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स्टील इंडस्ट्री के कचरे से सड़क निर्माण में आ रही नई क्रांति, झारखंड में चल रहा प्रयोग बना उदाहरण

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 28, 2023, 4:39 PM IST

Road construction by using steel slag. देश की सड़कें अब स्टील प्रोडेक्शन के दौरान निकलने वाले कचरे यानी स्लैग से बनेंगी. झारखंड में इसका इस्तेमाल कई सड़कों में किया गया है. अब इसका इस्तेमाल पूरे देश में किया जा सकता है. स्टील स्लैग से बनीं सड़कें ना सिर्फ टिकाऊ होती हैं बल्कि कम लागत वाली भी होती हैं.

Road construction by using steel slag
Road construction by using steel slag

जमशेदपुर: देश में स्टील प्रोडक्शन के दौरान निकलने वाले कचरे यानी स्लैग के इस्तेमाल से सड़क निर्माण के क्षेत्र में नई क्रांति आ रही है. झारखंड में इस क्षेत्र में किए जा रहे प्रयोग पूरे देश के लिए उदाहरण बन रहे हैं.

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) जिले में स्टील इंडस्ट्री के स्लैग का इस्तेमाल करते हुए 280 किलोमीटर लंबी कुल 21 सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है. सड़क निर्माण के इस मॉडल का अध्ययन करने और इसकी बारीकियों को समझने के लिए 28-29 नवंबर को देश भर के इंजीनियरों का एक बड़ा दल जमशेदपुर के स्टडी टूर पर पहुंचा है.

सबसे खास बात यह है कि स्टील स्लैग से बनने वाली सड़कें टिकाऊपन, कम लागत और पर्यावरण संरक्षण का मॉडल बन रही हैं. वेस्ट मटेरियल माना जाने वाला स्टील स्लैग स्टील इंडस्ट्री के लिए बहुत दिनों से एक बड़ी मुसीबत बनकर सामने आ रहा था, लेकिन इनका इस्तेमाल सड़क निर्माण में करने की तकनीक सबसे पहले सीएसआईआर (काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) ने ढूंढ़ी.

इस तकनीक की मदद से सूरत में स्टील कचरे से सबसे पहली सड़क बनाई गई. इसके बाद भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास मजबूत और अधिक टिकाऊ सड़कें बनाने के लिए स्टील स्लैग के उपयोग का फैसला किया. इसके लिए स्टील स्लैग की आपूर्ति टाटा स्टील द्वारा नि:शुल्क की गई और भारतीय रेलवे द्वारा जमशेदपुर से अरुणाचल प्रदेश तक पहुंचाई गई.

इसी तरह रांची-जमशेदपुर के बीच इसी साल बनकर तैयार हुई इंटर कॉरिडोर फोर लेन सड़क में स्टील उद्योग से निकले कचरे का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हुआ है. इस सड़क में शहरबेड़ा नामक जगह से महुलिया तक 44 किमी की दूरी तक के निर्माण में इसका इस्तेमाल किया गया है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इस प्रयोग की सराहना कर चुके हैं. सीएसआईआर के अनुसार देश में पारंपरिक सड़कों की तुलना में स्टील कचरे से बनने वाली सड़क ज्यादा टिकाऊ और मजबूत पाई गई है.

यह मानसून में होने वाले नुकसान से भी बचा सकती है. सड़कों के निर्माण में गिट्टी के बजाय एलडी स्लैग का उपयोग किए जाने से लागत मूल्य कम से कम 30 प्रतिशत कम हो जाता है. उल्लेखनीय है देश में स्टील के उत्पादन में तेजी के कारण स्लैग भी बड़े पैमाने पर निकल रहा है. 2030 तक हर साल 30 करोड़ टन स्टील बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें हर साल 6 करोड़ टन स्टील स्लैग निकलने का अनुमान है. अब नई तकनीक से इस स्टील स्लैग का इस्तेमाल सड़क निर्माण में एग्रीगेट के रूप में किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने इसके लिए देश में ‘वेस्ट टू वेल्थ’ योजना की शुरूआत की है.

जमशेदपुर: देश में स्टील प्रोडक्शन के दौरान निकलने वाले कचरे यानी स्लैग के इस्तेमाल से सड़क निर्माण के क्षेत्र में नई क्रांति आ रही है. झारखंड में इस क्षेत्र में किए जा रहे प्रयोग पूरे देश के लिए उदाहरण बन रहे हैं.

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) जिले में स्टील इंडस्ट्री के स्लैग का इस्तेमाल करते हुए 280 किलोमीटर लंबी कुल 21 सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है. सड़क निर्माण के इस मॉडल का अध्ययन करने और इसकी बारीकियों को समझने के लिए 28-29 नवंबर को देश भर के इंजीनियरों का एक बड़ा दल जमशेदपुर के स्टडी टूर पर पहुंचा है.

सबसे खास बात यह है कि स्टील स्लैग से बनने वाली सड़कें टिकाऊपन, कम लागत और पर्यावरण संरक्षण का मॉडल बन रही हैं. वेस्ट मटेरियल माना जाने वाला स्टील स्लैग स्टील इंडस्ट्री के लिए बहुत दिनों से एक बड़ी मुसीबत बनकर सामने आ रहा था, लेकिन इनका इस्तेमाल सड़क निर्माण में करने की तकनीक सबसे पहले सीएसआईआर (काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) ने ढूंढ़ी.

इस तकनीक की मदद से सूरत में स्टील कचरे से सबसे पहली सड़क बनाई गई. इसके बाद भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास मजबूत और अधिक टिकाऊ सड़कें बनाने के लिए स्टील स्लैग के उपयोग का फैसला किया. इसके लिए स्टील स्लैग की आपूर्ति टाटा स्टील द्वारा नि:शुल्क की गई और भारतीय रेलवे द्वारा जमशेदपुर से अरुणाचल प्रदेश तक पहुंचाई गई.

इसी तरह रांची-जमशेदपुर के बीच इसी साल बनकर तैयार हुई इंटर कॉरिडोर फोर लेन सड़क में स्टील उद्योग से निकले कचरे का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हुआ है. इस सड़क में शहरबेड़ा नामक जगह से महुलिया तक 44 किमी की दूरी तक के निर्माण में इसका इस्तेमाल किया गया है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इस प्रयोग की सराहना कर चुके हैं. सीएसआईआर के अनुसार देश में पारंपरिक सड़कों की तुलना में स्टील कचरे से बनने वाली सड़क ज्यादा टिकाऊ और मजबूत पाई गई है.

यह मानसून में होने वाले नुकसान से भी बचा सकती है. सड़कों के निर्माण में गिट्टी के बजाय एलडी स्लैग का उपयोग किए जाने से लागत मूल्य कम से कम 30 प्रतिशत कम हो जाता है. उल्लेखनीय है देश में स्टील के उत्पादन में तेजी के कारण स्लैग भी बड़े पैमाने पर निकल रहा है. 2030 तक हर साल 30 करोड़ टन स्टील बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें हर साल 6 करोड़ टन स्टील स्लैग निकलने का अनुमान है. अब नई तकनीक से इस स्टील स्लैग का इस्तेमाल सड़क निर्माण में एग्रीगेट के रूप में किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने इसके लिए देश में ‘वेस्ट टू वेल्थ’ योजना की शुरूआत की है.

(इनपुट-आईएएनएस)

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