रांची: पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा स्थित एक मिशन स्कूल की तीन बच्चियों के बीमार पड़ने और इलाज के दौरान एक की मौत ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. मामला इसलिए संदेह के दायरे में आ गया है क्योंकि एक बच्ची की मौत UNKNOWN CAUSE OF POISONING की वजह से हुई है. अब सवाल है कि उसका पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया. घटना 23 जुलाई की मध्य रात्रि की है. उसी दिन 11 बजे के करीब आदिम जनजाति समाज की 10-12 साल की बच्ची की मौत हो गई थी.
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बरहेट स्थित चंद्रगौड़ा मिशन अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि इसकी जानकारी बरहेट पुलिस को दे गई गई थी. इसके बावजूद पुलिस सक्रिय नहीं हुई और परिजनों ने बच्ची को उसी दिन दफना दिया. बरहेट के एसडीपीओ प्रदीप उरांव से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामला प्वाइजनिंग का था. परिजनों ने पुलिस में कोई शिकायत भी नहीं कराई. उन्होंने बरहेट के थाना प्रभारी गौरव कुमार के हवाले से बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने बच्ची की मौत की जानकारी 26 जुलाई को दी थी. इससे पहले 23 जुलाई को ही डेड बॉडी को परिजनों ने दफना दिया था. पुलिस के इस जवाब से पूरा मामला संदेहास्पद हो गया है. सबसे बड़ा सवाल है कि अब कौन बताएगा कि किस प्वाइजन की वजह से एक आदिम जनजाति समाज की बच्ची की मौत हुई है. हालांकि बरहेट के एसडीपीओ ने कहा कि वह एसडीओ को पूरे मामले की जानकारी देंगे.
खास बात है कि यह मामला 26 जुलाई को प्रकाश में आया. तब जोरशोर से चर्चा उठी कि बच्चियों का गैंगरेप हुआ है. इसपर गोड्डा के सांसद ने 27 जुलाई की सुबह ट्वीट कर सीएम पर निशाना साध दिया. उन्होने बेड पर पड़ी एक बच्ची की (ब्लर) तस्वीर को साझा करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल किया कि तीन नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप की सूचना है. इसमें एक लड़की की मौत हो गई और दो वेंटीलेटर पर है. उन्होंने कांग्रेस को टैग करते हुए लिखा कि कांग्रेस को या सेक्यूलर मीडिया को यह नहीं दिख रहा है. जाहिर है कि सवाल गंभीर है. क्योंकि जिस बच्ची की मौत हुई है वह आदिम जनजाति समाज की है. इलाजरत जिन दो बच्चियों की बात की जा रही है वे भी आदिम जनजाति पहाड़िया समाज की हैं.
सांसद के आरोप पर पाकुड़ पुलिस का जवाब: हालांकि सांसद के ट्वीट के दो घंटे के भीतर पाकुड़ पुलिस ने सोशल मीडिया पर ही उनको जवाब देते हुए लिख दिया कि जिस चंद्रगौड़ा मिशन अस्पताल, बरहेट में बच्चियों का इलाज चल रहा है, वहीं के डॉक्टर के मुताबिक यह मामला पॉइजनिंग का है. अस्पताल प्रबंधन ने बरहेट थाना को इसकी सूचना दी है. इस आधार पर पुलिस कार्रवाई कर रही है. अब सवाल है कि यह किस तरह की कार्रवाई है कि मृत बच्ची का पोस्टमार्टम ही नहीं हो पाया.
सांसद निशिकांत दूबे का सवाल: इस मसले पर ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दूबे से पूछा कि आपने किस आधार पर गैंगरेप की बात की है. जवाब में उन्होंने कहा कि मैंने सिर्फ सूचना दी है. मैं जानना चाहता हूं कि आखिर हुआ क्या है. किस आधार पर पुलिस कह रही है कि यह मामला पॉइजनिंग का है. उन्होंने सवाल किया है कि क्या पुलिस ने बच्चियों का बयान लिया है.
पाकुड़ एसपी और साहिबगंज डीसी की प्रतिक्रिया: उनके इस सवाल को लेकर ईटीवी की टीम ने पाकुड़ के एसपी ह्रदीप पी.जनार्दनन से फोन पर बात की. उन्होंने कहा कि घटना 23 जुलाई की है. लिट्टीपाड़ा के लबदा मिशन स्कूल की तीन बच्चियों को पेट में दर्द की शिकायत थी. स्कूल प्रबंधन ने ही बच्चियों को साहिबगंज के बरहेट स्थित चंद्रगौड़ा अस्पताल में भर्ती कराया था. डॉक्टर की रिपोर्ट के मुताबिक तीनों बच्चियां पॉइजनिंग की शिकार हुई हैं. इनमें से एक की मौत हो गई है. उनसे पूछा गया कि जब प्वाइजनिंग से मौत हुई है तो फिर पोस्टमार्टम क्यों नहीं हुआ. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि बच्चियों का इलाज साहिबगंज जिला के बरहेट में चल रहा था. वहां से लिट्टीपाड़ा पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी गई. पोस्टमार्टम क्यों नहीं हुआ, इसका जवाब बरहेट पुलिस ही दे सकती है. हालांकि उन्होंने अस्पताल के हवाले से बताया कि बच्चियों का गैंगरेप नहीं हुआ था.
