नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने कहा है कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में विफल रहने के कारणों पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा सकती. आरबीआई अधिनियम इसकी इजाजत नहीं देता. लोकसभा सदस्य जयदेव गल्ला के एक सवाल के जवाब में कि क्या आरबीआई ने छह प्रतिशत पर मुद्रास्फीति को नियंत्रित नहीं करने के कारणों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है और क्या सरकार रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगी, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पुष्टि की कि केंद्रीय बैंक ने रिपोर्ट प्रस्तुत की है, लेकिन नियमों के मुताबिक रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.
लोकसभा में आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस सांसद ए रेवंत रेड्डी के बीच रुपये में गिरावट और अर्थव्यवस्था की समग्र स्थिति को लेकर भी तीखी नोकझोंक हुई. वाकयुद्ध प्रश्नकाल के दौरान शुरू हुआ, जब रेड्डी जो तेलंगाना के मलकजगिरी का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्होंने रुपये के मूल्यह्रास (डॉलर के मुकाबले गिरने) पर एक सवाल पूछते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुपये के गिरने पर पुराने बयान का जिक्र किया, जो मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए दिया था.
रेड्डी ने मोदी के बयान के हवाले से कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपया जब 66 पर था तो कहा गया कि वह आईसीयू में चला गया है. तो अब जब रुपया 83.20 पर है तो ऐसा लग रहा है कि यह मुर्दाघर की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि उनका और मोदी दोनों का एक ही सवाल है- क्या मुर्दाघर से स्वस्थ रुपये को घर वापस लाने के लिए सरकार के पास कोई एक्शन प्लान है? सीतारमण ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि संसद में कुछ लोग देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था से जलते हैं.
उन्होंने कहा कि देश सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन विपक्ष 'ईर्ष्या' करता है और उसे इससे समस्या है और इसे मजाक के रूप में लेता है. मोदी के पुराने बयान का जिक्र करने के लिए कांग्रेस सांसद पर हमला बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अगर सांसद को वह बयान याद है, तो उन्हें उस समय के आर्थिक मापदंडों का भी उल्लेख करना चाहिए, जब पूरी अर्थव्यवस्था आईसीयू में थी. उन्होंने कहा- आज, महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद, हमारी अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. दुनिया भर की मुद्राओं के मुकाबले डॉलर बढ़ रहा है और केवल भारतीय अर्थव्यवस्था ने इसके खिलाफ मजबूती दिखाई है. यह बड़े संतोष का विषय होना चाहिए न कि मजाक का.
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(एक्स्ट्रा इनपुट- आईएएनएस)