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मेरठ में पैदा हुआ, पाकिस्तान में पला बढ़ा, भारत में पकड़ा गया, अब सुप्रीम कोर्ट ने दी रिहाई - बुजुर्ग पाकिस्तानी नागरिक न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़

उच्चतम न्यायालय ने एक बुजुर्ग पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद क़मर को रिहा करने का निर्देश दिया. वह सात साल से अधिक समय से यहां एक हिरासत केंद्र में बंद है. पाकिस्तान ने उसे अपना नागरिक स्वीकार करने से इनकार कर दिया था.

Supreme Court directs to release an elderly Pakistani national
उच्चतम न्यायालय ने एक बुजुर्ग पाकिस्तानी नागरिक को रिहा करने का दिया निर्देश
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Published : Apr 30, 2022, 11:58 AM IST

Updated : Apr 30, 2022, 5:31 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एक बुजुर्ग पाकिस्तानी नागरिक को रिहा करने का शुक्रवार को निर्देश दिया जो सात साल से अधिक समय से यहां एक हिरासत केंद्र में बंद है और पाकिस्तान ने उसे अपना नागरिक स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने केंद्र को उसे दीर्घकालिक वीजा देने पर फैसला करने का निर्देश दिया ताकि वह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सके.

जानकारी के मुताबिक कमर 1959 में मेरठ में पैदा हुआ था, कुछ समय बाद अपनी मां के साथ वह पाकिस्तान चला गया था. 1989 में वह पाकिस्तानी पासपोर्ट के जरिए दोबारा भारत लौटा, शादी रचाई. इसी दौरान उसका वीजा एकस्पायर हो गया. जिसके चलते उसकी 2011 में गिरफ्तारी हुई थी. बता दें, 2015 के बाद से वह डिटेंशन सेंटर में रह रहा था.

पीठ ने कहा कि केंद्र को चार महीने में अपना फैसला अदालत के सामने रखना चाहिए. पीठ ने कहा कि मोहम्मद क़मर को न्यायाधिकरण ने विदेशी घोषित कर दिया था और उसे 5000 रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर रिहा किया जाएगा. पीठ के अनुसार, उसे हर महीने में एक बार मेरठ के एक थाने में रिपोर्ट करना होगा. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कमर ने एक महिला से शादी की थी, जो भारतीय नागरिक है और उनके पांच बच्चे हैं. उनके बच्चों ने कमर को हिरासत केंद्र से रिहा करने अनुरोध करते हुए याचिका दायर की है.

पीठ ने यह भी संज्ञान लिया कि उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार कमर की पत्नी ने उसे तलाक दे दिया था और अब वह अपने पांच बच्चों के साथ दिल्ली में रहती है. पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हालांकि, तलाक से संबंधित कोई दस्तावेज अदालत के समक्ष पेश नहीं किया गया है. इससे पहले, 21 मार्च को, सर्वोच्च अदालत ने केंद्र से सवाल किया था कि वह कमर को कब तक हिरासत केंद्र में रखना चाहता है क्योंकि कमर की सजा पूरी हो चुकी है.

ये भी पढ़ें- पटियाला हिंसा : आईजी, एसएसपी और एसपी का तबादला, इंटरनेट सेवा बंद

कमर को आठ अगस्त 2011 को उत्तर प्रदेश के मेरठ से गिरफ्तार किया गया था. अदालत ने उसे वीजा अवधि समाप्त होने के बावजूद भारत में रहने का दोषी ठहराते हुए साढ़े तीन साल कैद और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी. उसकी सजा 6 फरवरी 2015 को पूरी हो गई. उसे पाकिस्तान प्रत्यर्पित करने के लिए सात फरवरी 2015 को नरेला स्थित लामपुर के हिरासत केंद्र में भेज दिया गया था. लेकिन पाकिस्तान सरकार ने उसका प्रत्यर्पण अनुरोध स्वीकार नहीं किया. कमर अब तक हिरासत केंद्र में ही है.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एक बुजुर्ग पाकिस्तानी नागरिक को रिहा करने का शुक्रवार को निर्देश दिया जो सात साल से अधिक समय से यहां एक हिरासत केंद्र में बंद है और पाकिस्तान ने उसे अपना नागरिक स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने केंद्र को उसे दीर्घकालिक वीजा देने पर फैसला करने का निर्देश दिया ताकि वह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सके.

जानकारी के मुताबिक कमर 1959 में मेरठ में पैदा हुआ था, कुछ समय बाद अपनी मां के साथ वह पाकिस्तान चला गया था. 1989 में वह पाकिस्तानी पासपोर्ट के जरिए दोबारा भारत लौटा, शादी रचाई. इसी दौरान उसका वीजा एकस्पायर हो गया. जिसके चलते उसकी 2011 में गिरफ्तारी हुई थी. बता दें, 2015 के बाद से वह डिटेंशन सेंटर में रह रहा था.

पीठ ने कहा कि केंद्र को चार महीने में अपना फैसला अदालत के सामने रखना चाहिए. पीठ ने कहा कि मोहम्मद क़मर को न्यायाधिकरण ने विदेशी घोषित कर दिया था और उसे 5000 रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर रिहा किया जाएगा. पीठ के अनुसार, उसे हर महीने में एक बार मेरठ के एक थाने में रिपोर्ट करना होगा. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कमर ने एक महिला से शादी की थी, जो भारतीय नागरिक है और उनके पांच बच्चे हैं. उनके बच्चों ने कमर को हिरासत केंद्र से रिहा करने अनुरोध करते हुए याचिका दायर की है.

पीठ ने यह भी संज्ञान लिया कि उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार कमर की पत्नी ने उसे तलाक दे दिया था और अब वह अपने पांच बच्चों के साथ दिल्ली में रहती है. पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हालांकि, तलाक से संबंधित कोई दस्तावेज अदालत के समक्ष पेश नहीं किया गया है. इससे पहले, 21 मार्च को, सर्वोच्च अदालत ने केंद्र से सवाल किया था कि वह कमर को कब तक हिरासत केंद्र में रखना चाहता है क्योंकि कमर की सजा पूरी हो चुकी है.

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कमर को आठ अगस्त 2011 को उत्तर प्रदेश के मेरठ से गिरफ्तार किया गया था. अदालत ने उसे वीजा अवधि समाप्त होने के बावजूद भारत में रहने का दोषी ठहराते हुए साढ़े तीन साल कैद और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी. उसकी सजा 6 फरवरी 2015 को पूरी हो गई. उसे पाकिस्तान प्रत्यर्पित करने के लिए सात फरवरी 2015 को नरेला स्थित लामपुर के हिरासत केंद्र में भेज दिया गया था. लेकिन पाकिस्तान सरकार ने उसका प्रत्यर्पण अनुरोध स्वीकार नहीं किया. कमर अब तक हिरासत केंद्र में ही है.

Last Updated : Apr 30, 2022, 5:31 PM IST
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