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Big Achievement : एशिया में छाया किशनगढ़ एयरपोर्ट, AAI के विशेष विमान ने की सफल लैंडिंग...जानें क्या है खास

राजस्थान के किशनगढ़ एयरपोर्ट पर मंगलवार को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के विशेष विमान की सफल लैंडिंग हुई. AAI दिल्ली की 8 सदस्यीय टीम विशेष विमान के साथ किशनगढ़ एयरपोर्ट पहुंची, जहां गगन तकनीक से संचालित (Satellite Based Aircraft Landing System) विमान की सफल लैंडिंग करवाई गई.

Kishangarh Airport in Rajasthan, Airport in Ajmer
एशिया में छाया किशनगढ़ एयरपोर्ट.
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Published : Dec 13, 2022, 8:37 PM IST

एशिया में छाया किशनगढ़ एयरपोर्ट.

किशनगढ़ (अजमेर). राजस्थान में तेजी से उभर रहे किशनगढ़ एयरपोर्ट के नाम ऐतिहासिक उपलब्धि जुड़ गई. एशिया पैसिफिक में किशनगढ़ एयरपोर्ट मंगलवार को लोकेलाइज्ड परफॉर्मेंस विद वर्टिकल गाइडेंस तकनीक से जुड़ने वाला पहला एयरपोर्ट बन गया. वर्तमान में यह तकनीक भारत के किसी भी हवाई अड्डे पर नहीं है. अब तक विश्व में केवल चार-पांच देश ही विमानों की लैंडिंग में सेटेलाइट बेस्ड ऑग्मेंटेशन सिस्टम की तकनीक का उपयोग करते रहे हैं.

अब इस कड़ी में भारत का नाम भी जुड़ गया है. इस तकनीक में हवाई अड्डों पर उतरने वाले (GAGAN based LPV Approach Procedure) विमानों को लैडिंग में मैदानी उपकरणों की आवश्यकता नहीं रहेगी. वे सेटेलाइट आधारित एसबीएएस यानी सेटेलाइट बेस्ड ऑग्मेंटेशन सिस्टम से खराब मौसम में भी सटीक लैंडिंग कर सकेंगे. भारतीय सिविल एविएशन सेक्टर के इतिहास में यह एक बड़ी उपलब्धि है. इसका सफल परीक्षण भारतीय विमानपतन प्राधिकरण के अधिकारियों की मौजूदगी में बुधवार को डीजीसीए के ब्रावो 350 सुपरकिंग विमान के माध्यम से राजस्थान के किशनगढ़ में हुआ है.

डीजीसीए के निदेशक रामपाल जामवाल के नेतृत्व में एसएफओआई कैप्टन अधिराज यादव, एएआई के एफपीडी गौरव रघुवंशी, एफआईयू के एजीएम नवीन डूडी समेत अन्य अधिकारियों को लेकर डीजीसीए का ब्रावो 350 सुपरकिंग विमान मंगलवार दोपहर पायलट अनूप काचरू एवं सह पायलट शक्ति सिंह के साथ किशनगढ़ एयरपोर्ट पर इस तकनीक से लैंड हुआ. किशनगढ़ एयरपोर्ट निदेशक बीएल मीणा, एटीसी इंचार्ज अनुराधा सुलानिया, सीएनएस इंचार्ज डीके मीणा और सिविल इंचार्ज खेमराज मीणा ने डीजीसीए दल की अगवानी की.

अब तक किशनगढ़ समेत देश के अन्य सभी हवाई अड्डों पर विमानों की लैडिंग के लिए (Satellite Based Augmentation Systems) आईएलएस यानी इन्स्ट्रूमेंट लैडिंग सिस्टम काम कर रहा था, लेकिन अब सेटेलाइट आधारित गगन तकनीक से एलपीवी यानी लोकेलाइजर परफार्मेंस विद वर्टीकल गाइडेंस से विमानों की लैडिंग का सफल ट्रायल होने से सभी हवाई अड्डों पर इस तकनीक से विमानों के उतरने का रास्ता साफ हो गया हैं.

