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Mohan Bhagwat in Jharkhand: 16 मई से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का चार दिवसीय झारखंड दौरा, क्या है पूरा शिड्यूल

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत 16 मई से चारदिवसीय दौरे पर झारखंड आ रहे हैं. झारखंड के लोहरदगा में 16 से 19 मई तक राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत संघ शिक्षा वर्ग के कार्यक्रम में शिरकत करेंगे.

Mohan Bhagwat in Jharkhand
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Published : May 15, 2023, 7:21 PM IST

रांची: राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत चार दिवसीय दौरे पर झारखंड आ रहे हैं. वह 16 मई को तपस्विनी एक्सप्रेस से भुवनेश्वर से चलकर हटिया रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे. सुबह 10.30 बजे हटिया रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद सीधे सिंहमोड़ स्थित अपने एक परिचित के यहां जाएंगे. यहां से दोपहर 2 बजे लोहरदगा के लिए रवाना होंगे.

ये भी पढ़ें- Lohardaga News: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का लोहरदगा दौरा, 16-18 मई तक स्वयंसेवक प्रशिक्षण कार्यक्रम में लेंगे हिस्सा

16 मई को शाम 4 बजे लोहरदगा स्थित शीला अग्रवाल सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग में शामिल होंगे. संघ प्रमुख मोहन भागवत लोहरदगा में तीन दिन यानी 19 मई तक रहेंगे. 19 मई को शीला अग्रवाल सरस्वती शिशु विद्या मंदिर से सुबह 9.30 बजे रांची के लिए रवाना हो जाएंगे. रांची में करीब 11.30 बजे शुक्ला कॉलोनी स्थित अपने एक परिचित के यहां जाएंगे.

मोहन भागवत शुक्ला कॉलोनी से ही दोपहर 2.30 बजे रांची एयरपोर्ट के लिए रवाना होंगे. जानकारी के मुताबिक रांची एयरपोर्ट पर कई गणमान्य उनसे मुलाकात करेंगे. रांची एयरपोर्ट पहुंचने के बाद संघ प्रमुख सेवा विमान से मुंबई के लिए रवाना हो जाएंगे. उनके आमगन के मद्देनजर सुरक्षा को लिए विशेष तैयारी की गई है. लोहरदगा में संघ शिक्षा वर्ग की तैयारी पूरी कर ली गई है.

क्या होता है संघ शिक्षा वर्ग : संघ शिक्षा वर्ग में स्वयंसेवक किसी गुरूकुल के विद्यार्थी की तरह जुटते हैं. यहां योजना, निर्माण और रचना के लिए सतत कर्मशील का संकल्पित प्रशिक्षण लेते हैं. व्यक्तित्व विकास और राष्ट्र चिंतन के लिए हर विपरित परिस्थिति से अवगत होते हैं. .यहां मानवता को ही धर्म का पर्याय बताया जाता है. साल 1925 में संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार ने स्वयंसेवकों में दक्षता के लिए संघ शिक्ष वर्ग जैसे प्रशिक्षणों का विचार साझा किया था. इस दौरान वर्ग भेद से उपर उठकर सामूहिकता में रहने की शिक्षा दी जाती है. यहां बताया जाता है कि हर विपरित परिस्थिति में राष्ट्रहित के लिए कैसे काम करना है. प्रशिक्षण के दौरान किसी तरह का भौतिक सुख नहीं मिलता. यहां विद्यालयों के कक्षों और प्रांगण में कष्टसाध्य वातावरण में प्रशिक्षण दिया जाता है.

रांची: राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत चार दिवसीय दौरे पर झारखंड आ रहे हैं. वह 16 मई को तपस्विनी एक्सप्रेस से भुवनेश्वर से चलकर हटिया रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे. सुबह 10.30 बजे हटिया रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद सीधे सिंहमोड़ स्थित अपने एक परिचित के यहां जाएंगे. यहां से दोपहर 2 बजे लोहरदगा के लिए रवाना होंगे.

ये भी पढ़ें- Lohardaga News: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का लोहरदगा दौरा, 16-18 मई तक स्वयंसेवक प्रशिक्षण कार्यक्रम में लेंगे हिस्सा

16 मई को शाम 4 बजे लोहरदगा स्थित शीला अग्रवाल सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग में शामिल होंगे. संघ प्रमुख मोहन भागवत लोहरदगा में तीन दिन यानी 19 मई तक रहेंगे. 19 मई को शीला अग्रवाल सरस्वती शिशु विद्या मंदिर से सुबह 9.30 बजे रांची के लिए रवाना हो जाएंगे. रांची में करीब 11.30 बजे शुक्ला कॉलोनी स्थित अपने एक परिचित के यहां जाएंगे.

मोहन भागवत शुक्ला कॉलोनी से ही दोपहर 2.30 बजे रांची एयरपोर्ट के लिए रवाना होंगे. जानकारी के मुताबिक रांची एयरपोर्ट पर कई गणमान्य उनसे मुलाकात करेंगे. रांची एयरपोर्ट पहुंचने के बाद संघ प्रमुख सेवा विमान से मुंबई के लिए रवाना हो जाएंगे. उनके आमगन के मद्देनजर सुरक्षा को लिए विशेष तैयारी की गई है. लोहरदगा में संघ शिक्षा वर्ग की तैयारी पूरी कर ली गई है.

क्या होता है संघ शिक्षा वर्ग : संघ शिक्षा वर्ग में स्वयंसेवक किसी गुरूकुल के विद्यार्थी की तरह जुटते हैं. यहां योजना, निर्माण और रचना के लिए सतत कर्मशील का संकल्पित प्रशिक्षण लेते हैं. व्यक्तित्व विकास और राष्ट्र चिंतन के लिए हर विपरित परिस्थिति से अवगत होते हैं. .यहां मानवता को ही धर्म का पर्याय बताया जाता है. साल 1925 में संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार ने स्वयंसेवकों में दक्षता के लिए संघ शिक्ष वर्ग जैसे प्रशिक्षणों का विचार साझा किया था. इस दौरान वर्ग भेद से उपर उठकर सामूहिकता में रहने की शिक्षा दी जाती है. यहां बताया जाता है कि हर विपरित परिस्थिति में राष्ट्रहित के लिए कैसे काम करना है. प्रशिक्षण के दौरान किसी तरह का भौतिक सुख नहीं मिलता. यहां विद्यालयों के कक्षों और प्रांगण में कष्टसाध्य वातावरण में प्रशिक्षण दिया जाता है.

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