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कारगिल की 22वीं वर्षगांठ, लोक सभा में शहीदों को श्रद्धांजलि

भारत और पाकिस्तान के बीच तल्ख रिश्तों का एक कारण कारगिल का युद्ध भी माना जाता है. आज इस युद्ध में विजय हासिल करने की 22वीं वर्षगांठ है. भारत में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है. संसद के मानसून सत्र के दौरान आज लोक सभा में भी कारगिल के शहीदों का अभिनंदन किया गया.

कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि
कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि
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Published : Jul 26, 2021, 12:01 PM IST

नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र का आज पांचवां दिन है. हर वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय की वर्षगांठ भी मनाई जाती है. इसी कड़ी में आज लोक सभा में कारगिल विजय की 22वीं वर्षगांठ का जिक्र हुआ. स्पीकर ओम बिरला ने पूरे सदन के साथ कारगिल के शहीदों और सैनिकों के शौर्य का अभिनंदन किया. लोक सभा सांसदों ने कारगिल में शहीद हुए सैनिकों की याद और सर्वोच्च बलिदान के सम्मान में कुछ क्षण मौन रखा.

लोक सभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही स्पीकर ओम बिरला ने कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) को लेकर एक संदेश पढ़ा. उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों के पराक्रम और बलिदान की याद में कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्र सभी शहीदों और उनके परिवारों के प्रति कृतज्ञ है जिन्होंने देश हित में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया.

कारगिल की 22वीं वर्षगांठ, लोक सभा में शहीदों को श्रद्धांजलि

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि दी. प्रधानमंत्री ने पिछले साल मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' की एक कड़ी में कारगिल के शहीदों के बारे में देशवासियों से विस्तार से संवाद किया था. उन्होंने अपने ट्वीट के साथ इस संवाद की कुछ झलकियां भी साझा की.

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ ने कारगिल के शहीदों को दी श्रद्धांजलि

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

गौरतलब है कि 14 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में आए पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ भारत की अब तक 4 बार जंग हो चुकी है. जिसमें पहला 1947 का भारत-पाक युद्ध, जिसे प्रथम कश्मीर युद्ध भी कहा जाता है, दूसरा 1965, तीसरा 1971 का युद्ध जिसमें पूरी दुनिया ने भारत के शौर्य को देखा. इस युद्ध में पाक के दो हिस्से हुए और एक हिस्सा बांग्लादेश बना. चौथा और अंतिम युद्ध था कारगिल, जिसमें हमेशा की तरह धोखे से कारगिल (Kargil War) की चोटियों पर कब्जा करने वाले पाकिस्तान को फिर से मुंह की खानी पड़ी.

हालांकि, जानकार बताते हैं इस गुपचुप हमले में पाक आर्मी को शुरुआत में बढ़त मिली, लेकिन भारतीय सेना के जांबाजों ने असंभव को संभव करते हुए हारी हुई बाजी पलट दी. कारगिल का जिक्र हो और कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम होंठों पर न आए, ऐसा भला कैसे हो सकता है. हिमाचल के शेर कारगिल हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा ने कारगिल के पांच बेहद महत्वपूर्ण प्वाइंट्स पर तिरंगा फहराने में अहम भूमिका निभाई थी. उनके पिता गिरधारी लाल बत्रा विक्रम के निडर जज्बे का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब उन्होंने प्वाइंट 5140 को पाक के कब्जे से मुक्त कराया.

यह भी पढ़ें- Kargil Vijay Diwas: कारगिल के शूरवीरों को नमन, युद्ध में गंवाए अंग, देश सेवा का जज्बा अब भी कायम

इसके बाद उन्होंने अपनी कमांड पोस्ट को रेडियो पर एक मैसेज दिया- 'ये दिल मांगे मोर', उसके बाद अपने अपनी मां और मुझसे से बात की थी. परमवीर चक्र पाने वाले शहीद विक्रम बत्रा के बारे में तत्कालीन इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वह जिंदा लौटकर आते, तो इंडियन आर्मी के हेड होते. विक्रम बत्रा को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र का आज पांचवां दिन है. हर वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय की वर्षगांठ भी मनाई जाती है. इसी कड़ी में आज लोक सभा में कारगिल विजय की 22वीं वर्षगांठ का जिक्र हुआ. स्पीकर ओम बिरला ने पूरे सदन के साथ कारगिल के शहीदों और सैनिकों के शौर्य का अभिनंदन किया. लोक सभा सांसदों ने कारगिल में शहीद हुए सैनिकों की याद और सर्वोच्च बलिदान के सम्मान में कुछ क्षण मौन रखा.

लोक सभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही स्पीकर ओम बिरला ने कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) को लेकर एक संदेश पढ़ा. उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों के पराक्रम और बलिदान की याद में कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्र सभी शहीदों और उनके परिवारों के प्रति कृतज्ञ है जिन्होंने देश हित में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया.

कारगिल की 22वीं वर्षगांठ, लोक सभा में शहीदों को श्रद्धांजलि

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि दी. प्रधानमंत्री ने पिछले साल मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' की एक कड़ी में कारगिल के शहीदों के बारे में देशवासियों से विस्तार से संवाद किया था. उन्होंने अपने ट्वीट के साथ इस संवाद की कुछ झलकियां भी साझा की.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

गौरतलब है कि 14 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में आए पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ भारत की अब तक 4 बार जंग हो चुकी है. जिसमें पहला 1947 का भारत-पाक युद्ध, जिसे प्रथम कश्मीर युद्ध भी कहा जाता है, दूसरा 1965, तीसरा 1971 का युद्ध जिसमें पूरी दुनिया ने भारत के शौर्य को देखा. इस युद्ध में पाक के दो हिस्से हुए और एक हिस्सा बांग्लादेश बना. चौथा और अंतिम युद्ध था कारगिल, जिसमें हमेशा की तरह धोखे से कारगिल (Kargil War) की चोटियों पर कब्जा करने वाले पाकिस्तान को फिर से मुंह की खानी पड़ी.

हालांकि, जानकार बताते हैं इस गुपचुप हमले में पाक आर्मी को शुरुआत में बढ़त मिली, लेकिन भारतीय सेना के जांबाजों ने असंभव को संभव करते हुए हारी हुई बाजी पलट दी. कारगिल का जिक्र हो और कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम होंठों पर न आए, ऐसा भला कैसे हो सकता है. हिमाचल के शेर कारगिल हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा ने कारगिल के पांच बेहद महत्वपूर्ण प्वाइंट्स पर तिरंगा फहराने में अहम भूमिका निभाई थी. उनके पिता गिरधारी लाल बत्रा विक्रम के निडर जज्बे का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब उन्होंने प्वाइंट 5140 को पाक के कब्जे से मुक्त कराया.

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इसके बाद उन्होंने अपनी कमांड पोस्ट को रेडियो पर एक मैसेज दिया- 'ये दिल मांगे मोर', उसके बाद अपने अपनी मां और मुझसे से बात की थी. परमवीर चक्र पाने वाले शहीद विक्रम बत्रा के बारे में तत्कालीन इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वह जिंदा लौटकर आते, तो इंडियन आर्मी के हेड होते. विक्रम बत्रा को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

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