पढ़ें : गगन तकनीक का किशनगढ़ एयरपोर्ट पर सफल ट्रायल, अब छोटी जगहों पर भी लैंड कर सकेंगे विमान

डीजीसीए की अनुमति के बाद सभी हवाई अड्डों पर इस तकनीक से विमानों की लैंडिंग हो सकेगी. किशनगढ़ एयरपोर्ट पर (Kishangarh Airport in Rajasthan) नई दिल्ली के एएआई के आठ सदस्य टीम का एयरपोर्ट डायरेक्टर बीएल मीणा के नेतृत्व में स्वागत किया गया. गगनदीप सेटेलाइट बेस विमान की सफल लैंडिंग की बधाई दी.

एशिया में छाया किशनगढ़ एयरपोर्ट.

किशनगढ़ (अजमेर). राजस्थान में तेजी से उभर रहे किशनगढ़ एयरपोर्ट के नाम ऐतिहासिक उपलब्धि जुड़ गई. एशिया पैसिफिक में किशनगढ़ एयरपोर्ट मंगलवार को लोकेलाइज्ड परफॉर्मेंस विद वर्टिकल गाइडेंस तकनीक से जुड़ने वाला पहला एयरपोर्ट बन गया. वर्तमान में यह तकनीक भारत के किसी भी हवाई अड्डे पर नहीं है. अब तक विश्व में केवल चार-पांच देश ही विमानों की लैंडिंग में सेटेलाइट बेस्ड ऑग्मेंटेशन सिस्टम की तकनीक का उपयोग करते रहे हैं.

अब इस कड़ी में भारत का नाम भी जुड़ गया है. इस तकनीक में हवाई अड्डों पर उतरने वाले (GAGAN based LPV Approach Procedure) विमानों को लैडिंग में मैदानी उपकरणों की आवश्यकता नहीं रहेगी. वे सेटेलाइट आधारित एसबीएएस यानी सेटेलाइट बेस्ड ऑग्मेंटेशन सिस्टम से खराब मौसम में भी सटीक लैंडिंग कर सकेंगे. भारतीय सिविल एविएशन सेक्टर के इतिहास में यह एक बड़ी उपलब्धि है. इसका सफल परीक्षण भारतीय विमानपतन प्राधिकरण के अधिकारियों की मौजूदगी में बुधवार को डीजीसीए के ब्रावो 350 सुपरकिंग विमान के माध्यम से राजस्थान के किशनगढ़ में हुआ है.

डीजीसीए के निदेशक रामपाल जामवाल के नेतृत्व में एसएफओआई कैप्टन अधिराज यादव, एएआई के एफपीडी गौरव रघुवंशी, एफआईयू के एजीएम नवीन डूडी समेत अन्य अधिकारियों को लेकर डीजीसीए का ब्रावो 350 सुपरकिंग विमान मंगलवार दोपहर पायलट अनूप काचरू एवं सह पायलट शक्ति सिंह के साथ किशनगढ़ एयरपोर्ट पर इस तकनीक से लैंड हुआ. किशनगढ़ एयरपोर्ट निदेशक बीएल मीणा, एटीसी इंचार्ज अनुराधा सुलानिया, सीएनएस इंचार्ज डीके मीणा और सिविल इंचार्ज खेमराज मीणा ने डीजीसीए दल की अगवानी की.

अब तक किशनगढ़ समेत देश के अन्य सभी हवाई अड्डों पर विमानों की लैडिंग के लिए (Satellite Based Augmentation Systems) आईएलएस यानी इन्स्ट्रूमेंट लैडिंग सिस्टम काम कर रहा था, लेकिन अब सेटेलाइट आधारित गगन तकनीक से एलपीवी यानी लोकेलाइजर परफार्मेंस विद वर्टीकल गाइडेंस से विमानों की लैडिंग का सफल ट्रायल होने से सभी हवाई अड्डों पर इस तकनीक से विमानों के उतरने का रास्ता साफ हो गया हैं.

पढ़ें : गगन तकनीक का किशनगढ़ एयरपोर्ट पर सफल ट्रायल, अब छोटी जगहों पर भी लैंड कर सकेंगे विमान

डीजीसीए की अनुमति के बाद सभी हवाई अड्डों पर इस तकनीक से विमानों की लैंडिंग हो सकेगी. किशनगढ़ एयरपोर्ट पर (Kishangarh Airport in Rajasthan) नई दिल्ली के एएआई के आठ सदस्य टीम का एयरपोर्ट डायरेक्टर बीएल मीणा के नेतृत्व में स्वागत किया गया. गगनदीप सेटेलाइट बेस विमान की सफल लैंडिंग की बधाई दी.

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