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2015 समझौते के दायरे में नगा मुद्दे का समाधान करे केंद्र : एनएससीएन-आईएम - पुरानी उग्रवाद की समस्या का समाधान

नगा संगठन एनएससीएन-आईएम ने नगालैंड में दशकों पुरानी उग्रवाद की समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार से अपील की.संगठन ने कहा कि दोनों पक्षों को समझौते के तहत बनी सहमति के मुताबिक इसे शीघ्र लागू करने के लिए ब्योरे और क्रियान्वयन योजना पर काम करने की जरूरत है

नगा मुद्दे
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Published : Mar 15, 2021, 10:53 AM IST

कोहिमा : नगा संगठन एनएससीएन-आईएम ने नगालैंड में दशकों पुरानी उग्रवाद की समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार से अपील की. हालांकि, यह भी स्पष्ट कर दिया कि 2015 के मसौदा समझौता के दायरे के बाहर कोई भी समाधान उसे स्वीकार्य नहीं होगा.

एनएससीएन-आईएम ने एक बयान में केंद्र से उनकी मांगों का समाधान तलाशने में कहीं अधिक सकारात्मक और गंभीर होने की भी अपील की. एनएससीएन-आईएम ने कहा कि संगठन के महासचिव टी मुइवा और केंद्र सरकार के वार्ताकार आर एन रवि के बीच इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हस्ताक्षर हुए पांच साल से अधिक समय हो गये हैं. रवि इस समय नगालैंड के राज्यपाल हैं.

पढ़ें : नगा विद्रोह : भारत में सबसे पुराना उग्रवादी अभियान

संगठन ने कहा कि दोनों पक्षों को समझौते के तहत बनी सहमति के मुताबिक इसे शीघ्र लागू करने के लिए ब्योरे और क्रियान्वयन योजना पर काम करने की जरूरत है. बयान में कहा गया है हम भारत सरकार से कहीं अधिक सकारात्मक और गंभीर होने की अपील करते हैं. हम शांति और प्रगति चाहते हैं. हालांकि एनएससीएन-आईएम ने स्पष्ट कर दिया कि मसौदा समझौता के बाहर किसी भी वर्ग से कोई भी प्रस्ताव एनएससीएन को और नगा लोगों को स्वीकार्य नहीं होगा.

पढ़ें : नगा मुद्दे पर केंद्र सक्रिय, संविधान के लिए बनेगी समिति : सीएम

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद को बताया था कि एनएससीएन-आईएम और अन्य नगा संगठनों के साथ वार्ता अंतिम चरण में है, लेकिन वार्ता का ब्योरा नहीं दिया था और ना ही वार्ता पूरी होने की समय सीमा ही बताई थी.यह समझौता 18 साल तक चली 80 दौर की वार्ता के बाद हुआ था. इसमें पहली सफलता 1997 में मिली थी, जब दशकों की हिंसा के बाद संघर्ष विराम समझौता हुआ था.

कोहिमा : नगा संगठन एनएससीएन-आईएम ने नगालैंड में दशकों पुरानी उग्रवाद की समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार से अपील की. हालांकि, यह भी स्पष्ट कर दिया कि 2015 के मसौदा समझौता के दायरे के बाहर कोई भी समाधान उसे स्वीकार्य नहीं होगा.

एनएससीएन-आईएम ने एक बयान में केंद्र से उनकी मांगों का समाधान तलाशने में कहीं अधिक सकारात्मक और गंभीर होने की भी अपील की. एनएससीएन-आईएम ने कहा कि संगठन के महासचिव टी मुइवा और केंद्र सरकार के वार्ताकार आर एन रवि के बीच इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हस्ताक्षर हुए पांच साल से अधिक समय हो गये हैं. रवि इस समय नगालैंड के राज्यपाल हैं.

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संगठन ने कहा कि दोनों पक्षों को समझौते के तहत बनी सहमति के मुताबिक इसे शीघ्र लागू करने के लिए ब्योरे और क्रियान्वयन योजना पर काम करने की जरूरत है. बयान में कहा गया है हम भारत सरकार से कहीं अधिक सकारात्मक और गंभीर होने की अपील करते हैं. हम शांति और प्रगति चाहते हैं. हालांकि एनएससीएन-आईएम ने स्पष्ट कर दिया कि मसौदा समझौता के बाहर किसी भी वर्ग से कोई भी प्रस्ताव एनएससीएन को और नगा लोगों को स्वीकार्य नहीं होगा.

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गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद को बताया था कि एनएससीएन-आईएम और अन्य नगा संगठनों के साथ वार्ता अंतिम चरण में है, लेकिन वार्ता का ब्योरा नहीं दिया था और ना ही वार्ता पूरी होने की समय सीमा ही बताई थी.यह समझौता 18 साल तक चली 80 दौर की वार्ता के बाद हुआ था. इसमें पहली सफलता 1997 में मिली थी, जब दशकों की हिंसा के बाद संघर्ष विराम समझौता हुआ था.

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