रांची: अगर आप ससुराल में यातना झेल रही हैं तो यह खबर आपके जीवन को बदल सकती है. अगर कोई मां-बाप अपनी बेटी को यह समझा रहे हैं कि समय के साथ सबकुछ ठीक हो जाएगा, तो वे गलत सोच रहे हैं. अक्सर ऐसी उम्मीद निराशा और पछतावा लेकर आती है. ऐसी सोच रखने वाले अभिभावकों और बेटियों को लोकलाज की फिक्र छोड़नी होगी. उन्हें रांची के किशोरगंज निवासी प्रेम गुप्ता और साक्षी से सीख लेनी चाहिए.
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बड़े अरमान से प्रेम गुप्ता ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर चुकी बेटी साक्षी के लिए सरकारी इंजीनियर बाबू ढूंढा था. शादी में कोई कमी नहीं होने दी. ईंट, बालू, सीमेंट और स्टोन चिप्स का रिटेल कारोबार करने वाले प्रेम गुप्ता ने पूरी जिंदगी की कमाई बेटी की शादी पर खर्च कर दी. अप्रैल 2022 को साक्षी अपने पति सचिन के साथ सुनहरे भविष्य के सपने लिए खुशी-खुशी रांची के बजरा स्थित ससुराल चली थी. लेकिन चंद दिनों के भीतर ही सारे सपने टूट गये. बिना मारपीट किए साक्षी को मानसिक यातनाएं दी जाने लगी. इसकी शुरुआत पानी की राशनिंग से हुई. सास-ससुर बात-बात पर ताने मारने लगे. जीना मुश्किल हो गया. बहू को सैंपू की बोतल की जगह पाउच दिया जाता था.
अब जरा सोचिए कि साक्षी ने अपनी आपबीती जब पिता को सुनाई होगी तो उस परिवार पर क्या बीता होगा. तनाव में डूबे प्रेम गुप्ता कैंसर के मरीज बन गये. मां के आंखों की नींद उड़ गई. कोई मां-बाप भला एक पढ़ी लिखी बेटी पर की जा रही यातना को कैसे बर्दाश्त कर पाता. हर मां-बाप की तरह प्रेम गुप्ता ने रिश्तों की डोर को बांधे रखने की पूरी कोशिश की. जब सारी कोशिश बेकार चली गई तो प्रेम गुप्ता ने जो फैसला लिया, वो समाज के लिए मिसाल बन गया. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना होने के बाद प्रेम गुप्ता गाजे-बजे के साथ बेटी के ससुराल पहुंच गये और सचिन से सारे संबंध तोड़ने की घोषणा कर साक्षी को घर ले आए. अब तलाक की प्रक्रिया चल रही है. साक्षी के पास अपने पिता से मिले इस सपोर्ट के लिए कोई शब्द नहीं है. प्रेम गुप्ता भी बेहद खुश हैं. मां को भरोसा है कि साक्षी खुद पैरों पर खड़ा होगी और मिसाल कायम करेगी.
साक्षी के पिता ने कायम की मिसाल: साक्षी के पिता ने फैसला लेने में ज्यादा वक्त नहीं लिया. उन्होंने अपनी बेटी के दर्द को समझने में देरी नहीं की. बकौल प्रेम गुप्ता, वह लड़का ठीक नहीं था. पहले से शादीशुदा था. बेटी को मानसिक रूप से टॉर्चर करता था. अगर हाथ पर हाथ धरे बैठ जाते तो बेटी को गंवा बैठते. इसलिए पत्नी, मां और परिवार के सदस्यों के साथ विचार कर तय कर लिया कि बेटी को उसी सम्मान के साथ वापस लाना है, जिस सम्मान के साथ विदा किया था. उन्होंने समाज को मैसेज दिया कि अगर आपकी बेटी ससुराल में प्रताड़ना झेल रही है, तो उसको सांत्वना की जगह सहारा दें. साक्षी की मां ने कहा कि बेटी को नई जिंदगी मिली है. उसके लौटते ही घर में खुशी आ गई है. वह जब चाहेगी तभी दूसरी शादी के लिए सोचेंगे. पहले साक्षी को उसके पैरों पर खड़ा करना है ताकि समाज में एक संदेश जाए.
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यातना झेल रही बेटियों के लिए साक्षी बनी प्रेरणा: साक्षी भी एडजस्ट करते-करते थक चुकी थी. रिश्ता बोझ बन गया था. एक समय ऐसा भी आया जब साक्षी को लगा कि मौत को गले लगा लें. लेकिन पिता के प्रेम ने रोके रखा. साक्षी ने ससुराल में प्रताड़ना झेल रही बेटियों के लिए अपने संदेश में कहा कि आप ऐसा कभी ना सोचें. अगर मैं भी मर जाती तो आज अपने मां-पिता के साथ नहीं होती. अगर जिंदगी नहीं चल पा रही है तो बोल्ड स्टेप लें. वैसे मां-बाप को यह सोचना चाहिए कि बेटी के फोटो फ्रेम में हार न चढ़ने दें. उसे नई जिंदगी दें.