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second covid wave की चुनाैतियाें के बावजूद अर्थव्यवस्था पटरी पर!, पढ़ें खास रिपाेर्ट - economy effected

देश में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के बावजूद चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों के दौरान आर्थिक विकास दर में 20% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई.

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Published : Sep 1, 2021, 8:48 AM IST

Updated : Sep 1, 2021, 9:38 AM IST

हैदराबाद : काेराेना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर के दाैरान अधिक आर्थिक वृद्धि दर्ज की गई है. माना जा रहा है कि काेराेना की दूसरी लहर में बहुत कड़ी पाबंदिया नहीं हाेने की वजह से यह वृद्धि संभव हाे पाई है.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा कि हालांकि स्वस्थ सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि मुख्य रूप से आधार प्रभाव के कारण होती है, फिर भी यह इंगित करता है कि COVID 2.0 के बावजूद आर्थिक गतिविधियां जारी रहीं क्योंकि स्थानीय और क्षेत्रीय प्रतिबंध उतने कड़े नहीं थे जितने कि COVID 1.0 के दौरान थे.

हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने चालु वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर कम रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन हाल के दिनों में जारी किए गए कई उच्च आवृत्ति संकेतक (frequency indicators) जैसे कि बिजली उत्पादन, ऑटोमोबाइल बिक्री और ईंधन की खपत में दूसरी कोविड लहर के बावजूद आर्थिक गतिविधियों में बदलाव देखने काे मिला. दूसरी लहर में देश में 2,50,000 से अधिक लोगाें की जान चली गई थी.

आपूर्ति की बात करें ताे कृषि ने अच्छा प्रदर्शन जारी रखा क्योंकि कृषि क्षेत्र में 4.5% की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है, जो कम नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र ने पिछले साल 3.5% की वृद्धि दर्ज की है, जब पूरे देश में पूर्ण लॉकडाउन था.

सिन्हा के अनुसार, औद्योगिक क्षेत्र ने कृषि क्षेत्र से भी बेहतर प्रदर्शन किया, जिसे कोविड -19 वैश्विक महामारी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में एकमात्र उम्मीद के रूप में देखा जा रहा था. बता दें कि देश में काेराेना महामारी की वजह से अब तक 4,38,000 से अधिक लोगों की जान चली गई वहीं दुनिया भर में 4.5 मिलियन से अधिक लोगों की माैत हुई है.

वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में औद्योगिक क्षेत्र में 46 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई. निर्माण (68.3%) विनिर्माण (49.6%), खनन (18.6%) बिजली और उपयोगिता सेवाओं (14.3%) जैसे क्षेत्रों ने विकास दर्ज किया. सिन्हा यह भी बताते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा घटक सेवा क्षेत्र अभी भी दबाव में है. उद्योग के विपरीत, इस साल अप्रैल-जून की अवधि के दौरान यह केवल 11.4 फीसदी बढ़ा.

सेवा क्षेत्र पर समग्र दबाव के बावजूद, इसके कुछ सबसे बड़े घटकों जैसे व्यापार, होटल, परिवहन और संचार ने अन्य घटकों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 34.3% की वृद्धि दर्ज की.

प्रदर्शन में यह सुधार महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सभी क्षेत्र संपर्क संवेदनशील हैं और पिछले साल पहली लहर के दौरान बुरी तरह से प्रभावित हुए थे क्योंकि लोगों ने संक्रमण से बचने के लिए अपनी यात्रा और होटल की सेवाएं लेना कम कर दिया था. सेवा क्षेत्र के अन्य दो घटकों, वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं ने पहली तिमाही में 3.7% की वृद्धि दर्ज की.

इसे भी पढ़ें : आज से बदल रहे हैं ये नियम, आपकी जेब पर डालेंगे असर

अर्थशास्त्री ने कहा कि जैसा कि अब अर्थव्यवस्था पटरी पर लाैटने की स्थिति में है, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का मानना ​​​​है कि आर्थिक सुधार को निकट भविष्य में राजकोषीय और मौद्रिक नीति समर्थन दोनों की आवश्यकता होगी, ताकि अर्थव्यवस्था काे पटरी पर लाई जा सके.

