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सुप्रीम कोर्ट ने COVID के दौरान एक लापता व्यक्ति पर सरकार से जवाब मांगा - कोविड के दौरान लापता

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य से कोविड-19 लहर के दौरान लापता हो गये व्यक्ति के बारे में जवाब मांगा है. इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि राज्य उस व्यक्ति को नहीं ढूंढ सका.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jul 28, 2022, 7:10 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य से कोविड-19 लहर के दौरान लापता हो गये व्यक्ति के बारे में जवाब मांगा है. इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि राज्य उस व्यक्ति को नहीं ढूंढ सका. सीजेआई एनवी रमना ने जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 82 वर्षीय एक व्यक्ति के लापता होने के बारे में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश एएजी गरिमा प्रसाद ने शीर्ष अदालत से कहा कि राज्य ने हर जगह तलाशी ली, सभी सीसीटीवी फुटेज को स्कैन किया गया लेकिन उस व्यक्ति का पता नहीं लगाया जा सका. एक चूक हुई है.

पढ़ें: वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार बढ़ाएं न्यायिक अधिकारियों का वेतनमान: सुप्रीम कोर्ट

उन्होंने कहा कि हो सकता है कि व्यक्ति के शरीर का आदान-प्रदान किसी और के साथ हो गया हो और तस्वीरें केवल लिपटे हुए शवों की ली गई हों. उस समय कोई अंतिम संस्कार नहीं हुआ था. उन्होंने अदालत को बताया कि जिस रात वह आदमी लापता हुआ, उस रात कोविड के कारण 4 मौतें हुईं और अस्पताल में माहौल हिंसक हो गया था. जिसमें कुछ कागजात भी गायब हो गए. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए राज्य की खिंचाई की कि सीसीटीवी चालू नहीं था इसलिए चूक हुई है. कोर्ट ने राज्य को उचित जांच और फिर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

पढ़ें: 'चिकन खुद फ्राई होने के लिए आ गया', PMLA पर SC के फैसले पर सुब्रमण्यम स्वामी का कांग्रेस पर तंज

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य से कोविड-19 लहर के दौरान लापता हो गये व्यक्ति के बारे में जवाब मांगा है. इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि राज्य उस व्यक्ति को नहीं ढूंढ सका. सीजेआई एनवी रमना ने जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 82 वर्षीय एक व्यक्ति के लापता होने के बारे में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश एएजी गरिमा प्रसाद ने शीर्ष अदालत से कहा कि राज्य ने हर जगह तलाशी ली, सभी सीसीटीवी फुटेज को स्कैन किया गया लेकिन उस व्यक्ति का पता नहीं लगाया जा सका. एक चूक हुई है.

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उन्होंने कहा कि हो सकता है कि व्यक्ति के शरीर का आदान-प्रदान किसी और के साथ हो गया हो और तस्वीरें केवल लिपटे हुए शवों की ली गई हों. उस समय कोई अंतिम संस्कार नहीं हुआ था. उन्होंने अदालत को बताया कि जिस रात वह आदमी लापता हुआ, उस रात कोविड के कारण 4 मौतें हुईं और अस्पताल में माहौल हिंसक हो गया था. जिसमें कुछ कागजात भी गायब हो गए. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए राज्य की खिंचाई की कि सीसीटीवी चालू नहीं था इसलिए चूक हुई है. कोर्ट ने राज्य को उचित जांच और फिर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

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