नई दिल्ली: मोदी उपनाम मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. अदालत ने इस मामले में गुजरात सरकार और याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी के खिलाफ नोटिस जारी किया है. 10 दिनों के भीतर इस नोटिस का जवाब देना होगा. वहीं, कोर्ट केस की अगली सुनवाई 4 अगस्त को करेगी. बता दें कि याचिकार्ता पूर्णेंश मोदी ने जवाब देने के लिए 21 दिनों का समय मांगा था.
राहुल की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस नेता ने 111 दिनों तक पीड़ा झेली है, एक संसद सत्र में हिस्सा लेने का अवसर गंवा दिया है और एक और सत्र में शामिल होने का मौका खोने वाले हैं. सिंघवी ने कहा कि मामले की तत्कालिकता की एकमात्र वजह यह है कि वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा किसी भी समय की जा सकती है. राहुल केरल की वायनाड सीट से सांसद थे, लेकिन मानहानि मामले में दोषसिद्धि और दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
इससे पहले, न्यायमूर्ति गवई ने सिंघवी और पूर्णेश मोदी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी से कहा कि उनके दिवंगत पिता आर एस गवई भले ही कांग्रेस के सदस्य नहीं थे, लेकिन वह चार दशकों से अधिक समय तक पार्टी से जुड़े हुए थे और उसके समर्थन से संसद सदस्य और विधायक चुने गए थे. न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि उनके भाई भी एक राजनीतिक नेता हैं. उन्होंने सवाल किया, 'अगर किसी को मेरी (पारिवारिक) पृष्ठभूमि से कोई समस्या है, तो कृपया मुझे बताएं.' इस पर सिंघवी और जेठमलानी ने कहा कि वे इस तथ्य से अवगत हैं और उन्हें न्यायमूर्ति गवई के इस मामले की सुनवाई करने पर कोई आपत्ति नहीं है.
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार अगस्त की तारीख तय करते हुए जेठमलानी और गुजरात सरकार के वकील से लिखित दलीलों के साथ अपने जवाब दाखिल करने को कहा. राहुल ने 15 जुलाई को दाखिल याचिका में कहा था कि अगर सात जुलाई को पारित आदेश पर रोक नहीं लगाई जाती है, तो इससे बोलने, अभिव्यक्ति, विचार व्यक्त करने और बयान देने की स्वतंत्रता का दम घुट जाएगा. राहुल को 24 मार्च को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जब गुजरात की एक अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ को लेकर की गई विवादित टिप्पणी से जुड़े आपराधिक मानहानि मामले में उन्हें दोषी ठहराते हुए दो साल की कैद की सजा सुनाई थी.
गुजरात उच्च न्यायालय ने मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने का राहुल का अनुरोध यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि राजनीति में शुचिता समय की मांग है. राहुल की दोषसिद्धि पर रोक से उनकी लोकसभा सदस्यता की बहाली का मार्ग प्रशस्त हो सकता था, लेकिन उन्हें सत्र अदालत और गुजरात उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने अपनी याचिका में कहा था, 'बेहद सम्मानजनक तरीके से यह दलील दी जाती है कि अगर उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो इससे बोलने, अभिव्यक्ति, विचार व्यक्त करने और बयान देने की आजादी का दम घुट जाएगा.'
उन्होंने कहा था,'यह कदम लोकतांत्रिक संस्थानों को व्यवस्थित तरीके से, बार-बार कमजोर करेगा और इसके परिणामस्वरूप लोकतंत्र का दम घुट जाएगा, जो भारत के राजनीतिक माहौल और भविष्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक होगा.' राहुल ने कहा था कि आपराधिक मानहानि के एक मामले में, अभूतपूर्व रूप से अधिकतम दो साल की सजा दी गई है; यह अपने आप में एक दुर्लभतम वाकया है.
इस मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी. मामले में फैसले के बाद राहुल गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे.