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Karva Chauth 2021 : पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनें रखेंगी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त

करवा चौथ रोहिणी नक्षत्र में है जो अत्यंत शुभ माना जा रहा है. 24 अक्टूबर को सुहागिन महिलाओं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखेंगी. करवा चौथ व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है.

Karva Chauth
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Published : Oct 23, 2021, 6:05 PM IST

Updated : Oct 23, 2021, 11:27 PM IST

कुल्लू : भारत में करवा चौथ के दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद देखने के बाद अपना व्रत खोलती हैं. करवा चौथ व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है. ये व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होता है, जिसे चांद निकलने तक रखा जाता है. इस व्रत में सास अपनी बहू को सरगी देती है, इस सरगी को लेकर बहू अपने व्रत की शुरुआत करती है.

इस बार करवा चौथ रोहिणी नक्षत्र में है जो अत्यंत शुभ माना जा रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से पति को दीर्घायु प्राप्त होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण करने से वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि इस व्रत के समान सौभाग्यदायक अन्य कोई व्रत नहीं है.

इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी

इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी होती हैं और उसका पारण भी चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है. इसलिए करवा चौथ गणेश जी का पूजन करने का भी विधान है. इसके अलावा करवा चौथ पर माता पार्वती, शिव जी और कार्तिकेय का पूजन भी किया जाता है. करवा चौथ का चांद इस साल बेहद ही शुभ रहेगा. ज्योतिषाचार्य दीप कुमार शास्त्री ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र में चांद निकलेगा और पूजन होगा. जो व्रत करने वाली महिलाओं के लिए अत्यंत फलदायी होगा.

सुहागिनें रखेंगी करवाचौथ व्रत
सुहागिनें रखेंगी करवाचौथ व्रत

पूजन के लिए शुभ मुहूर्त

कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस साल 24 अक्टूबर 2021 रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी, जो अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. इस दिन चांद निकलने का समय 8 बजकर 11 मिनट पर है.

24 अक्टूबर 2021 को शाम 06:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा. इस दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं. सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें. पानी पीएं और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें. करवा चौथ में महिलाएं पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं करतीं. शाम के समय चांद को देखने के बाद दर्शन कर व्रत खोलती हैं. पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें. एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाएं. पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरू कर देनी चाहिए. इस दिन महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं.

ऐसे करें पूजा

इस दिन प्रातः उठकर अपने घर की परंपरा के अनुसार सरगी आदि ग्रहण करें. स्नानादि करने के पश्चात व्रत का संकल्प करें. यह व्रत पूरे दिन निर्जला यानी बिना जल के किया जाता है. शाम के समय तुलसी के पास बैठकर दीपक प्रज्वलित करके करवा चौथ की कथा पढ़े. चंद्रमा निकलने से पहले ही एक थाली में धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिष्ठान आदि रख लें. एक लोटे में अर्घ्य देने के लिए जल भर लें. मिट्टी के बने करवा में चावल या फिर चिउड़ा आदि भरकर उसमें दक्षिणा के रूप में कुछ पैसे रख दें. एक थाली में श्रृंगार का सामान भी रख लें.

चंद्रमा निकलने के बाद चंद्र दर्शन और पूजन आरंभ करें. सभी देवी-देवताओं का तिलक करके फल-फूल मिष्ठान आदि अर्पित करें. श्रृंगार के सभी सामान को भी पूजा में रखें और टीका करें. अब चंद्रमा को अर्घ्य दें और छलनी में दीप जलाकर चंद्र दर्शन करें, अब छलनी में अपने पति का मुख देखें. इसके बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पारण करें. अपने घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें. पूजन की गई श्रृंगार की सामाग्री और करवा को अपनी सास या फिर किसी सुहागिन स्त्री को दे दें.

पढ़ेंः #etv dharma: करवा चौथ का व्रत सुहागिनों को रखेगा सौभाग्यवती

कुल्लू : भारत में करवा चौथ के दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद देखने के बाद अपना व्रत खोलती हैं. करवा चौथ व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है. ये व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होता है, जिसे चांद निकलने तक रखा जाता है. इस व्रत में सास अपनी बहू को सरगी देती है, इस सरगी को लेकर बहू अपने व्रत की शुरुआत करती है.

इस बार करवा चौथ रोहिणी नक्षत्र में है जो अत्यंत शुभ माना जा रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से पति को दीर्घायु प्राप्त होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण करने से वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि इस व्रत के समान सौभाग्यदायक अन्य कोई व्रत नहीं है.

इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी

इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी होती हैं और उसका पारण भी चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है. इसलिए करवा चौथ गणेश जी का पूजन करने का भी विधान है. इसके अलावा करवा चौथ पर माता पार्वती, शिव जी और कार्तिकेय का पूजन भी किया जाता है. करवा चौथ का चांद इस साल बेहद ही शुभ रहेगा. ज्योतिषाचार्य दीप कुमार शास्त्री ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र में चांद निकलेगा और पूजन होगा. जो व्रत करने वाली महिलाओं के लिए अत्यंत फलदायी होगा.

सुहागिनें रखेंगी करवाचौथ व्रत
सुहागिनें रखेंगी करवाचौथ व्रत

पूजन के लिए शुभ मुहूर्त

कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस साल 24 अक्टूबर 2021 रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी, जो अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. इस दिन चांद निकलने का समय 8 बजकर 11 मिनट पर है.

24 अक्टूबर 2021 को शाम 06:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा. इस दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं. सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें. पानी पीएं और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें. करवा चौथ में महिलाएं पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं करतीं. शाम के समय चांद को देखने के बाद दर्शन कर व्रत खोलती हैं. पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें. एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाएं. पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरू कर देनी चाहिए. इस दिन महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं.

ऐसे करें पूजा

इस दिन प्रातः उठकर अपने घर की परंपरा के अनुसार सरगी आदि ग्रहण करें. स्नानादि करने के पश्चात व्रत का संकल्प करें. यह व्रत पूरे दिन निर्जला यानी बिना जल के किया जाता है. शाम के समय तुलसी के पास बैठकर दीपक प्रज्वलित करके करवा चौथ की कथा पढ़े. चंद्रमा निकलने से पहले ही एक थाली में धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिष्ठान आदि रख लें. एक लोटे में अर्घ्य देने के लिए जल भर लें. मिट्टी के बने करवा में चावल या फिर चिउड़ा आदि भरकर उसमें दक्षिणा के रूप में कुछ पैसे रख दें. एक थाली में श्रृंगार का सामान भी रख लें.

चंद्रमा निकलने के बाद चंद्र दर्शन और पूजन आरंभ करें. सभी देवी-देवताओं का तिलक करके फल-फूल मिष्ठान आदि अर्पित करें. श्रृंगार के सभी सामान को भी पूजा में रखें और टीका करें. अब चंद्रमा को अर्घ्य दें और छलनी में दीप जलाकर चंद्र दर्शन करें, अब छलनी में अपने पति का मुख देखें. इसके बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पारण करें. अपने घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें. पूजन की गई श्रृंगार की सामाग्री और करवा को अपनी सास या फिर किसी सुहागिन स्त्री को दे दें.

पढ़ेंः #etv dharma: करवा चौथ का व्रत सुहागिनों को रखेगा सौभाग्यवती

Last Updated : Oct 23, 2021, 11:27 PM IST
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