मिशन अस्पताल प्रबंधन की सफाई: इस मामले में ईटीवी भारत की टीम ने बरहेट स्थित चंद्रगौड़ा मिशन अस्पताल की पदाधिकारी पौलीन प्रिया से भी बात की. उन्होंने कहा कि तीन बच्चियों को बेहोशी की हालत में 23 जुलाई को लाया गया था. जांच के दौरान पाया गया है कि तीनों बच्चियां पॉइजनिंग की शिकार थी. हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसकी वजह स्नेक बाइट है या फिर कुछ और. इसलिए इस मैटर को UNKNOWN CAUSE OF POISONING मानकर इलाज किया जा रहा है. उनके मुताबिक एक बच्ची की मौत हो गई है. शेष दो बच्चियों का इलाज चल रहा. इसकी जानकारी पुलिस को दी गई है. पुलिस भी अपने स्तर से पूरे मामले की जांच कर रही है. उन्होंने स्पष्ट किया कि बच्चियों के शरीर पर किसी तरह की जोर जबरदस्ती के निशान नहीं पाए गये हैं. उन्होंने कहा कि बच्चियों के साथ रेप नहीं हुआ है.
उन्होंने बताया कि एक बच्ची की मौत के बाद शेष दोनों बच्चियों की हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. तीन दिन तक वेंटिलेटर पर रखने के बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ है. अभी भी उन्हें विशेष चिकित्सा दायरे में रखा गया है. उनसे पूछा गया कि क्या यह माना जाए कि अब दोनों बच्चियां आउट ऑफ डेंजर स्थिति में हैं. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अभी ऐसा कहना जल्दबाजी होगी. उन्होंने यह भी बताया कि इसकी जानकारी बरहेट थाना को दे दी गई थी.
स्कूल संचालक की प्रतिक्रिया: मिशन स्कूल, लबदाघाटी के संचालक वर्णवास हांसदा के मुताबिक 22 जुलाई की देर रात 2 बजे के करीब एक बच्ची अचानक सीरियस हो गई. उसको फौरन लिट्टीपाड़ा अस्पताल ले जाया गया. वहां कर्मी थे लेकिन उन्हें बीपी चेक करने भी नहीं आ रहा था. वहां के कर्मी ने बताया कि बच्ची नॉर्मल है. वहां स्लाइन चढ़ाया गया. लेकिन बच्ची की हालत गंभीर होती जा रही थी. इसी बीच सूचना मिली कि स्कूल की दो और बच्ची बीमार हो गई है. इसके बाद सभी तीनों बच्चियों को चंद्रगौड़ा मिशन अस्पताल लेकर चले गये. सुबह पांच बजे चंद्रगौड़ा अस्पताल में इलाज के दौरान 23 जुलाई को दिन के 11 बजे के आसपास एक बच्ची की मौत हो गई. दो बच्चियों का इलाज चल रहा है. उन्होंने कहा कि अस्पताल की ओर से पुलिस को सूचना दी गई है.
राजमहल सांसद विजय हांसदा की प्रतिक्रिया: यह मामला पुलिस जांच से जुड़ा है. उन्होंने निशिकांत दूबे पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के लोग बिना तथ्य के बयान देकर विवाद को बढ़ावा देते हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस अपना काम कर रही है. अनुसंधान पूरा होने के बाद ही इसपर बयान दिया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि जांच में अगर कोई भी ऐसी वैसी बात आएगी तो उसपर गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी.
सभी पक्षों से बात करने और डॉक्टर के ट्रिटमेंट रिपोर्ट के आधार पर पूरा मामला पॉइजनिंग का लग रहा है. लेकिन अस्पताल प्रबंधन और बरहेट पुलिस के बयान में असमानता दिख रही है. बरहेट पुलिस का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने 26 जुलाई को जानकारी दी थी जबकि बच्ची की मौत 23 जुलाई को ही हो गई थी. आश्चर्य की बात है कि अभी तक यूडी केस भी दर्ज नहीं किया गया है. अगर स्नेक बाइट से प्वाइजनिंग नहीं हुई थी तो क्या बच्चियों को किसी तरह का जहर दिया गया था. इसका खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही हो पाता. लिहाजा, अस्पताल प्रबंधन पर सवाल उठना लाजमी है. अब देखना है कि बरहेट पुलिस इस मामले में क्या करती है.