ग्वालियर: मध्य प्रदेश में मिलावट के खिलाफ प्रशासन ने लगातार मोर्चा खोला हुआ है. प्रशासनिक अमला शहर में जगह-जगह जाकर छापेमारी कर रहा है, लेकिन चंबल में स्थिति बिलकुल उलट है. यहां 'सफेद जहर' घर-घर तक पहुंच चुका है. जाने-अनजाने में लोग अपने बच्चों को इस सफेद जहर का सेवन करा रहे हैं. ईटीवी भारत की आपसे अपील है कि यह रिपोर्ट जरूर पढ़ें और उस सफेद जहर के बारे में जानें, जिससे आपको और आपके बच्चों को बचने की सख्त जरूरत है.
चंबल में बिक रहा 'सफेद जहर' नामक दूध
ग्वालियर-चंबल में इन दिनों धड़ल्ले से दूध में मिलावट देखने को मिल रही है. यह 'सफेद जहर' अब लोगों के घर-घर तक पहुंच चुका है. पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा ग्वालियर-चंबल अंचल में दूध का उत्पादन होता है. सबसे ज्यादा नकली दूध भी यहीं बनाया जा रहा है. 'सफेद जहर' के काले कारनामों का ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है, कि आखिर कैसे ये आपके घर तक पहुंच रहा है.
बीहड़ों में काफी तलाश के बाद एक शख्स से ईटीवी भारत की टीम की मुलाकात हुई, जिसने इस पूरे गोरखधंधे का खुलासा किया. उस व्यक्ति ने नकली दूध बनाने की पूरी विधि बताई. कैमरे में वह हर एक चीज कैद की गई, जिसके बारे में जानना आपके लिए जरूरी है. हालांकि व्यक्ति इस शर्त में खुलासा करने को तैयार हुआ कि उसकी न तो पहचान उजागर की जाए, न ही चेहरा और न ही स्थान. इसके बाद नकली दूध बनाने का सिलसिला शुरू हुआ...
नकली दूध में क्या-क्या मिलाया जाता है
1. कपड़ा धोने का केमिकल : नकली दूध बनाने के लिए खतरनाक केमिकल का उपयोग होता है. यह सिर्फ डेयरी का सामान बेचने वाले या गिनी-चुनी दुकानों पर ही मिलता है. यह कैमिकल ज्यादातर नकली दूध बनाने वाले माफिया को दिया जाता है.
2. रिफाइंड ऑइल का उपयोग : नकली दूध तैयार करने के लिए रिफाइंड ऑइल का भी उपयोग होता है. अमूमन इसे खाने के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन नकली दूध बनाने के लिए भी इसकी जरूरत पड़ती है. रिफाइंड ऑइल नकली दूध में फैट (FAT) बढ़ाने के काम आता है.
3. शैंपू का उपयोग : नकली दूध बनाने के लिए शैंपू का उपयोग भी किया जाता है. नकली दूध बनाते समय शैंपू डालते हैं, तो नकली दूध में झाग उत्पन्न हो जाता है. जिससे यह साबित होता है कि दूध अभी ताजा ही है.
4. यूरिया का उपयोग : चंबल में नकली दूध बनाने के लिए कुछ लोग यूरिया का भी उपयोग करते हैं. यूरिया काफी खतरनाक होती है, इससे लोगों की जान भी जाती है. यह सीधा नर्वस सिस्टम पर प्रभाव डालता है, लेकिन माफिया नकली दूध बनाने के लिए यूरिया का उपयोग करते हैं. जिससे दूध में सफेदपन बना रहता है.
ऐसे तैयार होता है नकली दूध
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नकली दूध बनाने की वजह
चंबल अंचल में नकली दूध को अन्य जिलों के साथ-साथ राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सप्लाई किया जाता है. नकली दूध बनाने वाले शख्स ने बताया कि चंबल में ज्यादातर नकली दूध बिक रहा है, क्योंकि लगातार असली दूध के दाम बढ़ रहे हैं, इस वजह से मुनाफा भी कम हो रहा है. यही वजह है कि अब नकली दूध की मांग तेजी से बढ़ रही है.
नकली दूध बनाने वाले शख्स ने बताया कि त्योहारों के समय नकली दूध बनाने की मांग चार गुना बढ़ जाती है. यही वजह है कि वह नकली दूध में असली दूध मिलाकर इसकी सप्लाई करते हैं. घटिया रिफाइंड, डिटर्जेंट पाउडर और दूध के पाउडर को पानी में अच्छी तरह से मिलाने के बाद जब यह सफेद जहर तैयार होता है, तो यह कितना खतरनाक है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.
दूध उत्पादन से ज्यादा हो रहा सप्लाई
- रोज 15 लाख लीटर से ज्यादा का उत्पादन
- हर दिन 20 से 25 लाख लीटर की सप्लाई होती है
- उत्पादन से अधिक दूध की सप्लाई हो रही है
- सिर्फ मुरैना में 6 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है और सप्लाई 10 लाख लीटर से ज्यादा
कितना खतरनाक है 'सफेद जहर' ?
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर बृजेश कटारे ने ईटीवी भारत से बातचीत में जरूरी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि नकली दूध जहर के समान है, सबसे ज्यादा नकली दूध का असर छोटे बच्चों पर पड़ता है. यह नर्वस सिस्टम को पूरी तरह बर्बाद कर देता है और आंखें जाने का डर रहता है. इसके साथ ही नकली दूध पीने से मौत भी हो जाती है. डॉक्टर का कहना है कि यह किडनी और लीवर पर सबसे बुरा प्रभाव डालता है. हार्ट अटैक और डायबिटीज के मरीजों के लिए यह जहर के समान है. नकली दूध से कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है.
नकली मावा की भी धड़ल्ले से बिक्री
नकली दूध के साथ-साथ नकली मावा का भी धड़ल्ले से ग्वालियर-चंबल अंचल में व्यापार हो रहा है. चंबल अंचल में नकली मावा बनाने के लिए भट्टी लगी हुई है. नकली मावा यहां से बसों और गाड़ियों के जरिए अलग-अलग राज्यों में भेजा जाता है. इसके साथ ही आसपास के जिलों में इसकी भारी मात्रा में खपत है. वहीं त्यौहारों में नकली मावा की डिमांड 4 गुना तक बढ़ जाती है.