इसे भी पढ़ें : भारत के लिए अच्छी खबर, अप्रैल-जून तिमाही में 20.1% रही आर्थिक वृद्धि दर

हैदराबाद : काेराेना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर के दाैरान अधिक आर्थिक वृद्धि दर्ज की गई है. माना जा रहा है कि काेराेना की दूसरी लहर में बहुत कड़ी पाबंदिया नहीं हाेने की वजह से यह वृद्धि संभव हाे पाई है.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा कि हालांकि स्वस्थ सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि मुख्य रूप से आधार प्रभाव के कारण होती है, फिर भी यह इंगित करता है कि COVID 2.0 के बावजूद आर्थिक गतिविधियां जारी रहीं क्योंकि स्थानीय और क्षेत्रीय प्रतिबंध उतने कड़े नहीं थे जितने कि COVID 1.0 के दौरान थे.

हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने चालु वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर कम रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन हाल के दिनों में जारी किए गए कई उच्च आवृत्ति संकेतक (frequency indicators) जैसे कि बिजली उत्पादन, ऑटोमोबाइल बिक्री और ईंधन की खपत में दूसरी कोविड लहर के बावजूद आर्थिक गतिविधियों में बदलाव देखने काे मिला. दूसरी लहर में देश में 2,50,000 से अधिक लोगाें की जान चली गई थी.

आपूर्ति की बात करें ताे कृषि ने अच्छा प्रदर्शन जारी रखा क्योंकि कृषि क्षेत्र में 4.5% की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है, जो कम नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र ने पिछले साल 3.5% की वृद्धि दर्ज की है, जब पूरे देश में पूर्ण लॉकडाउन था.

सिन्हा के अनुसार, औद्योगिक क्षेत्र ने कृषि क्षेत्र से भी बेहतर प्रदर्शन किया, जिसे कोविड -19 वैश्विक महामारी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में एकमात्र उम्मीद के रूप में देखा जा रहा था. बता दें कि देश में काेराेना महामारी की वजह से अब तक 4,38,000 से अधिक लोगों की जान चली गई वहीं दुनिया भर में 4.5 मिलियन से अधिक लोगों की माैत हुई है.

वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में औद्योगिक क्षेत्र में 46 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई. निर्माण (68.3%) विनिर्माण (49.6%), खनन (18.6%) बिजली और उपयोगिता सेवाओं (14.3%) जैसे क्षेत्रों ने विकास दर्ज किया. सिन्हा यह भी बताते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा घटक सेवा क्षेत्र अभी भी दबाव में है. उद्योग के विपरीत, इस साल अप्रैल-जून की अवधि के दौरान यह केवल 11.4 फीसदी बढ़ा.

सेवा क्षेत्र पर समग्र दबाव के बावजूद, इसके कुछ सबसे बड़े घटकों जैसे व्यापार, होटल, परिवहन और संचार ने अन्य घटकों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 34.3% की वृद्धि दर्ज की.

प्रदर्शन में यह सुधार महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सभी क्षेत्र संपर्क संवेदनशील हैं और पिछले साल पहली लहर के दौरान बुरी तरह से प्रभावित हुए थे क्योंकि लोगों ने संक्रमण से बचने के लिए अपनी यात्रा और होटल की सेवाएं लेना कम कर दिया था. सेवा क्षेत्र के अन्य दो घटकों, वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं ने पहली तिमाही में 3.7% की वृद्धि दर्ज की.

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अर्थशास्त्री ने कहा कि जैसा कि अब अर्थव्यवस्था पटरी पर लाैटने की स्थिति में है, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का मानना ​​​​है कि आर्थिक सुधार को निकट भविष्य में राजकोषीय और मौद्रिक नीति समर्थन दोनों की आवश्यकता होगी, ताकि अर्थव्यवस्था काे पटरी पर लाई जा सके.

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Last Updated : Sep 1, 2021, 9:38 AM IST
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