलपीजी सिलेंडर

प्रदेश में 1.75 करोड़ गैस उपभोक्ता हैं. इनमें से 32 लाख अकेले जयपुर में हैं. प्रदेश में एक माह में 1 करोड़ 12 लाख और जयपुर में 28 लाख सिलेंडर की खपत होती है. अब यह घटकर आधी ही रह गई है. एलपीजी फेडरेशन ऑफ राजस्थान ने सुझाव भी दिए कि केंद्र सरकार को चाहिए कि कोरोनाकाल के दौरान जीएसटी पूरी तरह से माफ कर दे.

उज्जवला योजना के उपभोक्ताओं को 5 किलो वाले सिलेंडर देने का सुझाव भी दिया गया है. ताकि लोगों का 20-25 दिन का गुजारा हो सके. कारण यह भी है कि गरीब वर्ग एक साथ 813 रुपए का सिलेंडर खरीदने में असमर्थ है.

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